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बदलता दौर

19 जुलाई 2016

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आज भगवान् के सामने भी १० मिनिट ज्यादा खड़ा था और उम्मीद कर रहा था के शायद अभी भगवान् प्रकट होंगे और मुझे उस लड़की का नाम बता देंगे.

उस लड़की का ..हा मैंने आपको बताया नहीं मुझे उस लड़की का नाम पता करना था जिसे मैं चाहता था. अब ये प्यार था के नहीं पता नहीं, मेरे लिए तो सिर्फ वो मेरी नीली वाली थी.

खेर मैं चल दिया जंग पर और दूकान पर पहुचते ही मेरे दोस्तों ने मेरा ऐसे स्वागत करा जैसे आज शहीद होने वाला हूँ.



पूरी कहानी पढ़ने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करिये .

http://www.drivingwithpen.com/2011/12/blog-post.html


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आदत

19 जुलाई 2016
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बदलता दौर

19 जुलाई 2016
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आखरी गलती

21 जुलाई 2016
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राजीव ने अपने पेन को ऊठाकरअंगूठे और उसके पास वाली उंगली से घुमाने लगा . इस तरह पेन को घुमाने की  कला हर कॉलेज़ जाने वाला स्टूडेंट को कक्षा 12वीसे ही आ जाती है. इस कला मे जैसे ही कोई छात्र माहिर हो जाता है उसे लगने लगता हैउसने जिंदगी की एक बहुत बडी पहेली हल कर ली है.पूरी कहानी पढने के लिए निचे दी हुई 

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मैंने आज फिर कलम उठाई है

2 सितम्बर 2016
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कोरे कागज़ पर अल्फाजो की बहार आई हैअहसासो ने फिर दिल मे एक धुन बजाई हैबहुत दिन हुये ....मैंने आज फिर कलम उठाई हैआगे की कविता पढ़ने के लिए निचे दी हुई लिंक पर क्लिक करे. http://www.drivingwithpen.com/2016/09/blog-post.html

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तिरभिन्नाट पोहा-पप्पू भिया का रिजाईन

29 जून 2017
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“ क्या भिया ? बोत दिन से दिख नी रिये हो । पेले रविवार भी तुम्हारा इंतेजार किया हमने नी-नी करके 2 घंटे तक राजू को पोहे नी बनान दिये के यार रुक जा अभी आ रिये होयेंगे पप्पू भिया पर तुम आये नी यार, ऐसा थोडा नी चलता है ” – रितिक ने दूर से आते हुये पप्पू भिया से कहा । “ अरे या

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