बचपन, प्रारंभिक अवस्था, शैशव, बाल्यावस्था, प्रथम अवस्था को बनाने और सँवारने का दायित्व सर्वप्रथम प्रकृति माता और परम पिता परमात्मा स्वयं निभाते है ततपश्चात माता-पिता, भाई-बहिन सगे संबंधी, गुरुजन बारी-बारी से अपनी-अपनी भूमिका अदा करते है ! बचपन कच्ची अवस्था होती उसको आप जैसा चाहो बना सकते हो ! राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सफल व्यवसायी, उच्चस्थ अधिकारी , व्रह्त स्तर के विराट जमींदार किसान और जनरल, मेजर , कर्नल, फौजी , श्रेष्ठ खिलाडी , समाज सेवक और सुधारक , महापुरुष और संत-महात्मा , वीर-बहादुर, ईमानदार और समझदार , घुलनसार-मिलनसार और व्यवहारिक , सब कुछ बनाना और कर सकना संभव है बस आप उसके अनुरूप उपयुक्त स्थान, परिस्थितियाँ और वातावरण तो बनाइये,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, फिर देखिये आपका बच्चा भी सब कुछ कर सकता है