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बेटी को तू क्यो मार रहा है ।।

31 जुलाई 2016

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ये केसा दौर आ गया इंसान खुद ही खुद को मार रहा है ।

बेटे की अती चाहत में बेटी को तु क्यों मार रहा है ।।


अपने मान समान के कारण ग़लत क़दम तु क्यों उठा रहा है ।

बेटे की अती चाहत में बेटी को तु क्यो मार रहा है ।।


बेटीयॉं घर की लक्ष्मी है पगले बेटीयॉं घर की शान है ।

बेटियों की ही बदौलत से तो यह सारा संसार है ।। 


जिस घर में बेटी का मान नही वह घर कोई घर है भला । 

बेटे की चाहत में बेटी का तु क्यों घोट रहा है गला ।।


जिस परिवार में बेटीयो का मान नही वह कोई परिवार है भला ।

नज़र दौड़ा कर देख ले कितनी दुर वह परिवार है चला ।।


जिस दिन घर तु बहु लायेगा वह भी किसी की बेटी है ।

अब तु केसे स्वीकार करेगा बहु ही तो तेरी बेटी ही है ।।


थोड़े से दहेज के कारण बेटीयो को जलाते हो ।

इतना ही धन प्यारा है तो खुद क्यों नही कमाते हो ।।


अरे बेटीयॉं घर की लक्ष्मी है थोड़ी सी तो चर्म करो ।

बेटीयो को बोझ समझने वालों चलु भर पानी में डुब मरो ।।


Chandan Jat

9676451618 

gusaijigroup.com

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8 मार्च 2018

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1 अगस्त 2016

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