गुजरात में एक आंदोलन ऐसा भी जिसकी कहीं कोई चर्चा नही !अहमदाबाद : गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी के सामने एक साथ कई आंदोलन खड़े हो रहे है। पटेलों का आंदोलन पहले ही बीजेपी के लिए मुसीबत बना हुआ है वहीँ दलितों के आंदोलन ने भी बीजेपी को परेशान किया है। इन तमाम आंदोलनों को देखते हुए बीजेपी को अपना सीएम चेहरा तक बदलना पड़ा। गुजरात में एक आंदोलन ऐसा भी है जो कई सालों से गुजरात के गांवों में चल रहा है और आने वाले चुनावों में भी इस आंदोलन का असर दिख सकता है।
अवैध शराब का धंधा जोरों पर गुजरात में पिछले 55 साल से शराब पर पाबन्दी है लेकिन गुजरात में शायद कोई ऐसा इलाका नहीं है जहाँ शराब नहीं मिलती है। बता दें कि गुजरात में शराब पाबंधी से होने वाले रेवेन्यू लॉस के लिए 1200 करोड़ रूपये देता है। हालात यह है कि गुजरात में शराब की होने डिलेवरी तक की जाती है। देसी शराब के खिलाफ ठाकोर समुदाय की मुहिमसरकार के ही आंकडों की मैं तो पिछले पांच साल में गुरात में अवैध तरीके से 2.46 अरब रूपये की शराब जब्त की गई।
साथ ही आबकारी विभाग ने 82 करोड़ की शराब जब्त की। गुजरात के गांवों में देसी शराब का चलन इस कदर बढ़ा है कि गैरकानूनी शराब से राज्य में अब तक 3000 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके खिलाफ जब सरकार नही जागी तो गुजरात ने ठाकोर समुदाय ने खुद ही गांवों में देसी शराब के खिलाफ अभियान चलाया। समुदाय ने 4 महीनों में 800 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की। हालाँकि इसके बाद गुजरात सरकार ने कानून में संसोधन कर जहरीली शराब से मौत होने पर दोषियों को मौत की सजा का प्रावधान किया था। ठाकोर समुदाय के नेता खोडाजी ठाकोर ने का कहना है कि “गुजरात के गांवों में देशी-विदेशी शराब के कारण हज़ारों युवकों की मौत हो रही है।