पद्मभूषण से सम्मानित राष्ट्र कवि श्री मैथिली शरण जी की जयंती को प्रति वर्ष ३ अगस्त को कवि दिवस के रूप में मनाते हैं .मूल्यों के प्रति आस्था के अग्रदूत गुप्तजी चंद रचनाओं से कुछ प्रेरित प्रसंग .भारतीय संस्क्रति का दस्तावेज भारत भारती काव्य में मिलता हैं .मानव जागरण शक्ति को वरदान देती हैं ' हम कौन थे क्या हो गये हैं और क्या होंगे अभी ' .आधुनिकता की दोड में भागता मानव को उसके संघर्ष मयी जीवन में हिम्मत से काम लेने की प्रेरणा न्र हो न निराश करो न मन को ' कविता देती हैं .आज म्रत्यु से भयभीत कर्महीन मानव को जीवन की जय हो '' कविता संदेश देती हैं की आत्मा अमर हैं ,शरीर नश्वर .ईसलिय हमें का सदपयोग करके जीवन को साकार करना चाहिए .नारी की दयनीय दशा का वर्णन करते हुए यशोधरा कविता में लिखा हैं कि' अबला जीवन हाय ,यही तुम्हारी कहानी , आँचल में दूध आँखों में पानी '. वही आधुनिकता की दोड़ में माँ - बच्चों के बीच मित्तें एहसासों के बीच कृतज्ञता के भाव जगाती कविता माँ कह एक कहानी ' .
कहने का तात्पर्य हैं कि ईस भागमभाग की जिन्दगी में हमें गुप्तजी की रचनाओं से प्रेरित होकर अपने जीवन को सार्थक करना चाहिए .