shabd-logo

जीवन एक मौसम की तरह होता हैं

14 अगस्त 2016

207 बार देखा गया 207
ईन्सानी जिन्दगी को कुदरत ने अपने नियमों से उसके पूरे स्प्फ्र को मौसमों की तरह बाँट रखा हैं .क्योकि जिन्दगी एक मौसम की तरह होता हैं .कब उसके जीवन में बसंत भार कर दे की मनुष्य सब विपदाओं से मिले दुखित नासूर को भूलकर एक रंग - बिरंगी सपनों की दुनियां की मल्लिका बना दे .और कब यह हरा - भरा जीवन सुखी जीवन में आंधी तूफान लाकर उसके सुखो को तार तार करके सूखा पीला कर दे .सूरज की तपन उसके सपनों को आग लगा दे .अपनी उम्मीदों को जिन्दा रखने के लिए वह छत्र छाया तलाशता .अपनी लाचारी को पसीने के रूप में बहाता हुआ बेहाल हो जाता हैं .आँखों में उम्मीद की डोर बाधें दिन रात कभी अपने हाथों की लकीरें पड़ता ,तो कभी उंगलियो पर दिनों को .ईश्वर भरोसे  छोड़ अपनेको  जीवन निस्वार्थ भाव सा अव्व्सी आस में जीता हैं की कभी तो ऊपर वाले की क्रपा द्रष्टि होगी .उसके जीवन में भी हरियाली आएगी और एक दिन उसकी प्रार्थना रंग लाएगी .उसके बंजर हुए जीवन में सुखो की बोछार होगी ,जिससे उसके दुःख की धूल धूमिल पड़ जाती हैं .सब शिकायते धुंधली पड़ जाती हैं .चारो ओर खुशियों की सौगात दस्तक देती हुई सुनाई देती हैं .हर तरफ से फल फूल रहा जीवन में दूर - दूर तक चिंता का  नही NMONNISHAANभी द्रष्टिगत नही होता हैं .अपनी ही दुनियां में ईतने मस्त हो जाता हैं की धरती पर पैर नही टिकते वह अपने को धरती का स्वर्ग का ईंद् समझने लगता हैं .कहते है की अति का अंत तो होता ही हैं सुख समर्धि होने पर भी वह बैचेनी अनुभव करता हैं .कुविचार उसका सुख चैन छीन लेते हैं .समय रहते ऊपर वाले की मेहरवानी सचेत कर देती हैं .समर्धि का घमंड चकनाचूर होकर ,सड़ करके सुविचार रूपी खाद बनाता हैं .पुराने समय को याद कर उसकी सिरहन सही मार्ग प्रशस्त करती हैं .सुख - दुःख की सर्दी- गर्मी मुट्ठी में बंद रेट की तरह फिसलता जाता हैं .जिन्दगी के अनेक उतार चदाव के दरमियाँ जिन्दगी गुजरती जाती हैं और हम रफ्ता - रफ्ता चलते जाते हैं .जेसे हर मौसम का अपना एक मिजाज होता हैं ,उसी तरह हमारा जीवन हैं .मौसमी भारो की तरह मानवीय पल ' कभी ख़ुशी ,कभी गम ' की तरह होते हैं .

बबिता गुप्ता की अन्य किताबें

1

खुबसूरत रिश्तों का आधार - मित्रता

7 अगस्त 2016
0
0
0

              दुनियां में हमारे पर्दापर्ण होते ही हम कई रिश्तों से घिर जाते हैं .रिश्तों का बंधन हमारे होने का एहसास करता हैं .साथ ही अपने दायीत्यों व् कर्तब्यों का.जिन्हें हम चाह कर भी अनदेखा नहीं कर सकते और न ही उनसे बन्धनहीन .लेकिन सच्ची दोस्ती दुनियां का वह नायाब तोहफा हैं जिसे हम ही तय करते हैं

2

गुप्त जी की चंद रचनाओं का विशलेषण

7 अगस्त 2016
0
0
0

पद्मभूषण  से सम्मानित राष्ट्र कवि श्री मैथिली शरण जी की जयंती को प्रति वर्ष ३ अगस्त को कवि दिवस के रूप में मनाते हैं .मूल्यों के प्रति आस्था के अग्रदूत गुप्तजी चंद रचनाओं से कुछ प्रेरित प्रसंग .भारतीय संस्क्रति का दस्तावेज भारत भारती काव्य में मिलता हैं .मानव जागरण शक्ति को वरदान देती हैं ' हम कौन थ

3

जिन्दगी का गडित

10 अगस्त 2016
0
0
0

जिंदगी गडित के एक सवाल की तरह हैं जिसमें सम विषम संख्यायों की तरह सुलझें - अनसुलझें साल हैं .हमारी दुनियां वृत की तरह गोल हैं जिस पर हम परिधि की तरह गोल गोल घूमतें रहते हैं .आपसी अंतर भेद को व् जीवन में आपसी सामंजस्य बिठाने के लिए  कभी हम जोड़ - वाकी करते हैं तो कभी हम गुणा भाग करते हैं .लेकिन फिर भी

4

तराजू सम जीवन

11 अगस्त 2016
0
1
0

म्हारा जीवन तराजू समान हैं जिसमें सुख और दुःख रूपी दो पल्लें हैं और डंडी जीवन को बोझ उठाने वाली सीमा पट्टी हें .काँटा जीवन चक्र के घटने वाले समयों का हिजाफा देता हैं .सुख दुःख के किसी भी पल्ले का बोझ कम या अधिक होनें पर कांटा डगमगाने लगता हैं सुख दुःख रूपी पल्लों की जुडी लारियां उसके किय कर्मो की सू

5

जीवनएक अमूल्य धरोहर हैं

12 अगस्त 2016
0
0
0

 जिंदगी तमाम अजब - अनूठे कारनामों से भरी हैं .ईन्सान अपनी तमाम भरपूर कोशिशों के बाबजूद भी उस पर सवार होकर अपनी मनमर्जी से जिन्दगीं नहीं जी पाता .वह अपनी ईच्छानुसार मोडकर उस पर सवारी नहीं कर सकता .क्योकि जिन्दगीं कुदरत का एक घोडा हैं अर्थात जिन्दगीं की लगाम कुदरत के हाथों में हैं जिस पर उसके सिवाय कि

6

जीवन त्योहारों जैसा होता हैं

13 अगस्त 2016
0
2
0

मौसमों की तरह बदलते जीवन में आपदाओं विपदाओं का आवागमन होता रहता हैं .फिर भी हम जीवन को त्यौहारों ,उत्सवों,पर्वो की तरह जीते हैं .जीवन त्यौहारों जैसा हैं,जिसे हम हंसी ख़ुशी हर हाल में मनाते हैं .जीवन में होली के रंगों की तरह रंग - बिरंगी सुख दुःख के किस्से होते हैं -. कभी नीला रंग खुशियों की दवा देता

7

जीवन एक मौसम की तरह होता हैं

14 अगस्त 2016
0
2
0

ईन्सानी जिन्दगी को कुदरत ने अपने नियमों से उसके पूरे स्प्फ्र को मौसमों की तरह बाँट रखा हैं .क्योकि जिन्दगी एक मौसम की तरह होता हैं .कब उसके जीवन में बसंत भार कर दे की मनुष्य सब विपदाओं से मिले दुखित नासूर को भूलकर एक रंग - बिरंगी सपनों की दुनियां की मल्लिका बना दे .और कब यह हरा - भरा जीवन सुखी जीवन

8

जिन्दगी एक जुआ हैं

15 अगस्त 2016
0
1
0

जिन्दगी एक जुआ की तरह हैं ,जिसमे ताश के पत्तों की तरह जीवन की खुशियाँ बखर जाती हैं .जब तक जीवन में सुखों का अंबार लगा रहता हैं तब तक हमें उन लम्हों अ आभास ही नहीं होता हैं जो हमारी हंसती ,मुस्कराती ,रंग - बिरंगी दुनियां में घुसपैठ कर बैठती हैं और जीवन की खुशनुमा लम्हों की लड़ीबिखर कर ,छितर कर गम हो ज

---

किताब पढ़िए