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निलंबन छलावा या न्याय

19 अगस्त 2016

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निलंबन से न्याय नहीं हो जाता है इससे बस कुछ लोग अपनी छवि को साफ बरकरार रख लेते हैं माननीय अखिलेश यादव । बुलंदशहर जिसके बारे में मुझे ज्यादा नहीं बस यही पता है कि, उ.प्र. का एक शहर जो राष्ट्रीय राजधानी के पास है,और कई पब्लिकेशन हाउस वगैरा है । पर इस सदी की सबसे वीभत्स घटना यहीं हुई थी कुछ महीने पहले ,28दिन की बच्ची का बलात्कार ,बलात्कार करने वाला मानसिक विक्षुप्त नहीं था , वो किसी वीडियो को देखकर भटका हुआ युवक नहीं था बल्कि उस बच्ची का करीबी 25 साल का वयस्क था क्यों किया उसने ये जवाब किसी के पास नहीं, उसमें दोषी को क्या सजा दी गई मुझे नहीं पता । सजा ,न्याय इन शब्दों का अर्थ क्या है, जैसे हमारे समाज को नहीं पता कोई कहता है कि गलती हो जाती है ,जनाब! जब गलती होती है तो सजा भी मिलती है,एक वकील हैं आजकल लाइमलाईट में हैं जो सिर्फ नोट बटोरने के लिए के लिए वकालत में आए हैं कह रहें हैं रॉड इस्तेमाल हुई थी या नहीं ये उनका मुद्दा है जब कि दोष साबित हो चुका है,मुद्दा ये होना चाहिए कि जुर्म की सजा मिले(निर्भया केस)। अब फिर बुलंदशहर में चौकी से महज सौ मी. की दूरी पर एक ऐसी शर्मनाक घटना फिर होती है, 20 मिनट तक पुलिस से बात नहीं हो पाती और निलंबन से आक्रोश को दबाये जाने की कोशिश हो रही है। आशा करता हूँ कि निकम्मे लोगों को पुलिस से हटाने के बाद जो योग्य लोग हैं सभी अपराधियों की धरपकड़ कर लेंगें । जब सजाए मौत मिले उन्हें तो राष्ट्रपति जी जीवनदान मत देना वो क्या है न कि हम अभिजीत नहीं हैं। मोरल पुलिसिंग करने वाले धार्मिक संगठन कुछ व्यस्त हैं हूरें बनाने में कुछ गाय को माथे चढ़ाने में। वेलेंटाइन डे पर हंगामा मचाने वालों तब तो बड़ी सभ्यता समाप्त होने लगती है,ऐसे समय पर तुम्हें क्या हो जाता है तुम्हारी प्राथमिकता सामाजिकता से निजता की तरफ चली आती है या फिर ये तुम्हारी हमारी सभ्यता की तुच्छ मानसिकता की विरासत है ,है ना?

आधी आबादी के नाम पर राजनीति करने वालों अब तुम खामोश हो क्योंकि तुम यहाँ अपना मुनाफा नहीं भुना सकते न?

बेटों को पूजने वाली दादियों और माँओं थोड़ी समझ अपने लाड़ले को भी दे देना

विष्णु द्विवेदी की अन्य किताबें

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आरक्षण नीति

2 जून 2016
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  औरों की भावनाओं को ठेस पहुँचाना मेरी आदत नहीं मगर जो गलत है उस पर चोट करने की फितरत है ~विष्णु~ ‪ टीना दाबी ने टॉप किया ठीक है ,इसमें कोई अचरज की बात नहीं है कि,परीक्षा के किसी चरण में उनसे ज्यादा अंक लाने वालों की संख्या तिहाई में हो ,जो कमियां रहीं होगी वो ट्रेनिंग में चली जाएंगी । पर इस बात पर

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भक्त

5 जून 2016
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भक्त बनने की परंपरा हमारे देश में सदियों से है ।पहले भगवान ,यहाँ तक तो ठीक था , फिर संत फिर नेता ,अभिनेता ....सबके। इन भक्तों की अपनी पहचान नहीं होती क्या, इन्हें तो कोई न कोई पूजने को चाहिए कभी कांग्रेस नेता कभी वामपंथी ,कभी भाजपाई नहीं कन्हैया भी चलेंगें हद है ऐसे चोंचलों की।विचारधारा मानने तक बा

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निलंबन छलावा या न्याय

19 अगस्त 2016
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निलंबन से न्याय नहीं हो जाता है इससे बस कुछ लोग अपनी छवि को साफ बरकरार रख लेते हैं माननीय अखिलेश यादव । बुलंदशहर जिसके बारे में मुझे ज्यादा नहीं बस यही पता है कि, उ.प्र. का एक शहर जो राष्ट्रीय राजधानी के पास है,और कई पब्लिकेशन हाउस वगैरा है । पर इस सदी की सबसे वीभत्स घटना यहीं हुई थी कुछ महीने पहले

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पुरस्कार राशि

24 अगस्त 2016
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क्या नायक वही होते हैं जो जंग जीतते है या फिर वो भी नायक है जो जंग लड़ते है ,मुझे तो लगता है प्रत्येक वो व्यक्ति नायक है जो जंग को अप्रत्याषित मोड़ तक ले जाता है । फिर क्यों धन वर्षा सिर्फ जंग जीतने वालों पर हाँ यह लेख पूरी तरह से ओलम्पिक के संदर्भ में हैंं जो जीते हैं वो तो नायक है ही पर जो हारे उनके

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