@@@@ कथित आधी घरवाली @@@@ ****************************************** उससे है रिश्ता ऐसा जो बोलचाल में गाली है | नाम है गुड्डन उसका,वो मेरी प्यारी साली है || शालीनता की प्रतिमूर्ति,वो नजर मुझको आती है | शर्म के मारे वो साली मेरी,छुईमुई बन जाती है || जब कभी किसी बात पर,वो मन्दमन्द मुस्काती है | खड्डे पड़ जाते गालों में उसके,वो शर्मिला बन जातीहै || हम तो चाहते दिल से उसको,पर वो कितना हमको चाहती है | छुपी रुस्तम वो साली मेरी, नहीं हमें ये बतलाती हैं || तीन बच्चों की अम्मा है,पर लगती कुंवारी बाला है | मिलने के मौके को जिसने, मारे शर्म के टाला है || एक दिन वो शर्मीली साली,मुझसे प्रश्न ये पूछ पड़ी | नहीं लिखी क्या कविता मुझपे,नजरें थी उसकी गड़ीगड़ी || दुखदाता और सुखदाता पर,कविता लिखी जाती है | मैं चाहता था यह कहना उसको,कि वो नहीं दोनों में आती है || तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा,ये कहावत उसने थी दोहरायी | जवाब दिया जब मैंने उसको, तो तीन बच्चों पर थी शर्मायी || साली हो चाहे कितनी ही सीधी,पर जीजे को खूब छक्काती है | केरी देकर जीजे को वो,आम उसे बतलाती है || खट्टे कर दिए दांत मेरे,खट्टे आलू बुखारों से | मोह लिया उसने मनको,अपने मोहक इशारों से|| विदा के वक्त हाथ मिलाने,निज हाथ आगे कर दिया | हाथ नहीं मिला कर उसने,दुःख मन में भर दिया || तिरस्कार के उस उस दुःख से,दिल का सुकून खो गया | पर उसकी साफगोई का,मैं दिल से कायल हो गया || दुःख दाता बनने पर उसके,यह कविता उस पर रच डाली | यह गलत कहते है लोग सारे,कि साली आधी घरवाली || साली तो होती है दोस्त,गौरी हो या हो काली | जीजे की चुटीली बातों में,मस्त हो जाती हर साली || बड़े प्यार से बोली साली,बड़े ख़राब हो जीजाजी | लाड़ भरी यह टिप्पणी सुनकर,मन साली पर रीझाजी || सीखाया जो सबक साली ने,वो याद रखूंगा रखूंगा सदा सदा | नहीं करूंगा अब हाथ आगे,जब मिलूंगा उससे यदाकदा ||