shabd-logo

अब पीएम के 'कार्यों और बयानों' का आंकलन होना ही चाहिए!

21 अगस्त 2016

344 बार देखा गया 344

2014 के लोकसभा चुनाव में भारत की जनता ने भारी बहुमत से गुजरात के मुख्यमंत्री को भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बिठाया. शुरू के कुछ सालों में जनता और कई विश्लेषक पीएम के कार्य ों का मिला-जुला आंकलन करते रहे, तो कइयों ने उन्हें 'हनीमून पीरियड' के रूप में 'सख्त विश्लेषण' से छूट भी दी. पर अब लगभग ढ़ाई साल, यानि केंद्र सरकार का आधा कार्यकाल बीत चुका है और कम से कम अब तो 'हनीमून पीरियड' की दुहाई नहीं दी जा सकती है. चुनावी समय में 'जुमलेबाजियाँ' तो खूब होती रही हैं, किन्तु अब क्या 'लाल किले' से भी इस युक्ति का प्रयोग करके वाहवाही लूटी जा रही है? यूं तो पीएम के भाषणों में पहले भी कई गलतियां हुई हैं, किन्तु इस बार लाल किले से उनकी टीम ने ऐसी गलतियां की हैं, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है. स्वतंत्रता दिवस जैसे अहम मौके पर जब एक-एक शब्द और एक-एक वाक्य को मेटल डिटेक्टर (Prime Minister Narendra Modi Speech, Central Government) से गुजरना चाहिए, वहां अगर पीएम को 'अपना ट्वीट' डिलीट करना पड़े तो फिर इससे बड़ी दूसरी बिडम्बना और क्या हो सकती है? अपनी उपलब्धियों को बढ़ा चढ़ाकर दिखलाने की कोशिश में किस प्रकार दांव उल्टा पड़ जाता है, पीएम का हालिया भाषण इसका सर्वोत्तम उदाहरण है. दरअसल उत्तर प्रदेश के हाथरस के नंगला फतेला में 70 साल बाद बिजली पहुंचाने को लेकर जो किरकिरी हुई, वैसी किरकिरी पीएम की पहले शायद ही कभी हुई हो. थोड़ी गंभीरता से देखा जाए तो 'लाल किला' इस प्रकार का मंच है भी नहीं कि आप वहां से इस तरह लोकप्रियता वाली बातें कहें, क्योंकि वहां से निकल सन्देश न केवल देश भर में, बल्कि विश्व के कोने-कोने में सूना जाता है. अगर मान भी लिया जाए कि किसी गाँव में अब तक बिजली नहीं पहुंची है और वर्तमान सरकार ने वहां एकाध गाँवों में बिजली पहुंचाने का कार्य कर दिखाया है तो क्या वाकई इसमें कोई पीठ थपथपाने वाली बात है? क्या सच में यह किसी सरकार की ठोस उप्लब्धित मानी जा सकती है?


इसे भी पढ़ें: शराबबंदी पर 'सलाह' से पहले बिहार में इसे 'सफल' साबित करें नीतीश!


article-image

Prime Minister Narendra Modi Speech, Central Government, Work Analysis, Hindi Article

ऐसा नहीं है कि पीएम ने यह गलती पहली बार की हो, बल्कि पीछे भी उनकी टीम के होमवर्क में कई कमियां दिखी हैं, जिसकी जवाबदेही तय होनी ही चाहिए. हालाँकि, पीएम मोदी भाषण कला माहिर हैं, किन्तु जिस प्रकार से पिछले दिनों उन्होंने कई गलतियां की हैं, उससे सवाल तो उठते ही हैं. मसलन, अपने अमरीकी दौरे के दौरान, उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में गलत तथ्य सामने रखा था. उन्होंने अपने भाषण के दौरान कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में कहा कि यह 2000 साल पुराना है, जबकि हकीकत यह है कि यह 700 साल पुराना ही है. इसी तरह, नरेंद्र मोदी ने साल 2013 में हुई पटना की बहुचर्चित रैली में बिहार की शक्ति का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने सम्राट अशोक, पाटलिपुत्र, नालंदा और तक्षशिला का जिक्र किया था, लेकिन सच्चाई यह है कि तक्षशिला पाकिस्तान में स्थित है. तब मोदी के राजनीति क प्रतिद्वंदी नीतीश कुमार ने इस गलती को खूब हवा दी थी. ऐसे ही, नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi Speech, Central Government) ने साल 2014 के फरवरी महीने में मेरठ में कहा था कि आजादी की पहली लड़ाई को कांग्रेस ने बहुत कम आंका था, जबकि सच्चाई यह है कि मेरठ में 1857 की क्रांति शुरू हुई थी, जबकि कांग्रेस की स्थापना तो 1885 में हुई थी. नरेंद्र मोदी ने अपने एक और भाषण के दौरान कहा था, "जब हम गुप्त साम्राज्य की बात करते हैं तो हमें चंद्रगुप्त की राजनीति की याद आती है." जबकि सच्चाई यह है कि मोदी जिस चंद्रगुप्त का और उनकी राजनीति का जिक्र कर रहे थे, वो मौर्य वंश के थे. गुप्त साम्राज्य में तो चंद्रगुप्त द्वितीय हुए थे, लेकिन मोदी अपने भाषण में उनका जिक्र करना भूल गए. यहीं नहीं नरेंद्र मोदी ने 2013 में जम्मू में एक रैली को संबोधित करते हुए कह दिया था कि मेजर सोमनाथ शर्मा को महावीर चक्र व ब्रिगेडियर रजिंदर सिंह को परमवीर चक्र मिला था. जबकि सच्चाई यह है कि मेजर सोमनाथ शर्मा को परमवीर चक्र व रजिंदर सिंह को महावीर चक्र मिला था. इसी तरह के एक और चर्चित मामले में, नरेंद्र मोदी साल 2013 के नवंबर महीने में खेड़ा में श्यामजी कृष्ण वर्मा और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बीच अंतर नहीं कर पाए थे.


इसे भी पढ़ें: भाजपा_के_'बुरे_दिन'_की_सुगबुगाहट!

श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उन्होंने गुजरात का बेटा कह दिया और कह दिया था कि उन्होंने लंदन में 'इंडिया हाउस' का गठन किया था और उनकी मौत 1930 में हो गई थी. बता दें कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म कोलकाता में हुआ था और उनकी मौत 1953 में हुई थी. नरेंद्र मोदी ने जिस श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जिक्र किया था दरअसल वो श्यामजी कृष्ण वर्मा थे. ऐसे ही, नरेंद्र मोदी की उस समय भी बहुत किरकिरी हुई थी, जब उन्होंने पटना में रैली को संबोधित करते हुए कह दिया था कि सिकंदर की सेना ने पूरी दुनिया जीत ली थी, लेकिन जब उन्होंने बिहारियों से पंगा लिया था, उसका क्या हश्र हुआ था यह सभी जानते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि सिकंदर की सेना ने कभी गंगा नदी भी पार नहीं की थी. अब कहने को तो यह भी कहा जा सकता है कि यह सब शाब्दिक गलतियां हैं, किन्तु सवाल तो यह भी है कि वह कोई आम पद पर नहीं हैं और उनके भाषणों और उसके तथ्यों को चेक करने के लिए एक से बढ़कर एक ब्रिलिएंट टीम (Prime Minister Narendra Modi Speech, Central Government) है. ऐसे में सवाल तो यह भी उठता है कि क्या जानबूझकर यह सब हुआ है, आने वाले कई विधानसभा चुनावों के मद्देनजर या फिर नौकरशाही लापरवाह हो रही है? दोनों ही स्थितियां ठीक नहीं हैं, ख़ासकर नौकरशाही की लापरवाही क्योंकि पहले ही मोदी सरकार को 'नौकरशाहों की सरकार' कहा जा रहा था, जहाँ मंत्रियों को कम और अफसरों को ज्यादा पावर दी गई है. ऐसे में इन गलतियों के लिए जवाबदेह लोगों को सजा क्यों नहीं मिलनी चाहिए? इन शाब्दिक गलतियों के अतिरिक्त, पीएम मोदी के कार्यों की शिनाख्त भी एक सरसरी दृष्टि से कर लिया जाना चाहिए. देखा जाए तो मोदी सरकार बार-बार पिछली यूपीए सरकार के मानकों से अपनी तुलना करती हैऔर फिर अपनी सरकार को 19 की बजाय 20 अंक देकर अपनी पीठ थपथपा लेती है. पर क्या वाकई 19 से 20 अंकों की बढ़ोत्तरी के लिए ही जनता ने भाजपा को केंद्र में बिठाया है? क्या वाकई कुछ किलोमीटर ज्यादा सड़क बना लेना या कुछ अधिक सोलर पैनल लगा देने भर से ही जनता संतुष्ट हो जाने वाली है? क्या सच में अधिकाधिक देशों की यात्रा करने और मन की बात करने से जनता की समस्याएं हल हो जाने वाली हैं?


इसे भी पढ़ें: लाल किले से पीएम का 'बलूचिस्तान ज़िक्र' एवं अन्य मुद्दे!


अगर तर्कों के आधार पर बात की जाए तो नरेंद्र मोदी से जिस चीज की सर्वाधिक उम्मीद थी, वह निश्चित रूप से 'नौकरियों का सृजन' था, जिसमें कुछ ख़ास परिवर्तन नहीं दिख रहा है. विदेश नीति में अमेरिका के साथ सम्बन्ध सुधारना जॉर्ज बुश के शासनकाल से ही शुरू हो गए थे, जो स्वाभाविक रूप से आगे बढ़ रहे हैं. रही बात पाकिस्तान की तो इस मोर्चे पर सरकार को 10 में से 3 नंबर भी शायद ही मिले. इस सम्बन्ध में अनुभवी कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी का इस बार का तर्क शायद ही कोई गलत ठहराए, जिसमें उन्होंने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार की विदेश नीति ‘सहसा और बिना सोच वाली’ है. येचुरी ने आगे कहा कि ‘‘भारत सरकार कश्मीर पर ऐसी नीति का अनुसरण कर रही है जिसके आगे दुष्प्रभाव होंगे. हमें कश्मीर के भीतर मुद्दों का निवारण करना चाहिए. भारतीय संसद के एक प्रतिनिधिमंडल (Prime Minister Narendra Modi Speech, Central Government, Kashmir Issue) को जमीनी हालात को देखने के लिए भेजना चाहिए.’’ सबसे दिलचस्प बात येचुरी ने आगे कही कि ‘‘इसी मोदी सरकार ने भारत-पाक संवाद के पैकेज का एलान किया था, लेकिन बाद में वे बातचीत से पीछे हट गए. फिर अचानक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर का भोज करने के लिए पाकिस्तान पहुंच गए और कहा कि बातचीत बहाल होगी. अब वे कह रहे हैं कि कोई बातचीत नहीं होगी.’’ थोड़ा और पीछे जाकर देखें तो पाकिस्तान के जांचकर्ताओं को पठानकोट हमले के मामले में घर में घुसने की इजाजत दे दी गयी, जो पहली बार हुआ. थोड़ा और ईमानदारी से आंकलन करें तो पीएम ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान मुद्दे का ज़िक्र तो लाल किले से कर दिया है, किन्तु उस मुद्दे पर सरकार आगे कैसे बढ़ेगी, इसका रोडमैप कहीं नज़र नहीं आ रहा है.


इसे भी पढ़ें: गाय हमारी माता है, पर हमें कुछ नहीं आता है!


आखिर पीएम कोई एक व्यक्ति तो हैं नहीं, बल्कि उनकी बात सवा सौ करोड़ देशवासियों की बात है और जब सवा सौ करोड़ देशवासी 'बलोच राजनीति' में रुचि रखने की बात लाल किले के मंच से कहते हैं तो फिर इसे आगे भी जारी रखना होगा. घरेलु राजनीति में जरूर पीएम को इसका फायदा मिलेगा, ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान के नवाज़ शरीफ 'कश्मीर-कश्मीर' चिल्लाकर अपनी घरेलु राजनीति में फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. पर न तो पाकिस्तानी पीएम को पता है कि 'कश्मीर-कश्मीर' चिल्लाने का दुष्परिणाम क्या होगा और न तो हमें पता है कि 'बलोच राजनीति' पर हम आगे कैसे बढ़ेंगे? इससे भी आगे, लाल किले के भाषण पर ही, जिस प्रकार देश के मुख्य न्यायाधीश ने 'न्यायिक नियुक्तियों' पर कुछ न बोलने के लिए पीएम की आलोचना की, उसे भी सरकार को गंभीरता से देखना चाहिए. नारी-सुरक्षा पर भी पीएम ने लाल किले से कुछ खास नहीं कहा तो 'नौकरियों के सृजन' की कोई बड़ी रूपरेखा प्रस्तुत नहीं की. ऐसे में पीएम के कहे 'शब्दों' में तो गलती नज़र आती ही है, जिसे शायद शाब्दिक और मानवीय भूल कह कर जनता क्षमा कर दे, किन्तु उनके कार्यों में 'जुमलेबाजी' को जनता शायद ही अनदेखा करे!


- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.

मिथिलेश कुमार सिंह की अन्य किताबें

1

पोर्न पर राष्ट्रीय चर्चा का मतलब

7 अगस्त 2015
0
3
1

.... एक आंकड़े के अनुसार, भारत में आज भी 20 करोड़ लोग भूखे सोने को मजबूर हैं. क्या पोर्नोग्राफी जैसे मुद्दे को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बनाना उन भूखे नंगों का मजाक उड़ाना नहीं है. ऐसे विषयों पर दिमाग कुंद हो जाता है तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सांप सूंघ जाता है. सभी आंकड़े उलटे पुल्टे हो जाते हैं और क

2

यही कहती है हिन्दी... Kundaliya on Hindi by Mithilesh - Mithilesh's Pen | My Writing | Social, Political, Technical Articles.

13 सितम्बर 2015
0
2
0

Kundaliya on Hindi by Mithilesh

3

एंड्राइड ऐप का है ज़माना, आसान है बनाना! Free Android apps making guide, hindi tips, mithilesh2020

22 अप्रैल 2016
0
2
0

... सूचना प्रौद्योगिकी के लिए 'पैसे' खर्च करने वाले मित्रों से मैं हमेशा ही कहता हूँ कि इंटरनेट की दुनिया में कुछ नहीं बहुत कुछ मुफ्त है, बस जरूरत है थोड़ी सावधानी से उन्हें ढूँढ़ने और उसके ट्यूटोरियल्स देखने की. चूंकि, कई ट्यूटोरियल इतने आसान होते हैं कि उनके लिए आपको बहुत ज्यादा दिमाग नहीं खपाना होग

4

किन्नर अधिकारों की लड़ाई में सार्थक कदम! Transgender rights and Mahamandleshwar Lakshi in Simhasth, Hindi Article

5 मई 2016
0
2
0

... यदि व्यक्तिगत रूप से कहूं तो यह थोड़ा अजीब तो है, किन्तु जब बात एक बड़े समूह के अधिकारों और उनके जीवन जीने के ऊपर हो तो फिर यह निर्णय बेहद उचित प्रतीत होता है. भारतीय जीवन दर्शन में तो 'जीव-मात्र' के अधिकारों की बात कही गयी है और 'किन्नरों' के सन्दर्भ में इसे भारतीय समाज में पहले से ज्यादा स्वीकृत

5

बसपा और भाजपा से काफी आगे हैं अखिलेश!

14 जून 2016
0
1
2

अपने कई परिचितों से जब उत्तर प्रदेश की चुनावी गणित पर बात करता हूँ तो तमाम किन्तु और परन्तु के बावजूद अखिलेश यादव का पलड़ा भारी नज़र आता है. हालाँकि, कई लोग बसपा की मायावती के सत्ता में आने की सुगबुगाहट भी दिखलाते हैं, जैसा कि पिछले कुछ सर्वेक्षणों में भी दिखाया गया है, लेकिन जब इसके कारणों की पड़ताल क

6

अखिलेश सरकार को बदनाम करने की साजिश!

21 जून 2016
0
0
0

इस लेख की शुरुआत उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य्मंत्री मायावती के उस बयान से करना चाहूंगा, जिसमें उन्होंने कैराना मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग देने के लिए भाजपा की कड़ी निंदा करते हुए खोजी पत्रकारों की तारीफ़ की. हालाँकि, प्रदेश की कानून-व्यवस्था के लिए उन्होंने अखिलेश यादव को भी जरूर घेरा लेकिन भारतीय जनत

7

रूकना चाहिए पशुओं पर अत्याचार! Human civilization and animal, Cruelty, Hindi Article

21 जून 2016
0
2
0

जब से मानव ने सभ्यता सीखनी शुरू की और अपना विकास करना प्रारम्भ किया, लगभग तभी से उसने जानवरों के महत्व को भी समझ लिया था. उसने कुत्तों की वफ़ादारी को देखा और उसे अपना साथी बना लिया, जिससे उसे सुरक्षा मिली तो अपने भोजन और भूख की समस्याओं से निपटने के लिए उसने गाय और भैंस पालने शुरू कर दिए. सामान ढोने

8

बुंदेलखंड की बड़ी समस्या और अखिलेश यादव का मरहम!

26 जून 2016
0
0
0

वैसे तो बुंदेलखंड अपने दुर्भाग्य के लिए हमेशा ही चर्चा में बना रहता है, किन्तु पिछले दिनों पानी से भरी ट्रेन इस क्षेत्र में पहुँचने की खूब चर्चा रही जो अंततः खाली निकली. इस बात को लेकर पहले अफवाह फैलाई गयी कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बुंदेलखंड में पानी पहुंचा पाने में असफल रहे हैं, लेकिन जब अखिले

9

इसरो ने रची 'बेमिसाल' कामयाबी - ISRO launches 20 satellites, Hindi Article

26 जून 2016
0
2
0

... बताते चलें कि जो 20 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे गए हैं उनमें से 3 भारतीय और 17 विदेशी उपग्रह थे. जिसमें काटरेसैट-2 श्रृंखला का एक उपग्रह और दो चेन्नई के सत्यभामा विश्वविद्यालय और पुणे के कॉलेड ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा तैयार उपग्रह था. बाकी के 17 उपग्रह अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया क

10

अपराध के राजनीतिक संरक्षण पर अखिलेश का 'वीटो'! Akhilesh Yadav against criminal, hindi article

3 जुलाई 2016
0
1
0

कल तक जो विश्लेषक यूपी की समाजवादी पार्टी सरकार को अपराधियों की मददगार मानते थे, वही आज अखिलेश यादव की मुक्तकंठ से सराहना कर रहे हैं. पिछले दिनों कई लेख और रिपोर्ट देखी, जिसमें अखिलेश यादव ने अपनी सरकार के आगे जाने का रोडमैप बेहद सख्ती से लागू किया. अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्

11

कोच पद के लिए रवि शास्त्री का अनुचित प्रलाप! Ravi Shastri Sourav Ganguly, controversy, Hindi Article, BCCI, Mithilesh

3 जुलाई 2016
0
3
0

दुनिया के सबसे ताकतवर क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में जब अनुराग ठाकुर चयनित हुए, तब उन्होंने भारतीय क्रिकेट में सुधार को लेकर कई सारी प्रतिबद्धताएं व्यक्ति कीं, पर यह उनका दुर्भाग्य ही है कि इंडियन टीम के कोच-चयन को लेकर ही बड़ा विवाद खड़ा हो गया. हालाँकि, इसमें प्रथम दृष्टया गलती वरिष्ठ ख

12

सामाजिक-समीकरण एवं प्रदर्शन के अनुरूप है 'केंद्रीय मंत्रिमंडल-विस्तार' - Modi cabinet expansion, Irani, Javdekar, Hindi Article

6 जुलाई 2016
0
3
0

... अपने मंत्रिमंडल में विस्तार करते हुए नरेन्द्र मोदी ने 19 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई, जिनमें शामिल हैं फग्गन सिंह कुलस्ते, अनिल माधव दवे, एसएस अहलुवालिया, रमेश चंदप्पा, राजेन गोहेन, रामदास अठावले, जसवंत सिंह भाभोर, अर्जुनराम मेघवाल, पुरुषोतम रुपाला, अजय टम्टा, महेंद्र नाथ पांडेय, कृष्णा राज, मनसुख

13

'वेबसाइट' न चलने की वजह से आत्महत्या ... !!! ??? Website, Blog, Portal Business, Failure, Suicide, Reason, Solution, Hindi Article, Mithilesh

6 जुलाई 2016
0
3
1

... आज केवल पत्रकारिता, लेखन में ही नहीं बल्कि टूरिज्म, मेडिकल, स्कूलिंग हर क्षेत्र में इंटरनेट जड़ तक घुसने के लिए ज़ोर लगा रहा है. चूंकि, मैं खुद इस व्यवसाय से पिछले 8 सालों से (8 Year experience in Digital marketing) सीधा जुड़ा हुआ हूँ और रोज अनेक क्षेत्रों से मेरे पास इंक्वायरी आती है कि मिथिलेश जी

14

प्रचार नहीं, 'अच्छे कार्यों का प्रसार' बना अखिलेश की पहचान!

12 जुलाई 2016
0
0
0

विश्व जनसँख्या दिवस 11 जुलाई को आकर चला गया. कई जगहों पर छिटपुट कार्यक्रम भी हुए, किन्तु इस दिन बड़े स्तर पर पर्यावरण को लेकर जो सरकारी जागरूकता दिखाई देनी चाहिए थी, वह कहीं दिखाई नहीं दी, सिवाय उत्तर प्रदेश के! सवाल है कि आप लोगों को जनसँख्या के प्रति, पर्यावरण के प्रति कैसे जागरूक करेंगे? अगर आप कि

15

चिट्ठी आयी है, आयी है ... Satire on letter writing, Ravish Kumar, Rohit Sardana, Journalism!

13 जुलाई 2016
0
2
0

आजकल चिट्ठियों की बड़ी चर्चा है और हो भी क्यों न आखिर कंप्यूटर, स्मार्टफोन के युग में कोई 'चिट्ठी' लिखे तो यह बात 'एंटीक' सा लगता है और बड़े लोगों को तो वैसे भी 'एंटीक' चीजें पसंद होती हैं. चिट्ठियों का इतिहास हम देखते हैं तो इसे 'प्रेम-पत्र' के रूप में कहीं ज्यादा मान्यता प्राप्त रही है. मसलन कुछ साल

16

यूपी चुनाव में बसपा, सपा, भाजपा और कांग्रेस का दांव! UP Election 2017, Complete Analysis, New Hindi Article, Mithilesh

15 जुलाई 2016
0
1
0

... पर कांग्रेस के लिए ऐसे दबंग और आपराधिक मुस्लिमों से खुलेआम हाथ मिलाना नामुमकिन की हद तक मुश्किल होगा, पर यह राजनीति है और राजनीति में कुछ भी 'नामुमकिन' नहीं होता है. प्रियंका गांधी के बारे में कहा जा रहा है कि वह प्रदेश भर में (UP Election 2017) प्रचार करेंगी और ऐसा होने पर उनकी जनसभाओं में भीड़

17

राम जेठमलानी द्वारा अखिलेश की तारीफ़ के मायने! Ram Jethmalani, Akhilesh Yadav and Politics

23 जुलाई 2016
0
0
0

राम जेठमलानी के बेबाक अंदाज़ को भला कौन नहीं जानता है. देश के मशहूर वकील उन लोगों में गिने जाते हैं, जो किसी भी मुद्दे पर सटीक टिपण्णी करते हैं. वह टिपण्णी करने से पहले यह नहीं सोचते हैं कि उनके सामने कौन खड़ा है और उससे उन्हें क्या फायदा या नुक्सान हो सकता है, बस उन्हें जो सच लगता है कह देते हैं. राज

18

फ़िल्मी दुनिया के 'भगवान' सिर्फ 'रजनी सर' ही क्यों, दूसरा क्यों नहीं? Rajinikanth, God for fans, Kabali Movie, Hero and Actors, Hindi Article, Review,

23 जुलाई 2016
0
3
0

हमारे देश में वैसे भी फिल्मों का प्रभाव किसी भी दुसरे माध्यम से ज्यादा है और बात जब 'रजनीकांत' जैसे सुपर-स्टार की हो तो फिर बाकी सब कुछ उसके सामने 'छोटा' दिखाई देने लगता है. आज 21वीं सदी में क्या आप इस बात की कल्पना भी कर सकते हैं कि किसी फिल्म की रिलीज-डेट पर कई बड़ी कंपनियां 'छुट्टी' की घोषणा कर दे

19

अगला नम्बर 'आपका' है ... !!

3 अगस्त 2016
0
3
0

पीछे की गली में मुशायरा चल रहा था, लेकिन उसका मन आज टीवी पर ख़बर देखकर विक्षिप्त सा हो गया था!यूं तो आये दिन वह रेप, बलात्कार की खबरें (Short story on rape) सुनता रहता था, किन्तु जैसे-जैसे उसकी बेटी बड़ी हो रही थी, ऐसी हर ख़बर उसे अपने ऊपर लगने लगती थी.आज किसी हाईवे पर हुई दरिंदगी की ख़बर सुनकर वह कांपन

20

हाईवे रेप-मामले में अखिलेश-प्रशासन का नाकारापन एवं समाज की चुप्पी! Crime in Uttar Pradesh

9 अगस्त 2016
0
1
0

कई बार एक सीधा प्रश्न मन में उठता है कि अपराध की रोकथाम के लिए गंभीरता से प्रयास हमारे भारत भर में आखिर कौन करता है? आपको इसका जवाब सौ फीसदी नकारात्मक ही मिलेगा. 16 दिसंबर 2012 को पूरे देश को हिला देने वाला 'निर्भया रेप-काण्ड' घटित हुआ और इसके लिए सड़क से संसद तक खूब हो-हल्ला मचा, कानून भी बना, महिला

21

गाय हमारी माता है, पर हमें कुछ नहीं आता है! Gorakshak Dal

9 अगस्त 2016
0
2
0

20वीं सदी में शायद ही कोई ऐसा बच्चा हो, जो स्कूल गया हो और उसने हिंदी या इंग्लिश में गाय पर निबंध न लिखा हो. गाय हमारी माता है, गाय के चार पैर, दो कान, दो सिंग और बला, बला...मुझे याद आता है, उस समय जब कोई विद्यार्थी गाय (Prime Minister Narendra Modi Lesson, Cow Protection) पर कुछ बोल नहीं पाता था, फ

22

अब पीएम के 'कार्यों और बयानों' का आंकलन होना ही चाहिए!

21 अगस्त 2016
0
1
0

2014 के लोकसभा चुनाव में भारत की जनता ने भारी बहुमत से गुजरात के मुख्यमंत्री को भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बिठाया. शुरू के कुछ सालों में जनता और कई विश्लेषक पीएम के कार्यों का मिला-जुला आंकलन करते रहे, तो कइयों ने उन्हें 'हनीमून पीरियड' के रूप में 'सख्त विश्लेषण' से छूट भी दी. पर अब लगभग ढ़ाई

23

रक्षाबंधन पर यूपी सीएम का 'सराहनीय' प्रयास! Raksha Bandhan and Akhilesh Yadav

26 अगस्त 2016
0
0
0

रक्षाबंधन के अवसर पर उत्तर प्रदेश की लड़कियों के लिए इससे बेहतर तोहफा और क्या हो सकता है कि उन्हें सीएम अखिलेश यादव ने 30-30 हजार रुपये का चेक सौंपना शुरू किया है. जी हाँ, यूं तो कन्या विद्या धन योजना उत्तर प्रदेश सरकार की पुरानी योजना है, किन्तु इस बार जिस बड़े स्तर पर मुख्यमंत्री ने इसे व्यवहार में

24

रिजर्व बैंक में नयी 'ऊर्जा' और किन्तु-परंतु ... Reserve Bank of India, Governor Urjit Patel, Raghuram Rajan

26 अगस्त 2016
0
1
0

दर्जनों नामों के उछलने और 'लार्जर देन लाइफ' की इमेज बना चुके रघुराम राजन के उत्तराधिकारी की खोज इतनी भी आसान नहीं थी और इसके लिए मोदी सरकार ने माथापच्ची भी खूब की. अब पिटारा खुल गया है और उस पिटारे से जो नाम निकला है, वह 'उर्जित पटेल' का नाम है. अब आरबीआई के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल भारतीय रिजर्व ब

25

भारत के वर्तमान सैन्य विकल्प एवं 'एटॉमिक फियर' से मुक्ति! Uri attack news, Hindi Article

21 सितम्बर 2016
0
2
0

कश्मीर स्थित उरी में आतंकियों के माध्यम से एक बार फिर पाकिस्तान ने हमारे 17 निर्दोष जवानों को मौत के मुंह में धकेल दिया है. सारा देश क्रोध से उबल रहा है, तो सरकार सहित तमाम मीडिया संस्थान घटना का विभिन्न स्तर पर लेखा-जोखा कर रहे हैं. इस हमले के बाद लगातार मैंने भी तमाम भारतीय नागरिकों की तरह विभिन्न

26

राहुल गाँधी की 'खाट' पर भला क्यों बैठेगी यूपी की जनता?

23 सितम्बर 2016
0
1
2

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को अपने लंबे इतिहास में उतने बुरे दिन कभी नहीं देखने पड़े हैं, जितना इस पार्टी ने राहुल गाँधी के सक्रीय राजनीति में आने के बाद देखा. आखिर, कौन कल्पना कर सकता था कि कभी भारत भर में वर्चस्व रखने वाली कांग्रेस पार्टी एक-एक करके न केवल तमाम राज्यों से सिमट जाएगी, बल्कि

27

स्टूडेंट्स के लिए क्यों जरूरी है ब्लॉगिंग: महत्त्व एवं रास्ता

30 सितम्बर 2016
0
0
0

21वीं सदी में लगभग हर वह चीज बदल चुकी है या बदल रही है जो हमारे जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती रही है. इनमें कृषि, मीडिया-क्षेत्र, नौकरियों का प्रारूप इत्यादि शामिल किया जा सकता है, किन्तु दुर्भाग्य से यही बात 'एजुकेशन सिस्टम' के लिए समग्रता से नहीं कही जा सकती है. इसी क्रम में

28

मजबूत होकर वापसी कर सकते हैं अखिलेश!

4 अक्टूबर 2016
0
1
3

कहते हैं जो बाजी हारकर जीत जाए, वही सिकंदर कहलाता है. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की सत्ता पर विराजमान समाजवादी पार्टी में जो कलह खुलकर सड़कों पर सामने आयी, उसने इस पार्टी के सामने विपक्ष की चुनौतियों के अतिरिक्त नयी चुनौतियां भी पैदा कर डाला. अगर आप राजनीति के इतिहास को देखें तो इस तरह के आपसी विवाद, ल

29

ताबड़तोड़ मेट्रो प्रोजेक्ट्स के लिए अखिलेश यादव को धन्यवाद!

13 अक्टूबर 2016
0
0
0

उत्तर प्रदेश में अगर सबसे बड़े औद्योगिक शहर का नाम लिया जाए तो बिना किसी संदेह के कानपुर का नाम लिया जा सकता है, वह भी आज से नहीं, बल्कि कई दशकों से! वस्तुतः देश भर में कानपुर का विशेष स्थान है, किन्तु दुर्भाग्य से इस शहर की उपेक्षा काफी हद तक हुई थी, जिसे सुधारने का यत्न करते जरूर दिख रहे हैं अखिलेश

30

दिवाली का भारतीय अर्थशास्त्र एवं चीन संग आधुनिक व्यापार!

20 अक्टूबर 2016
0
2
1

दोनों शब्दों का इन दिनों खूब तालमेल नज़र आ रहा है. मीडिया से लेकर सोशल मीडिया और भारत से लेकर चीन तक इस उहापोह पर कड़ी नज़र भी रखी जा रही है. इस बात में रत्ती भर भी संदेह नहीं होना चाहिए कि वगैर राष्ट्रीय भावना के कोई राष्ट्र लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता और हमारे त्यौहार निश्चित रूप से लोगों को सामाज

31

हाँ, मोदी या इंदिरा के राजनीतिक उभार से जरूर सीख लें अखिलेश!

28 अक्टूबर 2016
0
1
0

समाजवादी पार्टी के हाई प्रोफाइल ड्रामे के बीच 24 अक्टूबर को हुई पार्टी की महाबैठक में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को सीख देते हुए कहा कि उन्हें पीएम मोदी से सीखना चाहिए, जो प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अपनी माँ को नहीं भूले हैं. हालाँकि, सपा सुप्रीमो का सन्दर्भ यह था कि वह शिवपाल यादव, अमर सिंह क

32

खतरनाक प्रोडक्ट्स का पैसे के लिए विज्ञापन करते भारतीय सेलिब्रिटीज और जेम्स बांड!

30 अक्टूबर 2016
0
1
0

हमारे देश में यह नई बात नहीं है कि सिर्फ और सिर्फ पैसे की खातिर तमाम सेलिब्रिटीज उन वस्तुओं को भी प्रमोट करते नज़र आ जाते हैं, जो आम जनता के लिए सीधे तौर पर हानिकारक होता है. अगर घुमा फिरा के बात ना की जाए तो हमें नज़र आ जायेगा कि तमाम टॉप ग्रेड स्टार बॉलीवुड के सितारे हों अथवा क्रिकेट खिलाड़ी हों, उन

33

'अमर सिंह' जैसे तो बदनाम होने के लिए ही बनते हैं, किंतु ...

31 अक्टूबर 2016
0
1
0

समाजवादी पार्टी में हो रही पारिवारिक और राजनैतिक उठापटक से भला कौन परिचित नहीं होगा. जूतमपैजार मची है, एक दूसरे की टांग खींचने की जैसे प्रतियोगिता हो रही है और तो और अब पिता को कोई शाहजहां बता रहा है तो बेटे को कोई औरंगजेब! चाचा-भतीजा, भाई, सौतेली माँ इत्यादि सभी पारिवारिक मसाले इस ड्रामे में दिख रह

34

कश्मीरी आवाम के लिए भस्मासुर बन चुके हैं 'हुर्रियत अलगाववादी'!

2 नवम्बर 2016
0
1
0

जम्मू कश्मीर में पिछले दिनों से चल रही हलचल पर हर भारतीय दुखी हुआ होगा. आखिर कौन चाहता है कि उसके अपने ही भाई, उसके अपने हमकदम भारतीय लगातार कई महीनों तक कर्फ्यू से परेशान रहें, दुखी होते रहें! बड़ा आसान है कह देना कि इन समस्याओं के लिए भारत की सरकार या जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार जिम्मेदार है, मगर

35

ट्रंप की जीत के मायने, 'अमेरिका-भारत-रूस' का त्रिकोण संभव!

13 नवम्बर 2016
0
0
0

दुनिया भर में तमाम बदलाव हो रहे हैं एवं लोगों की मानसिकता भी उसी अनुपात में बदल रही है. कहा गया है कि 'परिवर्तन संसार का नियम है' और इस बात को श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने सविस्तार समझाया है. डोनाल्ड ट्रंप को पिछले 1 साल से हमने, आप ने खूब सुना है. हालांकि यह नाम उससे पहले भी रियल एस्टेट

36

पाकिस्तानी आर्मी के नए जनरल बाजवा एवं ... !!

29 नवम्बर 2016
0
1
0

हमारे पडोसी देश पाकिस्तान की आर्मी के अब तक सैन्य प्रमुख रहे राहिल शरीफ ने बिना किन्तु-परंतु के अपना पद छोड़कर एक अलग उदाहरण पेश करने का साहस किया है, क्योंकि पाकिस्तान में अब तक अधिकांश सैन्य-प्रमुखों ने लोकतंत्र को कालिख ही लगाई है. जनरल मुशर्रफ एवं जिया उल हक़ जैसे सैन्य शासकों ने तो न केवल पाकिस्

37

दिल्ली की बदलती राजनीति में फिट हैं मनोज तिवारी

2 दिसम्बर 2016
0
2
2

नवंबर के आखिरी दिनों में जब लोकप्रिय भोजपुरी गायक मनोज तिवारी की दिल्ली प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष के रूप में घोषणा हुई तो मुझे कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ. बरबस ही बीता विधानसभा चुनाव याद आ गया जिसमें आम आदमी पार्टी ने क्लीन स्वीप करते हुए 70 में से 67 सीटें अपनी झोली में डाल ली थी. इस बात में कोई दो राय

38

क्या आप पेस्ट करने के साथ टेक्स्ट को हिंदी में बदलना चाहते हैं?

10 दिसम्बर 2016
1
0
0

'धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का' नामक यह मुहावरा जब भी बना होगा, निश्चित रुप से इसे बनाने वाले ने नहीं सोचा होगा कि इसका सर्वाधिक प्रयोग राजनीतिक संदर्भ में ही किया जाएगा. हाल-फिलहाल इसका सबसे सटीक उदाहरण पंजाब से आ रहा है. पंजाब चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, नेता और कार्यकर्त्ता भी इधर उधर

39

बाप रे बाप, मुलायम का ऐसा भयानक दांव! Akhilesh Yadav Hindi Article

3 जनवरी 2017
0
12
5

कई बार अपच हो जाने से मेरा पेट खराब हो जाता है तो मैं 'कायम चूर्ण' का सेवन कर लेता हूँ. हाल-फिलहाल, बाबा रामदेव का चूरन भी लाया हूँ. उत्तर प्रदेश में पिछले दो-तीन दिनों से जो हलचल मची है और ऊपर ऊपर जो कहानी दिख रही थी, वह पच ही नहीं रही थी. दोनों चूर्ण खाये मैंने, पर फिर भी यह बात पची नहीं कि अखिलेश

40

बिहार की खुलकर तारीफ सुनना 'आत्मा' को सुकून दे रहा है!

9 जनवरी 2017
0
3
0

Pride of Bihar, Hindi Article, New, Guru Govind Singh, 350 Prakash Utsav, History of Bihar Essay, Nitish Kumar, Laloo Yadavहिंदी भाषी क्षेत्र में बिहार राज्य का प्रमुख स्थान है और यहां की प्राचीन और समृद्ध संस्कृति ने देश को काफी कुछ दिया है. आप चाहे राजनीति की बात करें, कूटनीति या शिक्षा की बात कर

41

जुबां को 'छोटी' ही रखें 'विराट'

10 नवम्बर 2018
2
0
0

अगर तुम 'ऐसे' हो तो देश छोड़ दो अगर तुम वैसे हो तो देश छोड़ दो!अगर तुम 'यह' खाते हो तो देश छोड़ दो अगर तुम 'वह' खाते हो तो देश छोड़ दो!अगर तुम 'अलग' तरह की सोच रखते हो तो देश छोड़ दो और अगर 'किसी खास तरह की सोच से इत्तेफाक नहीं रखते' तो देश छोडकर चले जाओ!सच कहा जाए तो देश छोड़ने की बात आज-कल इतनी कै

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए