कांग्रेस ने तो स्वतंत्रता संग्राम लड़ा है अंग्रेजों के खिलाफ, और उन्हें पता है की देश को किस दिशा में सुख-समृद्धि मिलेगी. परंतु भाजपा के सभी शीर्ष नेता यानि की वाजपेयी-अडवाणी-मोदी पाकिस्तान जैसे शातिर दुश्मन के आगे विफल रहे हैं. शांति का सफ़ेद झंडा ले कर वाजपेयी जी पाकिस्तान गए और फिर कारगिल से सेना हटवा ली,और पाकिस्तान के हथियारबंद गुर्गों ने कारगिल पहाड़ों की चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया. कब्ज़ा छुड़ाने में भारतीय फ़ौज के अनेक जांबाज़ सैनिक मारे गए और फिर भी वाजपेयी जी ने नियंत्रण रेखा के पार न तो कार्यवाही ही करवाई, और न ही उन्होंने पाकिस्तान से कोई पूर्ण युद्ध ही लड़ा. इसके बाद अडवाणी जी पाकिस्तान यात्रा के दौरान भारत-पाकिस्तान के बंटवारे का कारण बने जिन्नाह की मज़ार पर माथा टेक के आ गए .
और नरेंद्र मोदी जी भी पाकिस्तान में नवाज़ शरीफ के जन्मदिन के दिन व जिस दिन उसकी रिश्तेदार की शादी भी थी, के मौके पर बिन बुलाये मेहमान बनकर पहुँच गए, और भला हो नवाज़ शरीफ का की उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री की बेइज़्ज़ती नहीं की . पर भारत की नाक तो कट ही गई.
अब नरेंद्र मोदी जी बलूचिस्तान में विद्रोह तेज़ होता देख कर फिर गलत कर बैठे. उन्हें वहां रसद-हथियार-जासूसों को भेजना चाहिए था जिससे की बलूचिस्तान की फ्रीडम मूवमेंट को बल मिलता . परंतु उन्होंने तो लाल किले से भाषण दे डाला और पाकिस्तान पहले ही सचेत हो गया. अब वह बलूचिस्तान के सभी उग्र और मुख्या विद्रोहियों को कत्ल कर देगा और विद्रोह को क्रूरता से कुचल देगा. और भारत के ये बीजेपी के नेता पब्लिक का वोट ही बंटोरते रह जाएंगे.
अब भी समय है, राहुल गाँधी सरीखे ज़िम्मेदार और कर्तव्यनिष्ठा नेता को चुन कर प्रधानमंत्री बनाओ ताकि देश मज़बूत हो सके. यूं नौटंकी-ड्रामे करने से पैसे का गबन छोटे स्तर पर नहीं, व्यापक स्तर पर हो रहा है, और हमारे प्रिय भारत देश की ताकत भी क्षीण हो रही है. इससे पहले की बहुत देर हो जाए, पाकिस्तान में जासूसी नेटवर्क को और अधिक गढ़ने और मज़बूत बनाने की आवश्यकता है.
जय भारत, जय भारतीय पितृ