आइये पढ़ते हैं इस पूरे मामले के बारे में:
1.
इंडिया ने 3 बिलियन डॉलर में ऐसी 6 पनडुब्बियों का ऑर्डर किया था. फ्रांस की कंपनी DCNS टेक्नोलॉजी देगी. बिल्डर कंपनी MDL है. इसको Project 75 के नाम से जाना जाता है. मुंबई के मझगांव डॉक में बनी पहली पनडुब्बी ‘कलवारी’का ट्रायल मई में हुआ था.
2.
DCNS के डॉक्यूमेंट्स पर Restricted Scorpene India लिखा हुआ है. मतलब ये पूरी तरह से भारत वाली पनडुब्बियों का डॉक्यूमेंट था.
3.
DCNS को अभी हाल में ही ऑस्ट्रेलिया से 50 बिलियन डॉलर का ठेका मिला है. इस कंपनी में फ्रांस सरकार की दो-तिहाई हिस्सेदारी है.
4.
पहली पनडुब्बी कलवारी तैयार है. मई में ट्रायल हुआ था. इस साल के अंत में नेवी में आ जाएगी.
5.
इस पनडुब्बी की खासियत ये है कि इसे देख और सूंघ पाना मुश्किल है. मतलब इसका स्टील्थ फीचर मजबूत है. ये किसी भी जहाज के नजदीक पहुंच सकती है. इसमें हथियार हैं, जो किसी को भी उड़ा सकते हैं. किसी पनडुब्बी को खोज के मारना हो, जानकारी इकठ्ठी करनी हो, माइन बिछाना हो, सबमें काम आएगी.
6.
पूरे ट्रॉपिकल एरिया में ये पनडुब्बी चलेगी. ट्रॉपिक मतलब बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से लेकर पूरे हिन्द महासागर तक.
7.
इसमें Weapons Launching Tubes (WLT) हैं. मतलब हथियार चलाने और रि-लोड करने का पूरा इंतजाम है.
8.
कलवारी को टाइगर शार्क भी कहा जाता है. टाइगर शार्क बोले तो गहरे समंदर की सबसे खतरनाक शिकारी.
9.
एक मजेदार बात ये है कि नेवी में एक परंपरा है. जिसके मुताबिक जब तक पहली पनडुब्बी या जहाज़ पानी में उतरता रहेगा, उसका नया वर्जन नहीं आएगा. हालांकि पहली कलवारी 1996 में उतरना बंद हुई थी. पर उसके दस साल बाद भारत ने फिर बनाने की शुरुआत की. कागज़-पत्तर करने में ही टाइम लग गया था.
10.
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि ये कहीं से लीक नहीं हुआ है. बल्कि हैकिंग का मामला है. मतलब किसी ने चुराई है ये जानकारी. मामले में जांच के आदेश हो गए हैं.
11.
अभी तक डॉक्यूमेंट किसी न्यूज़ एजेंसी के हाथ नहीं लगे हैं. ये भी क्लियर नहीं है कि कहां तक पहुंचे हैं ये डॉक्यूमेंट. या किसने निकलवाए हैं.