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क्या कश्मीर भारत के लिए बलुचिस्तान साबित हो रहा है ?

24 अगस्त 2016

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जब हम कश्मीर शब्द सुनते है तो हमारे दिमाग में सबसे पहले क्या विचार आता है सुन्दर घाटिया , चारो तरफ बिछी हुई बर्फ की सफ़ेद चादर ,पेड़ो से गिरते बर्फ के टुकड़े या फिर बंदूको से घिरे नवयुक , खून से लथफथ शवो को लिए उनके माता पिता या आज़ादी के नारे लगाते हुये छोटे बच्चे ? मेरे अनुमान के मुताबिक आपके दिमाग में दूसरी तस्वीर पहले आती होगी| लेकिन ऐसा क्यों ? जिस घाटी के बारे में मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने कहा था की " अगर दुनिया में कही स्वर्ग है तो वो यहाँ कश्मीर में है " | ऐसा क्या हो गया की जो घाटी कभी स्वर्ग के नाम से जानी जाती थी आज नरक से भी बुरी हो गयी है ? आओ इसके बारे में जानने की कोशिश करते है |



सन 1947 में भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिलने के बाद ,जम्मू -कश्मीर को भारत या पाकिस्तान में शामिल होने के लिए या स्वतंत्र रहने का विकल्प था| लेकिन तब के महाराजा हरि सिंह का जल्दी से कोई निर्णय नहीं लेने के कारण पाकिस्तान ने 1947 में कश्मीर पर हमलावरो एवं सेना को भेजकर आक्रमण कर दिया |इसके कारण राजा हरि सिंह को भागकर सहायता के दिल्ली आना पड़ा | तब हरि सिंह के जम्मू-कश्मीर को भारत में शामिल होने वाली संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद नेहरू ने सेना भेजकर पाकिस्तान से कश्मीर को आज़ाद करवाया | तब से लेकर अब तक पाकिस्तान भारत से कश्मीर को हड़पने के लिए कई जंग लड़ चूका है लेकिन सभी युद्धो में हार मिलने के कारण पाकिस्तान अब अवैध तरिके से कश्मीर में हथियार भिजवा रहा है यहा के नागरिको को भारत सरकार के विरुद्ध भड़का रहा है और उनको आतंकवादी संघटनो में शामिल कर रहा है | कश्मीर में भारत विरोधी नारे लगाए जा रहे है एवं पाकिस्तान एवं आईसीस के झंडे लहराए जा रहे है |


अभी हो रही कश्मीर में हिंसा के पीछे मुख्य वजह पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के नेता बुरहान मुज़्ज़फ़र वानी का भारतीयों सुरक्षा बालो द्वारा मारा जाना है | 2011 में पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होने के बाद बुरहन वानी इस संगठन के लिए सबसे ज्यादा नवयुवको को शामिल करने वाला नेता था |वह फेसबुक एवं व्हाट्सएप्प जैसे सामाजिक प्लेटफॉर्म्स पर कश्मीर की आज़ादी एवं भारत विरोधी विडियो बनाकर नवयुकों को उकसाकर अपने संगठन में शामिल करने के लिए प्ररेरित करता था |इस कारण वानी की कश्मीरी नवयुवको के बीच काफी लोकप्रियता बढ़ गयी थी | इसलिए उसकी म्रत्यु ने कश्मीर घाटी में हिंसा को और बल दे दिया |

वानी की मौत के बाद सुरक्षा बलो एवं प्रदर्शनकारियों के टकराव के बीच अब तक लगभग 70 से ज्यादा लोग एवं 15 जवान मारे जा चुके है |हज़ार से भी ज्यादा घायल हो चुके और सुरक्षा बालो दावा पेलेट बन्दुको का उपयोग करने पर कई युवक अंधे होने की कगार पर है | अधिकारियो द्वारा इन्टरनेट एवं लैंडलाइन जैसी संचार सुविधाओ को काटने एवं सख्त कर्फ्यू लगाने के कारन कई निर्दोष कश्मीरी डर -डर कर ज़िन्दगी जी रहे है |



सुरक्षा बालो एवं नवयुवाओ के बीच टकराव की मुख्या वजह सशस्त्र बल ( जम्मू-कश्मीर ) विशेष शक्तियां अधिनियम 1990 को लेकर है | इस अधिनियम के तहत सेना को किसी भी संदेहित को गिरफ्तार करने, मारने ,बिना वारंट के किसी घर एवं वाहन की छानबीन करने जैसी कई शक्तिया प्राप्त है |



6 हफ़्तों से भी ज्यादा दिनों से कश्मीर के बंद होने के बावजूद अभी तक भी राज्य एवं केंद्र सरकार इसका कोई हल नहीं ढूंढ पायी है और अपने अगले कदम के लिए बिलकुल भी सुनिशित दिखाई नहीं दे रही है अब तक दोनों सरकारे इस स्थिति को नियंत्रण करने में पूरी तरह से विफल रही है| गृहमंत्री राजनाथ सिंह विरोधी पार्टियों एवं विशेषग्यो जो उनके साथ फोटो खिंचाने में ज्यादा उत्सुक है के साथ मुलाकात करके पुरानी घिसीपिटी नीति अपना रहे है और प्रधानमंत्री मोदी जो साहसिक एवं अप्रत्याशित निर्णय लेने के लिए जाने जाते है इस विषय को लेकर अनभिज्ञ ( क्लू लेस) नजर रहे है |

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