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घोर मंहगाई के इस दौर में , जान इन्सान की सस्ती है |
जिसने जितना ठगा किसी को, उसकी उतनी हस्ती है ||
पर न हिम्मत हार ओ नेक इन्सान नसीब इसे मान कर ,
भ्रष्टाचार के भँवर में भी, नहीं डूबती ईमान की कश्ती है ||
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26 अगस्त 2016
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घोर मंहगाई के इस दौर में , जान इन्सान की सस्ती है |
जिसने जितना ठगा किसी को, उसकी उतनी हस्ती है ||
पर न हिम्मत हार ओ नेक इन्सान नसीब इसे मान कर ,
भ्रष्टाचार के भँवर में भी, नहीं डूबती ईमान की कश्ती है ||
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