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ममता की दिवार

26 अगस्त 2016

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कही जा रहे थे ! बस में थे , लगातार बरसात के चलते काफी जगह यातायात

में दिक्कत हो रही थी !

ट्रैफिक चरम पर था ,साँझ का समय था ! अचानक बस की खिड़की से देखते हुए

समीप ही आकर रुकी स्कुल बस पर नजर पड़ी ,स्कुल बस के स्टॉप पर बहुत सी महिलाओं

का झुण्ड अपने बच्चो की प्रतीक्षा कर रहा था !

स्कूल बस से बच्चो के उतरते ही अपने बच्चो के लिए प्रतीक्षारत माँए छाता लिए

सावधान की मुद्रा में आ गई ।
बारिश बड़ी तेज हो रही है । बरसात भी बड़ी तबियत के साथ हो रही है

तेज हवाए छतरियो को मुंह चिढ़ा रही है ,माँ तो भीगी जा रही है !
किन्तु चेहरे पर तनिक भी चिंता नहीं भीगने की !
चिंतित तो अपने बच्चो के लिए है , बच्चे भिग न जाये इस जद्दोजहद में हर माँ है ।

भारी बरसात में बस रुकते ही ,बच्चो का हुजूम बाहर की ओर दौड़ पड़ा !
हर बच्चा माँ के पास पहुँचने की जल्दी में है ,

बच्चो ने उतरते ही माँ की और रूख किया रेनकोट साथ थे लेकिन पहने नहीं थे ।

अभी बचपन है ,सुकुवार देह है ! रेनकोट तक माँ पहनाएगी तब पहनेंगे .

बाहर निकलते ही माताओ ने सबसे पहले बच्चो को छतरी से अच्छे से ढंक लिया,
तेज हवाओं के साथ बौछारे जारी है ! किन्तु माँ ने अपने कलेजे के टुकड़े को ,

हवा और बौछारों की दिशा के विपरीत रखा है और खुद बौछार और हवा के बिच दीवार बन कर खड़ी है !

भले ही इस प्रयास में खुद भीगी जा रही है ।
अपनी छत्री बच्चो को देकर उनके बैग अपने कंधो पर टांगे माँ बच्चो को रेनकोट पहनने में

जी जान लगाये दे रही है । किन्तु इस बात को पूरी तरह ध्यान में रखे हुए है


के बच्चो को एक बूँद भी न छू पाए !

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फिल्म एक नजर में : वेलकम बैक -ट्रांसपोर्टर रिफ्युल्ड

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फिल्म एक नजर में : डेडपूल

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लंडन हैज फॉलेन ( फिल्म समीक्षा )

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26 मार्च 2016
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फिल्म एक नजर में : दी जंगल बुक

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पुस्तक समीक्षा : ‘’जस्ट लाइक दैट ‘’

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लेखक : मिथिलेश गुप्ता lप्रकाशक : सूरज पॉकेट बुक्स lमिथिलेश गुप्ता से मेरी जान पहचान फेसबुक से ही हुयी है ,मै काफी अरसे से इन्हें जानता हु ,लेकिन मुलाक़ात हाल ही में मुंबई में इनकी पुस्तक के लांच के दरम्यान ही हुयी lउनसे मिलकर ऐसा ही नहीं के मै उनसे पहली दफा मिल रहा हु ,वे आसपास के ही पहचान के व्यक्ति

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पुस्तक समीक्षा : ‘’जस्ट लाइक दैट ‘’

13 जुलाई 2016
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कुछ अरसे पहले याली ड्रीम्स क्रिएशन की होरर ग्राफिक नॉवेल ‘’कारवाँ ‘’ रिलीज हुयी थी जिसे काफी चर्चा मिली थी , उसकी सफलता से प्रेरित होकर उसका हिंदी रूपांतरण भी किया गया ,जो मेरे व्यग्तिगत विचार से अंग्रेजी से भी बेहतर बनी थी l चूँकि मैंने हिंदी और अंग्रेजी दोनों पढ़ी हुयी है तो तुलनात्मक रूप से यदि कह

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दी सीक्रेट वर्ल्ड ऑफ़ एरियरीटी : फिल्म समीक्षा ( एनिमेशन )

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पुस्तक समीक्षा : रक्षक ( ग्राफिक नॉवेल )

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