shabd-logo

प्रथम मधुर मिलन ...

28 अगस्त 2016

1014 बार देखा गया 1014
featured image

निवेदन :-

इस पद्य में कम शब्दो में बहुत कुछ लिखने का प्रयास किया है और विद्वानों से निवेदन है कि इसकी व्याख्या करे और किसी भी त्रुटि के लिए सुझाव आमन्त्रित है



कविता के परिपेक्ष्य में:-


जब एक नव-विवाहिता अपने ससुराल जाती है और रात्रि की पहली मिलान बेला आती है तो उस नाव-युवती के हाव भाव क्या होते है ? उसका प्रथम पंक्ति में विवरण है और दूसरी पंक्ति में उसके आंतरिक हाव्-भाव एवम मिलान का वर्णन है



वो अक्षत यौवना, रात्रि पहर ,

वो मकरंदो से भरी हुई।

कातिल नैन और लाल अधर ,

शर्मो में लिपटी छुई -मुई।।


मन में उठती उद्वेग लहर ,

वो सकुचाई और सिमट गई।

नैनन स्नेह और हुई निडर ,

भौरे से मिली और पिघल गई।।

अनुराग मिश्र

अनुराग मिश्र

शब्द नगरी संगठन और रोहित जी दोनों को धन्यवाद ।

29 अगस्त 2016

4
रचनाएँ
mishraanurag17
0.0
मेरा एक ही वेबपेज होगा और अन्य नही बनाना चाहता । इस पृष्ठ में सभी लेख और कविताये प्रकाशित होगी ।
1

जल का संरक्षण ...

13 अगस्त 2016
0
2
1

सूखा , वर्षा, त्रासदी , पानी के सब मूल ।जल का दोहन न करे , प्रकृति होगी प्रतिकूल ।।प्रकृति होगी प्रतिकूल ,पड़ेगा भयंकर सूखा ।वन, पक्षी और मानव , बूँद बूँद को तरसा ।।कहत कवी अनुराग , जल का करो संरक्षण ।प्रकृति होगी खुशहाल , सबका होगा रक्षण ।।

2

वीर शहीदों को नमन. ...

15 अगस्त 2016
0
4
0

जिसका मुकुट हिमालय ,पैरो को धोता सागर ।विश्व-गुरु जो मार्ग दिखाए ,खतरे में है उसका आँचल ।।हत्यारा गजनी ने लुटा ,भारत माँ के गहनों को ।देश में बैठे जयचंदो ने ,बेच दिया अस्मत मुगलो को ।।व्यापारी बन आये इंग्लिश ,पुर्त और फ्रांसीसी आये ।पीठ में छुरा घोप हमारे, कर दिया देश परतंत्र ।।वीर शहीद जवानों ने, आ

3

प्रथम मधुर मिलन ...

28 अगस्त 2016
0
3
1

<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:Compatibility> <w:BreakWrappedTables></w:BreakWrappedTables> <w:SnapToGridInCell></w:SnapToGridInCell> <w:ApplyBreakingRules></w:ApplyBreak

4

गुरु की महिमा

5 सितम्बर 2016
0
1
0

शास्त्रों में " गु " का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और " रु " का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात दो अक्षरों से मिलकर बने 'गुरु' शब्द का अर्थ - प्रथम अक्षर 'गु का अर्थ- 'अंधकार' होत

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए