अगस्त के लिए चार किताबों का लक्ष्य था और ये किताबें सोचीं थीं:
1. Metamorphosis (फ्रैंज काफ्का)
2. गुनाहों का देवता (धर्मवीर भारती)
3. मेरे मंच की सरगम (पीयूष मिश्रा)
4. Home and the World (रबिन्द्रनाथ टैगोर)
इनमें से 'मेरे मंच की सरगम' और 'Home and the World' की delivery ही नहीं हो पाई। इसलिए इन दो किताबों की जगह ली ट्विंकल खन्ना की 'मिसेज़ फनीबोन्स' और जीनेट वॉल्स की 'द ग्लास कैसल' ने। अभी 'द ग्लास कैसल' पढ़ रहा हूँ और जल्द ही अनुभव साझा करूंगा।
सितंबर का
टार्गेट भी चार किताबों का है और जो किताबें चुनी हैं वे हैं:
1. The Home and The World (रबिन्द्रनाथ टैगोर)
2. मेरे मंच की सरगम (पीयूष
मिश्रा)
3. मधुशाला (हरिवंशराय 'बच्चन')
4. ब-बाय (कृष्ण बिहारी)