शर्बानी बसु की किताब आई थी लगभग 6 साल पहले. नाम था ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल: द ट्रू स्टोरी ऑफ क्वीन्स क्लोजेस्ट कांफिडेन्ट’. इस पर फिल्म बनने वाली है. ये खबर आपको मिल ही गई होगी. जेम्स बांड वाली ‘एम’ माने जूडी डेंच इसमें महारानी विक्टोरिया बनेंगी. और अपना लड़का अली फज़ल, जो अभी ‘प्यार मांगा है तुम्हीं से…’ वाले गाने में जरीन के साथ दिख रहा है. फास्ट एंड फ्यूरियस में भी आया था. वो अब्दुल बनेगा. स्टीफन फ्रेयर्स निर्देशन करेंगे ली हाल के पास पटकथा का झोला है.
पर ये अब्दुल उर्फ मुंशी है कौन? और काहे इस पर पिच्चर बन रही है, काहे ये इत्ता फेमस है?
दरअसल मुंशी का असली नाम हाफिज मोहम्मद अब्दुल करीम था. वो झांसी पास ललितपुर में पैदा हुआ था. तब इंडिया में अंग्रेज थे. साल 1863 था. जब अब्दुल 24 का हुआ तो उसकी किस्मत खुल गई. इंडिया की तरफ से दो नौकरों को महारानी को गिफ्ट में दिया गया. उनमें से एक अब्दुल था. 1887 का साल था. मौक़ा था विक्टोरिया के ब्याह के 50 साल होने का. आगरा के कलेक्टर ने खुद इंटरव्यू लेने के बाद उसे विदेश भेजा था.
बाद में वहां जाकर अब्दुल विक्टोरिया का चहेता बन गया. नाम मिला मुंशी. एक साल के अंदर ही वो महारानी को उर्दू और हिन्दी सिखाने लगा. इंडिया वाले मसलों में राय देने लगा. महारानी ने उसको इंडिया सेक्रेटरी बना दिया. इंडिया में जगह-जमीन दी. जहां जातीं उसको साथ में ले जातीं.
कुछ लोग उससे चिढ़ते भी थे. कहते हैं महारानी उसको चिट्ठी लिखती तो लास्ट में चुम्मी भी बनाती थी. हालांकि कुछ चिट्ठियों में महारानी ने ‘तुम्हारी मां’ और ‘तुम्हारी सबसे खास दोस्त’ भी लिखा है, लेकिन उसको लोग हलके में बताते हैं. उसमें इतना रस नहीं आता न. फिर इसका दूसरा वर्जन भी है, प्रिंस अल्बर्ट, रानी के पति जब मरे तब रानी ने उनको अपना पति, करीबी दोस्त मां और पिता बताया था. कहने वाले कहते हैं, ऐसा ही गहरा रिश्ता उनका मुंशी के साथ भी था.
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