जहाँगीर आलम:-शहर का अपना मिजाज होता है, यहाँ के लोगो की जीवन शैली भी अलग होती है. हर बात में दिखावा झलकता है, हर किसी को एक दुसरे से आगे निकलने की होड़ मची रहती है. ऐसा ही हो रहा है अपने शहर आसनसोल में. इसके फिजा, हवा में बदलाव आने लगे है. शहर आसनसोल शादियों पुराना शहर, विश्वभर के लोग जानते है इस शहर को. भारत देश में भी अपना अलग पहचान रखता है आसनसोल शहर. आसनसोल शहर है उस पश्चिम बंगाल राज्य का जहाँ की राजनीती भी अहिस्ताअहिस्ता करवट लेती है. आजादी के बाद से 25 वर्षो तक कांग्रेस रही . 34 वर्षो तक माकपा ने एक क्षत्र राज किया और अब बारी है ममता बनर्जी की अगुवाई वाली राजनितिक पार्टी तृणमूल कांग्रेस की. वर्ष 2011 में सत्ता परिवर्तन हुआ और वर्षो पुराणी माकपा की कुर्सी डोल गयी या कहिये धडाम से गिर गई. फिर परिवर्तन हुआ. यह परिवर्तन सिर्फ सत्ता का ही नहीं यहाँ के अवाम का भी परिवर्तन हुआ. सत्ताधारी लोग बदले तो मिजाज भी बदल गए. फिर दौर शुरू हुआ आसनसोल में एक तरफा राजनीति का. जो पञ्च वर्षो तक निर्बाध चलता रहा. लेकिन इसी वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने दुबारा उम्दा प्रदर्शन करते हुए पहले से ज्यादा सिटो पर काबिज हो गयी. लेकिन इस बार सरकार के मुड और सुर दोनों बदल गए. जहाँ शहर में एक राजा था वही दूसरा भी प्रकट हो गया. अब यहाँ दो क्षत्र राज की शुरुआत हो गयी. ये अपने ही कद को बढाने में एक दुसरे के टांग खीचने लगे. जिससे शहर में तृणमूल दो भागो में बंट गयी. अब जनता जनार्धन किधर जाये या वे समर्थक किधर जाये जो पहले एक क्षेत्र राज को भोगने में सहायक थे. अब तो सांप और छछूंदर की हालत हो गयी. किसकी निमंत्रण में जाये किसकी ना जाये अब तो फैसला करना भी मुश्किल हो रहा है. खैर अब आगे देखना है. कहते है ना की वक्त के पास हर सवाल का जवाब है ....