ऐ मेरे वतन के लोगो, ज़रा आंख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुरबानी
फौजी
दि रियल हीरो
मित्रों हम सभी को अपने फौजी भाईओं पर गर्व है होना भी चाहिए क्योंकि वो महान है देश के लिए जान की बाजी लगाकर इस मुल्क की इसमें रहने वाले हम तमाम बाशिंदों की हिफाजत करते हैं इसी कारण हम में से कोई महान डाक्टर बन पाता है कोई इंजीनियर कोई वकील कोई नेता कोई अभिनेता कोई पत्रकार वगैरह वगैरह अर्थात हम सबके सपनों को साकार करने में कहीं न कहीं फौजियों का बहुत बड़ा रोल है ।
कैसे
अगर फौजी सरहदों से हट जाए तो हम लोग केवल और केवल किसी मुल्क के गुलाम कहलाएंगे बात समझ आ रही है ना तथाकथित बुद्धिजीवियो जब तुम पर कोई बड़ा आतंकवादी हमला होगा तो तुम्हें इसी सेना की याद आएगी।
कुछ बुद्धिजीवी ,पत्रकार तथा अपना ईमान बेच चुके नेता अभिनेता खुद को महान बताने के चक्कर में फौजियों पर उनकी कार्रवाई पर आए दिन उंगली उठाते रहते हैं हो सकता है कि कुछ ईका-दुका फौजी गलत हों पर इसके लिए पूरी फौज पर उंगली उठाना गलत होगा इन लोगों को यह मालूम होना चाहिए कि एक गैर मामूली तनख्वाह पाने वाले उस महान फौजी के कारण ही यह लोग सुरक्षित हैं वरना यह लोग कुछ भी नहीं।
ओम पुरी साहब कहते हैं क्यों जाते हो फौज में मरने के लिए मत करो यह नौकरी
जनाब वो खून अलग होता है जो देश के काम आता है आप जैसों की रगों में वो खून नहीं है। नहीं है वो खून
तुम लोग बस कृतघ्न हो जो किसी के बलिदान का मजाक उड़ा सकते हो बस फौज की नौकरी के लिए जिगरा चाहिए जो बाज़ार में नहीं बिकता
किसी नेता अभिनेता क्रिकेटर या नामी बिजनेसमैन के बच्चे को फौज में जाते देखा है नहीं क्यों क्योंकि यह लोग राष्ट्रीयता के नाम पर कोढ़ हैं ।
तिरंगा हाथ में लेकर बस तस्वीरें खीचवां सकते हैं तस्वीरें और कुछ नहीं कर सकते।
देश के लिए जान देने वाले फौजी की जान की कोई कीमत नहीं है तभी तो नामी इंशोरेस कम्पनियां उनका जीवन बीमा करने से कतराती हैं
मरनो उपरान्त एक बड़े दर्जे के फौजी अधिकारी को कुछ सम्मान मिल भी जाए पर एक आम सिपाही को क्या मिलता है मौका परस्त लोग उनके बलिदान से भी फायदा उठाने में गुरेज़ नहीं करते
फौजियों की विधवाओं उनके अनाथ बच्चों के लिए समय की सरकारों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं जिससे किसी की शहादत के साथ न्याय हो सके।
" बहुत मुश्किल है वतन के लिए जान देना ठेस ना लग जाए कहीं आबगिनों को "