कला के लोगों का काम है कि पुल बनाते रहें और लोगों को अपने काम के जरिए करीब लाते रहें.
यह कहना है फिल्मकार किरण राव का. जो मुंबई एकेडमी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की चेयरपर्सन हैं. उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और यहां पाकिस्तानी फि़ल्मकारों और फिल्मों के विरोध के संदर्भ यह कहा है.
फिल्मकार किरन राव की बात सही है तो अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच लाइन ऑफ कंट्रोल कब की मिट चुकी होती. क्योंकि सारे जहाँ से अच्छा या तराना-ए-हिन्दी उर्दू भाषा में लिखी गई देशप्रेम की एक गज़़ल की रचना करने वाले इकबाल मोहम्मद का जन्म सियालकोट में हुआ था. तो फिल्मी दुनिया के बेहतरीन कलाकार दिलीप कुमार के जन्म का नाम मुहम्मद युसुफ़ खान है. उनका जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान) में हुआ था. दिलीप साहब को जहां 1995 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया तो वहीं 1998 में पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ भी प्रदान किया गया.
समझने वाली बात यह है कि जब दो देशों के बीच संबंध कटुता की परकाष्ठा पार करने के कगार पर पहुंच जाए, तब वहां पर पुल बनाकर क्या होगा. फिर पाकिस्तानी गायिका सलमा के निकाह फिल्म में गाए गीत दिल के अरमां आंसुओं में बह गए, को किस भारतीय ने नहीं सुना होगा.
हकीकत की दुनिया से दूर ख्यालों में कहानियों का फिल्मांकन करने वाले
बॉलीवुड के कलाकारों को अगर फिल्मों में काम करने और देश के सम्मान की इतनी ही चिंता है तो इंटरनेशनल लेबल के ऑस्कर प्राइज के लिए कोशिश करनी चाहिए. ख्यालों में पुलाव पकाने वालों को एलओसी पर भारतीय सैनिकों के कटे सिर या सोते समय भारतीय सैनिकों के मौत के दृश्य क्यों नहीं दिखाई देते.
हद है भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के कलाकारों की. कभी नसीरू दï्दीन शाह को अपनी बुक के प्रमोशन के लिए पाकिस्तान में कहना पड़ता है कि भारत में पाकिस्तान के खिलाफ माहौल तैयार किया जा रहा है तो कभी आमिर खान की पत्नी किरण राव को भारत में रहने से डर लगता है. पाकिस्तानी दर्शकों के मुरीद बनने को बेताब सलमान खान क्यों भूल जाते हंै कि उनकी फिल्मों को भारतीय दर्शक ही हिट करवाते हैं. इसी कड़ी एक कदम आगे बढ़ते हुए फि़ल्मकार अनुराग कश्यप ने तो ट्वीट के ज़रिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले साल लाहौर
यात्रा पर ही सवाल उठा दिए.
भारतीय कला फिल्मों के बेहतरीन कलाकार ओमपुरी के भारतीय सेना के जवानों की शहादत पर बेहद विवादास्पद बयान ने भारतीयों का सिर शर्म से झुका दिया. यह अलग बात है कि बाद में उन्होंने माफी मांग ली थी. ओमपुरी का कहना था कि किसने कहा है जवान से कि सेना में भर्ती हों और बंदूक उठाएं. एक न्यूज चैनल के डिबेट शो 'हम तो पूछेंगेÓ में सवाल था कि भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए देश में अलग-अलग सुर क्यों आ रहे हैं? पाकिस्तान के कलाकारों का समर्थन क्यों किया जा रहा है? इसी सवाल पर ओमपुरी ने कहा कि सरकार पर जोर डालना चाहिए कि वो पाक कलाकारों का वीजा रद करे. सैनिकों की शहादत पर ओमपुरी ने विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि क्या देश में 15-20 लोग ऐसे हैं, जिन्हें बम बांधकर पाक भेजा जा सके? उन्होंने कहा कि कौन जबरदस्ती लोगों को फौज में भेजता है. किसने उनसे कहा कि वे फौज में जाएं. उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन सिर्फ देश का विभाजन नहीं था वो परिवारों का भी विभाजन था, देश के तमाम लोगों के परिवार वहां रहते हैं, फिर कैसे जंग करेंगे.
ओमपुरी ने कहा कि सवाल उठाने वाले सरकार पर सवाल क्यों नहीं उठाते, उनसे क्यों नहीं कहते कि कैसे वो इन कलाकारों को वीजा देती है. कलाकार की कोई औकात नहीं होती और उससे सवाल पूछे जा रहे हैं.
हद कर दी फिल्मकारों ने. फिल्मनगरी बॉलीवुड में सीरियल धमाकों के मास्टर माइंड को किस देश ने पनाह दी है या होटल ताज में धमाके में गिरफ्तार आतंकी कसाब के लिए किस देश में सबसे ज्यादा छटपटाहट दिखाई दे रही थी. युवाओं का ब्रेनवॉश करके भारत में आतंकी हमले कराने वाला हाफिज सईद को किस देश की सरकार सुरक्षा दे रही है या अमेरिका का मोस्ट वांटेड आतंकी ओसामा बिन लादेन किस देश की सीमाओं के अंदर मारा गया. कल्पनाओं में जीने वाले कलाकारों को हकीकत की दुनिया में आंखें खोल कर ही अपना मुंह खोलना चाहिए. क्योंकि बात निकलती है तो दूर तक जाती है.
कला के प्रति समर्पण की भावना अच्छी बात है, लेकिन देश के मान-सम्मान के साथ खिलवाड़ करते हुए नहीं. मुंबई में 20 अक्टूबर से हो रहे मुंबई एकेडमी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल यानी मामी में इस साल 54 देशों की 180 फि़ल्में दिखाई जाएंगी, यदि इनमें से एक देश पाकिस्तान की फिल्म को जगह नहीं मिलेगी तो कोई प्रलय नहीं आ जाएगी. भारत सरकार आतंक को पालन-पोषण करने वाले पाकिस्तान को विश्व स्तर पर आतंकी देश घोषित करने की मुहिम चला रही है तो बॉलीवुड के कलाकार पुल बनाने का काम कर रहे है. हद है इन कलाकारोंं की.