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नोटबंदी स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी मानवीय सनसनी

27 नवम्बर 2016

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भारत 1947 में अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्र हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत लंबे समय तक भारतीयों ने विभाजन का दर्द झेला। कुछ संभले तो 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1965 में भारत-पाक युद्ध और दक्षिण भारतीयों का हिंदी विरोधी आंदोलन। प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के दौर में शुरु हुआ सनसनीखेज घटनाओं का दौर। 1969 में राष्ट्रपति चुनाव के निर्दलीय उम्मीदवार श्री वी.वी.गिरी चुनाव जीते और कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी चुनाव हार गए। इस चुनाव से पूर्व जब अमेरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड निकसन भारत आए थे तो उनकी आगवानी एवं बिधाई श्री एम. हिदायतुल्ला उस समय के मुख्य न्यायधीश ने बतौर कार्यवाहक राष्ट्रपति की थी। 1971 से प्रभावी 26वें संविधान संशोधन के अनुसार रजवाड़ों के प्रीवी पर्स रद्द कर दिए गए। अंग्रेजी शासन की समाप्ति के उपरांत रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने के एवज में रियासतों के रजवाड़ों को पेंशन मिलती थी जो इस संविधान संशोधन के माध्यम से समाप्त कर दी गई। श्रीमती इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई,1969 को 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया तथा अपने दूसरे कार्यकाल 1980 में 6 और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। उन्हीं के दौर में 55 भारतीय जनरल बीमा कंपंनिओं और 52 अन्य सामान्य कंपंनिओं का राष्ट्रीयकरण किया गया था।


1971 में भारत ने भारत-पाक युद्ध जीता। न केवल जीता पाकिस्तान की लगभग एक लाख सेना ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया जोकि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद किसी सेना की ओर से किए गए आत्मसमर्पण का विश्व रिकॉर्ड है, 1974 में पोखरान में प्रमाणू बम का परीक्षण करके पूरी दुनिया को हिला दिया। श्रीमती इंदिरागांधी के कार्यकाल में ही भारत खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हुआ था मगर 1974 के परमाणू परीक्षण के बाद नाटो देशों के दबाव में अनेक देशों की ओर से भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए। देश में महंगाई एकदम से बढ़ गई जोकि जनता के लिए अहितकर थी। उनके विरोधी उनपर हावी हो गए। उन्हें मजबूर होकर 1975 में देश में आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी। आपातकाल के दौरान ही संविधान में, 42 वां संविधान संशोधन और राजभाषा नियम, 1976 जैसी प्रमुख सनसनियां सामने आईं। मगर श्रीमती इंदिरा गांधी 1977 का आम चुनाव हार गईं। उनके दूसरे कार्यकाल की त्रास्दियां 1984 का ब्लू स्टार ऑपरेशन और पूरे देश में सिखों के विरुद्ध दंगे तो आज भी भूत बनकर कांग्रेस का पीछा कर रही हैं। उनके बाद केवल एक सनसनी श्री राजीव गाँधी ने अयोध्या में राम मंदिर के ताले खुलवाकर फैलाई जोकि कांग्रेस की नीतियों से हटकर थी जिसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को आजतक हो रहा है और वह सत्ता का सुख भोग रही है।


1991 से 1996 तक चली श्री पी.वी.नरसिमहा राव के नेतृत्व में चली कांग्रेस की अल्पमत सरकार ने तो ऐसी सनसनियां फैलाईँ जिनसे भाजपा को झोलियां भर भरकर लाभ मिल रहा है। डॉ मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाकर उदारीकरण की नीति लागू कराकर भारत की उद्योग और अर्थनीति में भारत की जनता के विरुद्ध जाने वाले निर्णयों को लागू कराना, 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस को रोकने में असफलता और कश्मीर नीति से संबंधित पाकिस्तान को माकूल जवाब देने के लिए संयुक्त राष्ट् संघ में श्री अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय दल संयुक्त राष्ट्र संघ में भेजना। 1998 से 2004 तक चली एनडीए की सरकार में पाकिस्तान में छुपे भारतीय मुजरिमों की एक सूची इस आग्रह के साथ पाकिस्तान को सौंपी गई थी कि इन मुजरिमों को भारत को सौंपा जाए। बदले में पाकिस्तान की ओर से भी एक सूची आई और कहते हैं कि उसमें उस समय के भारतीय उप प्रधानमंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी का भी नाम था। दिसंबर,1999 में भारतीय विमान का अपहरण और बदले में दी गई फिरौती व पाकिस्तानी आतंकवादियों का छोड़ा जाना प्रमुख सनसनिओं में शामिल है। डॉ मनमोहन सिंह 2004 से लेकर 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। उनसे जितना बन पड़ा किया।


मई, 2014 से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही वर्तमान सरकार की कुछ सनसनियां निम्नानुसार हैं। प्रधानमत्री के शपथग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री सहित सभी सार्क प्रमुखों को आमंत्रित किया, फिर प्रधानमंत्री का सपना सार्क देशों के लिए उपग्रह प्रेषण का प्रस्ताव आया, नमामी गंगे योजना, स्वच्छता अभियान, योगा दिवस, बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा, जनधन योजना के खाते खोलने का ढिंढोरा(इन्हीं खातों में 25.11.2016 तक 64 हजार करोड़ से अधिक की राशी जमा हो चुकी है, जिससे सरकार परेशान है कि यह कालाधन भी हो सकता है), गरीबों व किसानों का फसल तथा बीमा योजना का ढिंढोरा, सर्जीकल स्ट्राईक, प्रधानमंत्री की अंधाधुंध विदेश यात्रा एं और एक के बाद एक अनेक देशों को लाभ पहुंचाना और सबसे बड़ी सनसनी नोटबंदी। 08 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा होते ही पूरा देश अचंभित हो गया। दस प्रतिशत जनता के पास जमा कालेधन को बाहर निकालने के लिए देश-विदेश की जनता को मिलाकर भारत की पूरी आबादी के बराबर जनता को भीखारी बनने के लिए मजबूर कर दिया गया है। राजस्थान के पुष्कर में तो स्वीडन व इजरायल के नागरिकों को पैसे की कमी के कारण गाना गाकर व करतब दिखाकर भीख के सहारे अपना खर्च चलाना पड़ रहा है।


पैसा न होने के कारण लोग अपने रिश्तोदारों का ईलाज नहीं करवा पा रहे हैं और यहां तक कि किसी मरीज की मृत्यु के बाद बिना पैसे मृतक का शव भी नहीं दिया जा रहा जिसका शिकार भाजपा के कद्दावार नेता सदानंद गौडा भी हो चुके हैं। खाते में पैसा होने के बावजूद मजबूर पिता अपनी बेटी की शादी के खर्च की तंगी से परेशान होकर आत्महत्या को मजबूर है। गरीब व मजदूर बेरोजगार हैं तथा औसतन 50 प्रतिशत व्यापार बंद है। विश्वबैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसू ने अपने एक ट्वीट में यह दावा किया है कि विमूद्रीकरण का लाभों के मुकाबले नुकसान अधिक होगा। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं प्रमुख अर्थशास्त्री नोटबंदी को संगठित लूट करार दे चुके हैं व दावा कर रहे हैं कि भारत की जीडीपी 2 प्रतिशत नीचे जाएगी। पुलिस प्रशिक्षण में सिखाया जाता है कि 100 गुनाहगार चाहे बच जाएं किंतु एक निर्दोष नहीं फंसना चाहिए। मेडीकल साईंस के अनुसार भी अगर शरीर के किसी एक हिस्से पर चोट लगे या खराबी आ जाए तो इस तर्क के साथ कि मरीज का 1 से 6 प्रतिशत हिस्सा संक्रमित हो चुका है मरीज को जान से मार देना कहां की बुद्धिमानी है।


नोटबंदी के समर्थन में निम्न तर्क दिए जा रहे हैं:

1.नोटबंदी से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी

2. कालाधन बाहर जाएगा

3.शिक्षा सस्ती होगी

4. आम नागरिक प्लास्टिक करंसी को प्राथमिकता देगा

5. आतंकवाद का खात्मा होगा और

6 . देश का गरीब अमीर हो जाएगा।


किंतु भारत देश में एक वास्तविकता यह भी है। भारत में विभिन्न बैंकों की 1 लाख 32 हजार 587 शाखाएं हैं। सामान्य औसत 9500 नागरिकों पर एक शाखा। वास्तविकता यह भी है कि भारत के 250 जिलों में केवल 100 शाखाएं हैं। गाँवों में कुल 49902 शाखाएं हैं जबकि भारत की 69 प्रतिशत जनता गाँवों में रहती है। देश में कुल एटीएम 2 लीख 1 हजार 867 हैं जिनमें से 70 प्रतिशत मुख्यत: शहरों में हैं। 65 लाख बैंक ग्राहकों की जानकारी लीक हो जाना जनता के दिमाग में अभी ताजा है। देशी विदेशी अपराधी नित नए हथकंडे अपनाकर बैंकग्राहकों से ठगी कर चुके हैं। जब भारत की 60 प्रतिशत जनता के खाते ही नहीं तो प्लास्टिक करंसी का सपना दूर की कौड़ी है उल्टा ग्राहकों का बैंकों के प्रति अविश्वास बढ़ेगा। प्लास्टिक करंसी और विमूद्रीकरण के मामले में केवल आस्ट्रेलिया ही ऐसा एकमात्र देश है जिसे इस अभियान में सफलता मिली है। बाकी सभी देशों को असफलता ही हाथ लगी है। यूएसएसआर(वर्तमान में रुस) के मिखाइल गोर्बाच्योव ने 1991 में यह प्रयास किया था। नतीजा यह हुआ कि उसकी स्थिति सुधरने की बजाए यूएसएसआर के एक देश के बजाए 15 टुकड़े हो गए थे तथा नागरिकों के पास रुबल की बोरियां होने को बावजूद उन्हें एक किलो राशन नहीं मिल पा रहा था। हालांकि यह निर्णय लेने से पूर्व यूएसएसआर विश्व की एक महाशक्ति था।


भारत में हालात यह हैं कि छोटे नोट लेने के लिए दबाव बनाकर मंदिरों की दानपेटियों को खुलवाया जा रहा है ताकि छुट्टे की समस्या को कम किया जा सके जनता भीखारियों को मिली 200-300 की भीख को पाँसौ में खरीदने को तैयार है। केवल 14 प्रतिशत की 100 या उससे कम की नकदी के सहारे इतनी बड़ी सनसनी फैलाई गई है। नतीजन जनता में 10 के सिक्कों के जाली होने की अफवाह फैली बाजार से नमक चीनी के गायब होने की अफवाह भी फैली सर्वोच्च न्यायालय की तलख टिप्पणी आई कि से बाजारों में दंगे भड़क सकते हैं। बैंक कर्मियों सहित 70 से अधिक नागरिकों की मौत हो चुकी है बैंक कर्मियों के संगठन ने आरबीआई गवर्नर का इस्तीफा मांगा है। संसद के बाहर 200 सांसदों का प्रदर्शन हो चुका है जम्म-कश्मीर में तीन बैंक लूटे जा चुके हैं। असम में कैश वैन लूटी गई तथा कर्मियों को भी या तो मार दिया गया या जख्मी कर दिया गया। जनता पाई-पाई के लिए मोहताज है।


नोटबंटी के 12 दिन बाद घटित इंदौर-पटना रेल हादसे के प्रभावितों को रेल्वे की ओर से 500 के पुराने नोट दिए गए मगर रिश्वतखोरों को नए नोटों में रिश्वत मिल रही है, सेना के साथ मुठभेड़ में मारे जा रहे आतंकवादियों से दो हजार के नए नोट बरामद हो रहे हैं, दो हजार के नकली नोट पकड़े जा रहे हैं तो फिर चंद करोड़ की जाली करंसी और 6-10 प्रतिशत कालेधन(जिसमें सबसे अधिक विदेशों में होने का दावा है) के ईलाज के लिए देश-विदेश की 125 करोड़ से भी अधिक जनता को 50 दिन के लिए ही सही बेरोजगार करने का औचित्य क्या है। मुझे आज भी याद है कि पंजाब में आतंकवाद के दौर में आतंकवादियों द्वारा यह कहकर आम जनता को भरमाया जाता था कि आप बाजार में फूलगोबी की एक ट्रॉली लेकर जाएंगे और वापस लौटते समय वह ट्रॉली नोटों से भरी होगी।


हिंदु अमीरो की संपत्तियां तो चंद भ्रमित लोगों ने चिन्हित करली थीं कि खालिस्तान बनने के बाद यह सभी हमारी होने वाली हैं। नोटबंदी के फायदे गिनाते हुए यह ढिंढोरा पीट जा रहा है कि इस कार्रवाई से गरीबी मिट जाएगी। झौंपड़ियों में रहने वाला गरीब महंगे हस्पतालों में ईलाज करा पाएगा और गरीब किसी भी महंगे स्कूल में जाएगा बहुत ही कम पैसे खर्च करके किसी अमीर की भांति अपने बच्चे को महंगे स्कूल में दाखिला दिला पाएगा क्योंकि जितने भी अमीर हैं उन के पास केवल कालाधन है और वह बाहर आ जाने पर उनके पास अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ाने तथा हस्पतालों में ईलाज कराने को बहुत कम पैसे बचेंगे। भारत में प्रजातंत्र है और प्रजातांत्रिक सरकार जनता की, जनता के लिए और जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार है। वर्तमान में बातें हों रही हैं रामराज्य की। हिंदु राजा की। राम भी तो राजा ही थे तो फिर प्रजातंत्र कहां फिट होता है। भारत की जनता को केवल राजा की प्रजा बनने की आदत है जिसे बदलना बहुत कठिन है। भारत में इंग्लैंड की परंपरा को सच साबित किया जा रहा है, राजा मर गया - राजा की उमर लंबी हो । भारत में चढ़ते सूर्य को सलाम करने की आदत है। इसलिए मौकापरस्त अपना किरदार बदलकर सूर्य डूब गया है - सूर्य की आयू लंभी हो का अनुसरण करके सरकार के आत्मघाती कदम की कमियां बताने के बजाए इस कदम का अंध समर्थन कर रहे हैं।


यह आरबीई अधिनियम की धारा 24 और 26 को पूर्णरुपेण नहीं मानने का मामला भी है। न्याययालयों में नोटबंदी के विरुद्ध याचिकाएं आ रही हैं जिनमें मद्रास हाईकोर्ट में दो हजार के नोट पर संविधान संशोधन किए बिना राजभाषा हिंदी के उपयोग से भी संबंधित है। प्रमुख आपत्ति तो दो हजार के नोट लाने पर उठाई जा रही है। मुद्दे की बात यह है कि सरकार की इस कार्रवाई के उपरांत भारत का कोई भी नागरिक(पक्ष में या विपक्ष में) सरकार के इस निर्णय का विरोध करने की हिम्मत नहीं कर सकता। प्रत्येक समझदार व्यक्ति यह जानता है कि अगर जनता में जरा सा भी भ्रम फैला तो देश बर्बाद हो सकता है। इसलिए सरकार, विपक्ष और आमजन सबकी जिम्मेदारी बनती है कि स्पष्टत: सरकार के इस निर्णय का समर्थन करें।


मगर मीडिया ने समर्थन दिखाने के लिए हजारों गरीबों, मजदूरों, छोटे व्यापारियों और गृहणियों को अर्थशास्त्री बना दिया है। सरकार का समर्थन कर रहे अर्थशास्त्री तथा प्रधानमंत्री स्वयं कह रहे हैं कि इस निर्णय का कुछ समय के लिए ही सही प्रतिकूल प्रभाव तो होगा ही। वर्तमान में अगर कुछ मीडिया हाऊसों का बस चले तो अपनी सूर्यभक्ति दिखाने के लिए मुर्दे से भी कहलवा दें कि उनके जिंदा रिश्तेदार परेशान नहीं है। प्रधानमंत्री ने अपनी मन की बात में सूरत की दीक्षा परमार की शादी की तारीफ करते हुए कहा कि उसने तथा उसके परिवार ने मेहमानो को चाय व पानी पिलाकर शादी की। मगर अपने प्रमुख साथियों कर्नाटक के पूर्व मंत्री के.जनार्दन रेड्डी और गुजरात के पूर्व डीआजी डीजी बंजारा की ओर से अपने बच्चों की शाहीशादियों की आलोचना नहीं की(इन शादियों का संदर्भ लेना इसलिए जरुरी है कि यह दोनो सालोंसाल जेल में रहकर भी शाही जीवन जी सकते हैं)।


प्रयास सभी ओर से होना चाहिए केवल किसी एक ओर से नहीं। नोटबंदी की घोषणा के बाद से प्रधानमंत्री एक विदेशयात्रा कर चुके हैं तथा तीन बड़ी रैलियां। सोचना यही है कि जब देश में कुल करंसी का 14 प्रतिशत से भी कम है तो इतने शाही खर्च कहां से ? यदि बराबरी नहीं होगी तो मेरा यह विषय नोटबंदी स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी मानवीय सनसनी सार्थक होने वाला है। यह निर्णय देशहित की बजाए केवल राजनैतिक ही माना जाएगा।

विजय कुमार शर्मा की अन्य किताबें

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

वाह ! आप कितनी सच्चाई के साथ और खुले मन से लिखते हैँ हर बात | मैं आपके हर विचार से पूर्णत: सहमत हूँ |

4 दिसम्बर 2016

शालिनी कौशिक एडवोकेट

शालिनी कौशिक एडवोकेट

पूरी तरह से सहमत .बहुत जानकारी समेटे है आपका आलेख .आभार

3 दिसम्बर 2016

गौरी कान्त शुक्ल

गौरी कान्त शुक्ल

सत्य कथन नोट बंदी और नित्य नए नियम सरकार की कमियों और तानासाही की ओर इशारा करते हैं

28 नवम्बर 2016

रवि कुमार

रवि कुमार

कल मोदी जी की मन की बात सुनी थी. उसपे आपका ये लेख सीधा वार है . हालांकि आपने जो कहा है बात तो पते की है . ख़ास तौर पे ये बात - - अपने प्रमुख साथियों कर्नाटक के पूर्व मंत्री के.जनार्दन रेड्डी और गुजरात के पूर्व डीआजी डीजी बंजारा की ओर से अपने बच्चों की शाहीशादियों की आलोचना नहीं की - कुछ हद तक आपकी बात से सहमत हूँ , लेकिन कम से कम ये देश के हित लिए कुछ अच्छा करने के वादे तो कर रहे हैं . उम्मीद की किरण है फिलहाल तो

28 नवम्बर 2016

महेंद्र राठौरिया

महेंद्र राठौरिया

बहुत अच्छे एवं पूर्णतया सत्य विचार हैं।

28 नवम्बर 2016

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भारतीय माटी भारतीय जल

2 सितम्बर 2015
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पाकिस्तानी हैं भारतीय गुजरा कलमाटी थी भारतीय और भारतीय थे फलएक समान थे भारतीय हवा, जल और स्थल सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय घर-बाहर और भारतीय घाटवर्तमान में जो कहलाते हैं पाकिस्तानी खाट, बाट, हाट सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय तन, मन और धनथे वो भी कभी भ

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एक किस्सा रेडियो का

31 अक्टूबर 2015
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जब भी कोई नई चीज बाजार में आती है तो सभी का मन ललचाता है कि वह उसे मिल जाए। रेडियो भी जब बाजार में आया तो नए-नए कार्यक्रम सुनकर लोग उसे अपने घर लेकर आना चाहते थे। एक व्यकित ने एक डिब्बेनुमा वस्तु से गाने बजते देखे, पैसे जेब में थे ही और झट से उसे खरीद लिया। जगह-जगह उसे अपने साथ लेकर जा रहा था। जब खे

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एक किस्सा रेडियो का

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निर्धन की तरूणी

29 अप्रैल 2016
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हुसन को अवगत करादोकि ढूँढे कोई और द्वार मैं निर्धन की तरूणीहूँ मुझे अवकाश नहीं हैबालपन से कठिनाइयों केअंचल में पली-बढ़ी मैं  राशन कार्ड, मध्याह्नभोजन या बने योजना खाद्य सुरक्षा की राशन डीपू, पानी केनल, कुएं की पक्की सखी हूँ मैंचूलहे चौक

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15 अगस्त को प्रधानमंत्री का भाषण बनाम बलोचिस्तान का विषय

20 सितम्बर 2016
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लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त, 2016 को दिए गए भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भाषण में बलोचिस्तान के आंदोलकारियों को दिए जाने वाले समर्थन का मामला उठते ही तमाम भारतीय एवं विदेशी गलियारों में एकदम से हलचल बढ़ गई है। सरकार समर्थक भारतीय मीडिया तो जैसे इस अवसर की

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नोटबंदी स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी मानवीय सनसनी

27 नवम्बर 2016
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भारत 1947 मेंअंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्र हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत लंबे समयतक भारतीयों ने विभाजन का दर्द झेला। कुछ संभले तो 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1965में भारत-पाक युद्ध और दक्षिण भारतीयों का हिंदी विरोधी आंदोलन। प्रधा

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गरीब कल्याण स्टंट

4 दिसम्बर 2016
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जब से सृष्टी सृजित हुई है तबसे ही ताकतवरऔर कमजोर के बीच में अंतर रहा है। भारतीय समाज में भी यह अंतर होना स्वाभाविक है।राजा महाराजाओं के दौर से ही भारतीय समाज बंटने लगा था तथा विदेशिओं ने भारतीयगरीबों की समस्याओं का समाधान करने के लिए सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत

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शैतान विद्वान

5 दिसम्बर 2016
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एक समय की बात है कि एक राज्य को भयंकर मूसीबतों ने घेर लिया। पुरानेजमाने के राजाओं के लिए अपनी प्रजा का दुख देखा नहीं जाता था। इसलिए वह राजा जी जानसे अपने राज्य की समस्याओं हो हल करने में जुट गया। राजा भेस बदलकर रात को निकलताऔर दिन में अपने दरबारियों के साथ विचार विमर्श में व्यस्त रहता। साथ ही साथ वह

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एटीएम

20 दिसम्बर 2016
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एटीएम मेरा नाम एटीएम मेरा नामहिंदु-मुस्लिम-सिख-ईसाई की बदहाली से परेशानएटीएम मेरा नाम एटीएम मेरा नामहिंदु-मुस्लिम-सिख-ईसाई की बदहाली से परेशानसोचो लोगो जरा तो सोचो बनी कहानी यह कैसेमेरी नींद और चैन छीना गए कहां आपके पैसे ?नोटबंदी सरकार का

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मत पूछो हालत फकीर की

24 दिसम्बर 2016
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माँ नहीं बन पाने वाली जंग नहीं लड़ पाने वाली चाय नहीं बेच पाने वाली हीरों का झुंड लगाने वाली सैनिक नहीं बन पाने वाली पीर पैगंबर बन बैठने वाली स्वयं पर अश्क करने वाली बीवी पर पहरा बिठाने वाली किसान नहीं बन पाने वाली व्यापार ी नहीं बन पाने

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जागो प्रजा जागो

30 दिसम्बर 2016
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महान चिंतक अरस्तू ने एक समय 6 प्रकार के राज्यों का वर्गीकरण किया था। उनका विश्वास था कि यह साइकिल;चक्करद्ध क्रम में परिक्रमी रहता है। यह साइकिल राजतंत्र से आरंभ होता है और जल्द ही पथभ्रष्ट होकर नादिरशाही में परिवर्तित हो जाता हैए चंद बुद्धि

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इसे कहते हैं रामराज जी

8 जनवरी 2017
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नोटबंदी गई है छा जी करंसी की लगी बाट जी 8 नवंबर गई है आ जी अफवाहों का गर्म बाजार जी टोलनाके बने गले की फांस जी बैंक एटीएम की बढ़ी कतार जी प्रजा को मिला नया रोजगार जी चाय पराठों में मिलती पगार जी रोटी.दाल.चावल.साँबर की जगह टमाटर.रोटी बनी सर्वोत्तम खुराक जी इसे कहते हैं राम

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ब्रह्मा बेदर्दे

18 जनवरी 2017
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ब्रह्मा बेदर्दे

18 जनवरी 2017
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मंथरा-कैकेयी की जुगलबंदी ने रामायण दी रचवा ब्रह्मा बेदर्दे ब्रह्मास्त्र दिए चलवा ब्रह्मा बेदर्दे शकुणी-दुर्योध्न के षड़यंत्रों ने महाभारत दी लिखवा ब्रह्मा बेदर्दे कर्ण-भीष्म का प्रताप दिया घटवा ब्रह्मा बेदर्दे ईसा-हजरत का बलिदान भाईचारा न सका ला ब्रह्मा बेदर्दे दुनिया को

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मेक अमेरीका ग्रेट अगेन योजना का भारत पर प्रभाव

22 जनवरी 2017
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आखिरकार 20 जनवरी, 2017 को डोनॉल्ड ट्रंप ने अमेरीका के 45वें राष्ट्रपति के रुप में पदभार संभाल लिया। ट्रंप अमेरीका के एक बिलियनर एवं विवादस्पद व्यापार ी हैं तथा अपने बेबाक व्यवहार के कारण अनेक विवादों से जुड़ चुके हैं। राट्रपति चुनाव में कू

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अंग्रेजी की हिंदी को सीख

30 जनवरी 2017
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मैं विदेशी तू नाज-ए-हिंद है भूल मत तू हिंदमाता की बिंदी हैपुष्पक पहला तेरे वतन में ही आया थाआँखों देखा हाल देववाणी ने बयाँ कराया थाधरती पुत्रों तेरों ने ही भूखों का हलनिकाला था पूर्वज मेरों ने पूर्वज तेरों से बहुत कुछचुराया थाअस्त्र-शस्त्र-ब्रह्मास्त्र का डंका तोतेरे

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कोष मूलो दंड

31 जनवरी 2017
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जब से समाज में व्यवस्था स्थापित है तभीसे ही शासकों की ओर से शासन चलाने के लिए प्रजा से कर वसूला जाता रहा है। भारत में भीकर वसूलने का इतिहास बहुत पुराना है। मनु काल हो या महाभारत काल या कालिदास या कोटिल्य के अर्थशास्त्र का प्रसंग लें करव्यवस्था का संदर्भ आता ही है। कालिदास राजा दिलीप का संदर्भ देते ह

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बसंत पंचमी का त्यौहार

31 जनवरी 2017
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भारत ऋतुओं का देश है।यहां अपनी-अपनी बारी से 6 ऋतुएं आती हैं । इन सभी में से बसंत ऋतु सबसे हरमनप्यारी है । बसंत पंचमी मूल रुप से प्रकृति का उत्सव है । इस दिन से धार्मिक,प्राकृतिक और सामाजिक जीवन के कार्यों में बदलाव आना आरंभ हो जाता है । बसंत पंचमीप्रकृति के साथ आध्यात

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जैसी चाह वैसी राह

5 फरवरी 2017
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बढ़ते हैं कर बढ़ाने वाला चाहिएबनते हैं मित्र बनाने वाले चाहिएहोती है खोज करने वाला चाहिएबिकती है दारू पीने वाला चाहिएढहती हैं दीवारें ढहाने वाला चाहिएहोती है दुश्मनी करने वाला चाहिएहोती है नोटबंदी करने वाला चाहिएरोती है दुनिया रुलाने वाला चाहिएमिलते हैं गुलामबनाने वाल

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वर्तमान स्वरोजगार योजना एक व्यंग्य

22 अप्रैल 2017
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एक व्यक्ति ने मुर्गे पाल रखे थे जो बहुत हट्टे कट्टे थे । उन्हें एक सज्जन मिलने आए और पूछा कि तुम्हारे मुर्गे बहुत तंदरुस्त हैं इन्हें क्या खिलाते हो । वह बोला मैं इन्हें काजू बादाम और महंगे ड्राई फ्रूट खिलाता हूँ । अच्छा ! लोगों को खाने को नहीं मिल रहा और तू अपने मुर्गों को ड्राई फ्रूट खिला रहा है

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आप विधायक सौरभ भारद्वाज का ईवीएम पर खुलासा महज एक बकवास

10 मई 2017
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दिनांक 9.5.2017 को आम आदमी पार्टी ने ईवीएस कीहैकिंग प्रक्रिया दिखाने के लिए दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। जबहैकिंग प्रक्रिया टीवी पर लाइव आरंभ हो गई तो मुझे भी उत्सुकता हुई और मैने यहपूरी प्रक्रिया एक टीवी चैनल पर देखी। इस सत्र में विपक्ष के नेता को मार्शल कीसहायता से सदन से बाहर निकलवाकर

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भारतीय प्रजातांत्रिक केंद्रवाद बनाम राष्ट्रपति पद्धति सरकार

13 मई 2017
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1917 की रुसी बोलशैविक क्रांति की सफलता केउपरांत प्रजातांत्रिक केंद्रवाद की कम्युनिस्ट विचारधारा समाज के सामने आई। रशियन सोशल-डेमोक्रेटिक लेबर पार्टीकी दिनाँक 26 जुलाई से 03 अगस्त 2017 तक आयोजित छठी कांग्रेस में प्रजातांत्रिककेंद्रवाद की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि पार्टी की नीचे से ऊपर तक निर्दे

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जूते की आत्मकथा

20 मई 2017
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एक आम कहावत है कि उसने उसको जूते-चप्पलों सेपीटा। मगर एक समय ऐसा भी था जब आठवीं कक्षा के मेरे अध्यापक ने चाय पीते-पीते ही पूरीकक्षा को जूते की आत्मकथा लिखनी सिखाई। अध्यापक महोदय ने आरंभ करते हुए कक्षा कोबताया कि जूते की आत्म लिखना बहुत आसान है। लिखो गाँव में राम लाल की भैंस मर गई।उस मरी हुई भैंस को च

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भगवान जगन्नाथ रथयात्रा पुरी पर विशेष

25 जून 2017
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ओड़िशा के पुरी में समुद्रतट पर स्थित जगन्नाथ मंदिर एक हिंदु मंदिर है जो श्रीकृष्ण(जगन्नाथ)कोसमर्पित है । जगन्नाथ का अर्थजगत के स्वामी से होता है । इस मंदिर को हिंदुओंके चार धामों में से एक माना जाता है । यह मंदिर वैष्णव परंपराओं और संत रामानंद से जुड़ा हुआ है । भगवान जगन्नाथ पुरी में 56प्रकार के अन्

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चायवाद

9 जुलाई 2017
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नरसंहार को नाजीवाद कहते हैंराष्ट्रभक्ति को राष्ट्रवाद कहते हैंकट्टरवाद को फासीवाद कहते हैंमाओ समर्थन को माओवाद कहते हैंसमाज सुधार को समाजवाद कहते हैंमार्क्स समर्थन को साम्यवाद कहते हैंसर्ववाद विरोध को आतंकवाद कहते हैंक्षेत्र विस्तार को साम्राज्यवाद कहते हैंऔर जनता की गाढ़ी कमाई विदेशों में लुटाने को

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सत्ता संघर्ष और अनुवादकों की भूमिका

5 अगस्त 2017
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अंग्रेजी की एक टर्म लिटल नॉलेजइज डेंजरस का हिंदी पर्याय बना है नीम हकीम खतराए जान जिसका अर्थ है कम ज्ञानस्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एक सामान्य जन से जब नीम हकीम खतराएजान का अर्थपूछा गया तो उसका उत्तर था- ऐ हकीम तू नीम के पेड़ के नीचे मत जा वहां तेरी जान का खतरा है। शोले फिल्म काएक मशहूर डॉयलाग है

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सत्ता संघर्ष और अनुवादको का दायित्व

12 अगस्त 2017
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जब भारत सरकार अधिनियम, 1935 अस्तित्व में आया थातो लगने लगा था कि भारत स्वतंत्र होने वाला है और भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी होनेवाली है। क्योंकि विदेशिओं को यह भलिभांति मालूम था कि भारत में बहुसंख्य हिंदीभाषिओं की है। स्वतंत्रता सेनानियों का भी आपस में संवाद हिंदी में ही होता था औरहिंदी ने स्वतंत्रता स

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आस्था खुद के अस्तित्व तक

6 सितम्बर 2017
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आस्था से तात्पर्य है कि समग्र रुप से स्थिर या स्थित होना। यह आस्था किसी व्यक्ति विशेष या स्थान विशेष से संबंधित हो सकती है। जैसे कोई देव या देवालय। आ का मतलब समग्र रुप से व स्था का मतलब स्थिर रहने की अवस्था । विदेशों में भी पूर्व में आस्था व अंधविश्वास था। जर्मनी व फ्रांस

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भारत का भाषा विवाद (14 सितंबर हिंदी दिवस पर विशेष)

14 सितम्बर 2017
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किसी भी राष्ट्र की एकता के लिए किसी एक सर्वमान्य भाषा का होना जरुरी है और भारत में यह भाषा हिंदी ही हो सकती है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति रह चुके सुकर्णो ने अपनी आत्मकथा में भारत को हिंदी को अपनी राजभाषा अपनाने में आनाकानी पर व्यंग कसा था।

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जनता मांगे भ्रष्टाचारी डॉ मनमोहन सरकार ?

26 अक्टूबर 2017
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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही वर्तमान सरकार का अस्तित्व में आने का एक ही कारण था कि देश में ईमानदार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक गठबंधन सरकार चल रही थी। मेरे जीवन का एक अनुभव है कि ईमानदार शख्सियत या तो अपना स्वयं का नुकसान कर सकती है या अपने जैसे ही किसी ईमानदार क

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झगड़ें नहीं राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत याद करें

5 नवम्बर 2017
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जन गणमन अधिनायक जय हे वंदे मातरम्भारतभाग्यविधाता सुजलांसुफलां मलयजशीतलाम्पंजाबसिन्धु गुजरात मराठा सस्यश्मामलां मातरम्द्राविड़उत्कल बंगा शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकित यामिनम् विन्ध्यहिमाचल

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सरकारी झटकों से बीमार भारतीयों के लिए आ रहा राष्ट्रीय व्यंजन खिचड़ी

5 नवम्बर 2017
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सरकारी झटकों से बीमार भारतीयों के लिए आ रहाराष्ट्रीय व्यंजन खिचड़ीWorried because of Government shakesNational food Khichri is coming For Ill Indians

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साम्यवादी मार्क्स बनाम दक्षिणपंथी मोदी का ७ नवंबर

15 नवम्बर 2017
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कार्ल मार्क्स ने 1848 के अपने कम्युनिस्ट घोषणापत्र में कहा था कि साम्यवादी क्रांति का लक्ष्य उत्पादन के साधनों पर विश्व के मजदूरों का आधिपत्य स्थापित करके पूंजीवाद की कब्र खोदना है। एक नई समतामूलक संस्कृति को जन्म देना, समाज को वर्गविहीन बन

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विश्वास बनाम अफवाह

18 नवम्बर 2017
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महानायक अमिताभ बच्चन की एक पिक्चर आई थी देश प्रेमी। अमिताभ जी को एक ऐसी कॉलोनी में रहना पड़ता है जिसमें अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं तथा छोटी-छोटी बातों का बतंगड़ बनाकर आपस में लड़ते रहते हैं। मगर यह उस देश प्रेमी का ही विश्वास होता है कि

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पूर्वज वही जो लाभ दिलाए

23 नवम्बर 2017
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अगर कहीं रेलगाड़ी से दिल्ली स्टेशन को लिंक करते नगरों की यात्रा पर निकलें तो मैरिज ब्यूरो का एक विज्ञापन दिवारों पर लिखा मिलेगा – दुल्हन वही जो दादा जी दिलाएं । दशकों पूर्व सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की अर्दांगनी जया भादुड़ी स्टारर एक फिल्म आई थी जिसका शीर्षक था द

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क्यों है लॉकडाउन की मजबूरी

31 मार्च 2020
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समाज की उत्पति से लेकर आजतक विश्व एक हीथ्यूरी पर चल रहा है कि समाज में वर्चस्व किस का होगा। जंगलराज को नकेल डालकर कुछव्यवस्थाएं स्थापित हो गईं लेकिन जिनके साथ अन्याय होता था उन्होंने प्रतिरोध जारीरखा। वर्तमान युग में विश्व की ओर से फेस की जा रही समस्याओं का मुख्य कारण पश्चिमजगत और उनका अंधानुकर

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ब्रह्म ज्ञान

2 अप्रैल 2020
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लिखा ओंकार ने कभीबैठकर इक दिन सच में मानव तूँ इक दिन हैरान होगारुकेंगी बसें विमान ट्राम और रेलें बंद पलों मेंसारा सामान होगालिखा ओंकार ने कभी बैठकर इक दिन सच में मानव तूँइक दिन हैरान होगापक्षी चहकेंगे सुखी साँस होगा प्रदूषण रहित तबसारा संसार होगापाताल धरती पानी आकाश पर काबज कैद घर में इक दिनइंसान हो

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पानी की आत्मा

30 जुलाई 2020
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कोई कहे हिंदु पानीकोई कहे मुस्लिम पानी समझाने को आत्मा पानी की अनेकों ने दी कुर्बानी फिर भी न माने क्योंकि कमान ईसाईयत को थीजो थमानी ईसाईयत ने करोड़ों लीले आत्मा की हुई बदनामी स्वतंत्र है देश फिर भी कोई कहे हिंदु पानी ‘कोई’ मुस्लिम पानी क्योंकि

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अस्थायी आशियाना

1 अगस्त 2020
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सजनरे झूठ मत बोलो-खुदा के पास जाना है। हाथी है न घोड़ा है वहां पैदल ही जाना है।तुम्हारे महल चौबारे-यहीं रह जाएंगे सारे - अकड़ किस बात की प्यारे - अकड़ किस बातकी प्यारे। एकसमय की बात है कि एक सन्यासी राजा के महल के सामने आए और आते ही राजा के महल मेंघुसने का प्रयास करने लगे। राजा के सैनिकों ने उन्हें

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जन्मदिवस पर पत्नी को शुभकामनाएं

20 जून 2023
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 किसी खूबसूरत एहसास की भांति  तुम परिवार और मेरे जीवन के लिए हो बहुत जरुरी,  जैसे जिस्म के लिए सांसों की डोरी,  हम जीवन के प्रत्येक रंग को जी लेंगे,  तेरा साथ रहेगा तो समाज की प्रत्येक तपन सह

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