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गरीब कल्याण स्टंट

4 दिसम्बर 2016

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जब से सृष्टी सृजित हुई है तबसे ही ताकतवर और कमजोर के बीच में अंतर रहा है। भारतीय समाज में भी यह अंतर होना स्वाभाविक है। राजा महाराजाओं के दौर से ही भारतीय समाज बंटने लगा था तथा विदेशिओं ने भारतीय गरीबों की समस्याओं का समाधान करने के लिए सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत पर आक्रमण करके यहां की संपदा को लूटना आरंभ कर दिया। सबसे अंत में बारी आई अंग्रेजों की। उन्होंने जमकर भारतीय संसाधनो का दोहन किया। इधर-उधऱ यहां-वहां कहीं से भी मिले बस लूट ही लूट। विदेशी मंचों पर फिरंगिओं के विरुद्ध जब आवाज उठती थी तो यह कहा जाता था कि भारत में अधिकतर तो गरीब सपेरे और जादूगर रहते हैं, वे अपना राजकाज नहीं संभाल सकते इसलिए हम उन्हें सूसंस्कृत कर रहे हैं। भारत अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्र हुआ तो लगभग सभी नीतियां गरीबी दूर करने के मकसद से ही बनाई गईं। मगर गरीबी हटाओ का चुनावी नारा सर्वप्रथम भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने दिया। जनता को यह नारा भाया भी। कांग्रेस को गरीब जनता का वोट भी जमकर मिला। जब उन्हीं के सुपुत्र श्री राजीव गांधी ने देश की बागडोर संभाली तो देखकर दंग रह गए। जितना पैसा गरीबों के विकास पर खर्च हुआ बताया गया था अगर उसका 15 प्रतिशत भी खर्च हो गया होता तो देश की गरीबी समाप्त हो गई होती(यह कहना था उनका)। 90 के दशक से जारी आर्थिक सुधारों और वैश्वीकरण के प्रभावों के कारन संगठित व असंगठित क्षेत्र के गरीब मजदूरों की कठिनाइयों में वृद्धि होती जा रही है। इंस्पेक्टर राज को समाप्त करने के नाम पर अमीरों को फायदा पहुंचाया जा रहा है तथा गरीबों का गला घोंटा जा रहा है। अमेरीका के प्रभावाधीन चलने वाला विश्वबैंक भारत सरकार को मजबूर कर रहा है कि गरीब किसानो को दिहाड़ीदार बनाकर शहरों की झोंपड़ीनुमा बस्तियों में बसाया जाए ताकि बहुराष्ट्रीय कंपंनियां आसानी से उनकी जमीनो पर कब्जा जमा सकें। महंगाई बढ़ती है तो यह दलील दी जाती है कि महंगाई तो पूरे विश्व में बढ़ रही है। सोची समझी रणनीति के तहत लाभ कमाने के लिए विकासशील देशों को सहायता के नाम पर विकसित देशों की ओर से थमाया जाने वाला सहायतानुमा झुनझुना विश्व में बढ़ रही महंगाई का प्रमुख कारन है। इस रणनीति के आगे भारतीय नीतिनिर्धारक नतमस्तक हैं व निजी लाभ की खातिर भारतीयों को भ्रमित कर रहें हैं। बहाना विकास के लिए तकनीक व निवेश का। नतीजतन विदेशी कंपंनिओं को यहां तक छूट है कि अब उन्हें भारत में निवेश के एवज में देशी कंपंनिओं से कलपुर्जे खरीदने की बंदिश नहीं हैं। कंपंनिओं की दलील है कि देशी कंपंनिओं की ओर से बनाए गए कलपुर्जे उनके मानकों पर सही नहीं उतरते। इसी की आड़ में ई-कॉमर्स कंपनियां भी 30 प्रतिशत देशी खरीद की बंदिश से बाहर हैं। देशभक्ति का ढिंढोरा पीटने वाले अनेक अंधभक्त सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। मगर उनकी उंगलियां देशवासियों तक यह संदेश नहीं पहुंचाना चाहतीं कि अगर भारतीय कलपुर्जे इतने घटिया हैं तों मंगलयान और बड़े-बड़े सेटेलाईट कैसे तैयार हो रहे हैं व प्रगति के लिहाज से भारत विश्व के लगभग सभी क्षेत्रों में तीसरे/चौथे/पांचवें से लेकर आठवें/नौवें स्थान पर काबिज कैसे है। भारत के नीतिनिर्धारक यह दावा भी करते हैं कि भारत एक युवा देश है तथा यहां श्रमिक भी सस्ते मिलते हैं। इसलिए विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपंनिओं के निवेश की खातिर मजदूर विरोधी नियम लाए जा रहे हैं। ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी की शोध के मुताबिक 47 प्रतिशत नौकरियां ऑटोमेशन के कारन आने वाले 20 वर्षों में समाप्त होने वाली हैं, कृत्रिम बुद्धिमता नई सीमा लांग सकती है, यूरोप-अमेरीका की अनेक कंपंनियां रोबोट का सहारा ले रही हैं तथा एशिया में चल रहे अपने कारखाने बंद करने की तैयारी में हैं, विश्वबैंक के पूर्वानुमान अनुसार मशीनीकरण के कारन भारत में 69 प्रतिशत नौकरिओं पर खतरा है। उक्त आंकड़े एवं तथ्य ऐसे नीतिनिर्धारकों की आंखें खोलने के लिए काफी हैं। अगर किसी को लगता है कि तकनीकी क्रांति के इस दौर में हम अप्रभावित रहेंगे तो यह सरासर गलत है। हालही में लॉरसन एंड टर्बो ने अपने 14000 कामगारों की छंटनी की है और कारन मशीनीकरण ही बताया गया है। अब समय आ गया है कि भारतीय रणनीतिकार सभी भारतीयों के लिए एक मूल न्यूनतम आय की योजना लेकर आएं। वर्तमान में चल रही तमाम गरीब कल्याण योजनाएं बंद कर दी जाएं तथा अमीर हो या गरीब सभी के लिए मूल न्यूनतम आय का निर्धारण हो। भारत डिजीटल मार्ग पर अग्रसर है इसलिए जरुरतमंदों को तो उनके खातों के माध्यम से मूल न्यूनतम आय का भुगतान कर दिया जाए और जो संभ्रांत वर्ग है उसकी जरुरत के अवसर पर इस सुविधा का लाभ उसे दिया जाए। मगर हो इसके उल्ट रहा है। गरीबों के लिए चल रही योजनाओं का हाल निम्नानुसार है : राशन योजना में भ्रष्टाचार। खाद्य सुरक्षा योजना उसमें भ्रष्टाचार, मनरेगा में भ्रष्टाचार, जनधन योजना नोटबंदी भ्रष्टाचार का शिकार। गरीब कल्याण के नाम पर 5 रुपए में खाना, स्कूलों में मध्याह्न भोजन, मुफ्त टीवी, लैपटॉप, कोई मोबाइल बांटता है तो कोई गरीब लड़कियों की शादी और पढ़ाई का झुनझुना थमाकर अपना उल्लू सीधा कर रहा है। किसी को गरीब के स्वास्थ्य और स्वच्छता की चिंता है। फलस्वरुप कुछ ऐसे गरीब कल्याण नेता भी हैं जो स्वयं भी गरीब थे, चुनाव जीतने से पहले दिल्ली आने तक का किराया नहीं था, चुनावी जलसा करने के लिए 2 रुपए की दरी किराए पर लेने के लिए पैसे नहीं होते थे उनके पास, माँ-बाप लोगों के घरों में झाड़ूपोचा करने व चाकरी करने को मजबूर थे, घर चलाने के लिए चाय बेचनी पड़ती थी। चुनाव जीतते ही दिन बहुरे और आगे-पीछे नौकर चाकर व गाड़ियों की कतार, गले में करोड़ों की माला, गरीबों की गरीबी दूर करने की चिंता में मंच पर ही रोने लगते हैं, अमीरों के पाँवों में इतना नतमस्तक होकर गरीब कल्याण स्टंट करना पड़ता है कि महंगे सूट गंधे हो जाते हैं। फलस्वरुप दिन में चार-चार पांच-पांच बार सूट बदली करने पड़ते है। दूसरी ओर परी लोक के सपनों से भ्रमित भारतीय गरीब इतना ढीठ है कि गरीब कल्याण में लगे नेताओं के परी लोक जैसे हसीन गरीब कल्याण स्टंटों के बावजूद भी अमीर होने का नाम नहीं ले रहा। हालत यह है कि पुराने गरीब कल्याण स्टंटबाज थक हारकर नए नए गरीब कल्याण स्टंटबाजों को तैयार कर रहे हैं। वे भ्रष्टाचार रुपी मेहनत करते करते इतने थक जाते हैं कि नए गरीब कल्याण स्टंटबाजों को मौका देने को मजबूर है। विभिन्न परी लोक के गरीब कल्याण स्टंटबाज नेताओं की व्यथा नीचे दिए गए जोक से भी झलकती है।

एक गरीब कल्याण स्टंटबाज – 12 गरीबों पर दूध के छींटे मार रहा था।

पत्नी -- यह क्या कर रहे हो।

गरीब कल्याण स्टंटबाट -- इनकी सेहत बना रहा हूं।

पत्नी -- सेहत तो दूध पीने से बनेगी।

गरीब कल्याण स्टंटबाज --100 ग्राम से तो छींटे ही पड़ेंगे न।

विजय कुमार शर्मा की अन्य किताबें

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत अच्छा लेख है |

4 दिसम्बर 2016

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भारतीय माटी भारतीय जल

2 सितम्बर 2015
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पाकिस्तानी हैं भारतीय गुजरा कलमाटी थी भारतीय और भारतीय थे फलएक समान थे भारतीय हवा, जल और स्थल सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय घर-बाहर और भारतीय घाटवर्तमान में जो कहलाते हैं पाकिस्तानी खाट, बाट, हाट सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय तन, मन और धनथे वो भी कभी भ

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एक किस्सा रेडियो का

31 अक्टूबर 2015
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जब भी कोई नई चीज बाजार में आती है तो सभी का मन ललचाता है कि वह उसे मिल जाए। रेडियो भी जब बाजार में आया तो नए-नए कार्यक्रम सुनकर लोग उसे अपने घर लेकर आना चाहते थे। एक व्यकित ने एक डिब्बेनुमा वस्तु से गाने बजते देखे, पैसे जेब में थे ही और झट से उसे खरीद लिया। जगह-जगह उसे अपने साथ लेकर जा रहा था। जब खे

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एक किस्सा रेडियो का

31 अक्टूबर 2015
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जब भी कोई नई चीज बाजार में आती है तो सभी का मन ललचाता है कि वह उसे मिल जाए। रेडियो भी जब बाजार में आया तो नए-नए कार्यक्रम सुनकर लोग उसे अपने घर लेकर आना चाहते थे। एक व्यकित ने एक डिब्बेनुमा वस्तु से गाने बजते देखे, पैसे जेब में थे ही और झट से उसे खरीद लिया। जगह-जगह उसे अपने साथ लेकर जा रहा था। जब खे

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निर्धन की तरूणी

29 अप्रैल 2016
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हुसन को अवगत करादोकि ढूँढे कोई और द्वार मैं निर्धन की तरूणीहूँ मुझे अवकाश नहीं हैबालपन से कठिनाइयों केअंचल में पली-बढ़ी मैं  राशन कार्ड, मध्याह्नभोजन या बने योजना खाद्य सुरक्षा की राशन डीपू, पानी केनल, कुएं की पक्की सखी हूँ मैंचूलहे चौक

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15 अगस्त को प्रधानमंत्री का भाषण बनाम बलोचिस्तान का विषय

20 सितम्बर 2016
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लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त, 2016 को दिए गए भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भाषण में बलोचिस्तान के आंदोलकारियों को दिए जाने वाले समर्थन का मामला उठते ही तमाम भारतीय एवं विदेशी गलियारों में एकदम से हलचल बढ़ गई है। सरकार समर्थक भारतीय मीडिया तो जैसे इस अवसर की

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नोटबंदी स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी मानवीय सनसनी

27 नवम्बर 2016
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भारत 1947 मेंअंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्र हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत लंबे समयतक भारतीयों ने विभाजन का दर्द झेला। कुछ संभले तो 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1965में भारत-पाक युद्ध और दक्षिण भारतीयों का हिंदी विरोधी आंदोलन। प्रधा

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गरीब कल्याण स्टंट

4 दिसम्बर 2016
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जब से सृष्टी सृजित हुई है तबसे ही ताकतवरऔर कमजोर के बीच में अंतर रहा है। भारतीय समाज में भी यह अंतर होना स्वाभाविक है।राजा महाराजाओं के दौर से ही भारतीय समाज बंटने लगा था तथा विदेशिओं ने भारतीयगरीबों की समस्याओं का समाधान करने के लिए सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत

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शैतान विद्वान

5 दिसम्बर 2016
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एक समय की बात है कि एक राज्य को भयंकर मूसीबतों ने घेर लिया। पुरानेजमाने के राजाओं के लिए अपनी प्रजा का दुख देखा नहीं जाता था। इसलिए वह राजा जी जानसे अपने राज्य की समस्याओं हो हल करने में जुट गया। राजा भेस बदलकर रात को निकलताऔर दिन में अपने दरबारियों के साथ विचार विमर्श में व्यस्त रहता। साथ ही साथ वह

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एटीएम

20 दिसम्बर 2016
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एटीएम मेरा नाम एटीएम मेरा नामहिंदु-मुस्लिम-सिख-ईसाई की बदहाली से परेशानएटीएम मेरा नाम एटीएम मेरा नामहिंदु-मुस्लिम-सिख-ईसाई की बदहाली से परेशानसोचो लोगो जरा तो सोचो बनी कहानी यह कैसेमेरी नींद और चैन छीना गए कहां आपके पैसे ?नोटबंदी सरकार का

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मत पूछो हालत फकीर की

24 दिसम्बर 2016
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माँ नहीं बन पाने वाली जंग नहीं लड़ पाने वाली चाय नहीं बेच पाने वाली हीरों का झुंड लगाने वाली सैनिक नहीं बन पाने वाली पीर पैगंबर बन बैठने वाली स्वयं पर अश्क करने वाली बीवी पर पहरा बिठाने वाली किसान नहीं बन पाने वाली व्यापार ी नहीं बन पाने

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जागो प्रजा जागो

30 दिसम्बर 2016
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महान चिंतक अरस्तू ने एक समय 6 प्रकार के राज्यों का वर्गीकरण किया था। उनका विश्वास था कि यह साइकिल;चक्करद्ध क्रम में परिक्रमी रहता है। यह साइकिल राजतंत्र से आरंभ होता है और जल्द ही पथभ्रष्ट होकर नादिरशाही में परिवर्तित हो जाता हैए चंद बुद्धि

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इसे कहते हैं रामराज जी

8 जनवरी 2017
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नोटबंदी गई है छा जी करंसी की लगी बाट जी 8 नवंबर गई है आ जी अफवाहों का गर्म बाजार जी टोलनाके बने गले की फांस जी बैंक एटीएम की बढ़ी कतार जी प्रजा को मिला नया रोजगार जी चाय पराठों में मिलती पगार जी रोटी.दाल.चावल.साँबर की जगह टमाटर.रोटी बनी सर्वोत्तम खुराक जी इसे कहते हैं राम

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ब्रह्मा बेदर्दे

18 जनवरी 2017
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ब्रह्मा बेदर्दे

18 जनवरी 2017
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मंथरा-कैकेयी की जुगलबंदी ने रामायण दी रचवा ब्रह्मा बेदर्दे ब्रह्मास्त्र दिए चलवा ब्रह्मा बेदर्दे शकुणी-दुर्योध्न के षड़यंत्रों ने महाभारत दी लिखवा ब्रह्मा बेदर्दे कर्ण-भीष्म का प्रताप दिया घटवा ब्रह्मा बेदर्दे ईसा-हजरत का बलिदान भाईचारा न सका ला ब्रह्मा बेदर्दे दुनिया को

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मेक अमेरीका ग्रेट अगेन योजना का भारत पर प्रभाव

22 जनवरी 2017
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आखिरकार 20 जनवरी, 2017 को डोनॉल्ड ट्रंप ने अमेरीका के 45वें राष्ट्रपति के रुप में पदभार संभाल लिया। ट्रंप अमेरीका के एक बिलियनर एवं विवादस्पद व्यापार ी हैं तथा अपने बेबाक व्यवहार के कारण अनेक विवादों से जुड़ चुके हैं। राट्रपति चुनाव में कू

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अंग्रेजी की हिंदी को सीख

30 जनवरी 2017
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मैं विदेशी तू नाज-ए-हिंद है भूल मत तू हिंदमाता की बिंदी हैपुष्पक पहला तेरे वतन में ही आया थाआँखों देखा हाल देववाणी ने बयाँ कराया थाधरती पुत्रों तेरों ने ही भूखों का हलनिकाला था पूर्वज मेरों ने पूर्वज तेरों से बहुत कुछचुराया थाअस्त्र-शस्त्र-ब्रह्मास्त्र का डंका तोतेरे

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कोष मूलो दंड

31 जनवरी 2017
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जब से समाज में व्यवस्था स्थापित है तभीसे ही शासकों की ओर से शासन चलाने के लिए प्रजा से कर वसूला जाता रहा है। भारत में भीकर वसूलने का इतिहास बहुत पुराना है। मनु काल हो या महाभारत काल या कालिदास या कोटिल्य के अर्थशास्त्र का प्रसंग लें करव्यवस्था का संदर्भ आता ही है। कालिदास राजा दिलीप का संदर्भ देते ह

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बसंत पंचमी का त्यौहार

31 जनवरी 2017
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भारत ऋतुओं का देश है।यहां अपनी-अपनी बारी से 6 ऋतुएं आती हैं । इन सभी में से बसंत ऋतु सबसे हरमनप्यारी है । बसंत पंचमी मूल रुप से प्रकृति का उत्सव है । इस दिन से धार्मिक,प्राकृतिक और सामाजिक जीवन के कार्यों में बदलाव आना आरंभ हो जाता है । बसंत पंचमीप्रकृति के साथ आध्यात

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जैसी चाह वैसी राह

5 फरवरी 2017
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बढ़ते हैं कर बढ़ाने वाला चाहिएबनते हैं मित्र बनाने वाले चाहिएहोती है खोज करने वाला चाहिएबिकती है दारू पीने वाला चाहिएढहती हैं दीवारें ढहाने वाला चाहिएहोती है दुश्मनी करने वाला चाहिएहोती है नोटबंदी करने वाला चाहिएरोती है दुनिया रुलाने वाला चाहिएमिलते हैं गुलामबनाने वाल

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वर्तमान स्वरोजगार योजना एक व्यंग्य

22 अप्रैल 2017
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एक व्यक्ति ने मुर्गे पाल रखे थे जो बहुत हट्टे कट्टे थे । उन्हें एक सज्जन मिलने आए और पूछा कि तुम्हारे मुर्गे बहुत तंदरुस्त हैं इन्हें क्या खिलाते हो । वह बोला मैं इन्हें काजू बादाम और महंगे ड्राई फ्रूट खिलाता हूँ । अच्छा ! लोगों को खाने को नहीं मिल रहा और तू अपने मुर्गों को ड्राई फ्रूट खिला रहा है

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आप विधायक सौरभ भारद्वाज का ईवीएम पर खुलासा महज एक बकवास

10 मई 2017
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दिनांक 9.5.2017 को आम आदमी पार्टी ने ईवीएस कीहैकिंग प्रक्रिया दिखाने के लिए दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। जबहैकिंग प्रक्रिया टीवी पर लाइव आरंभ हो गई तो मुझे भी उत्सुकता हुई और मैने यहपूरी प्रक्रिया एक टीवी चैनल पर देखी। इस सत्र में विपक्ष के नेता को मार्शल कीसहायता से सदन से बाहर निकलवाकर

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भारतीय प्रजातांत्रिक केंद्रवाद बनाम राष्ट्रपति पद्धति सरकार

13 मई 2017
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1917 की रुसी बोलशैविक क्रांति की सफलता केउपरांत प्रजातांत्रिक केंद्रवाद की कम्युनिस्ट विचारधारा समाज के सामने आई। रशियन सोशल-डेमोक्रेटिक लेबर पार्टीकी दिनाँक 26 जुलाई से 03 अगस्त 2017 तक आयोजित छठी कांग्रेस में प्रजातांत्रिककेंद्रवाद की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि पार्टी की नीचे से ऊपर तक निर्दे

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जूते की आत्मकथा

20 मई 2017
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एक आम कहावत है कि उसने उसको जूते-चप्पलों सेपीटा। मगर एक समय ऐसा भी था जब आठवीं कक्षा के मेरे अध्यापक ने चाय पीते-पीते ही पूरीकक्षा को जूते की आत्मकथा लिखनी सिखाई। अध्यापक महोदय ने आरंभ करते हुए कक्षा कोबताया कि जूते की आत्म लिखना बहुत आसान है। लिखो गाँव में राम लाल की भैंस मर गई।उस मरी हुई भैंस को च

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भगवान जगन्नाथ रथयात्रा पुरी पर विशेष

25 जून 2017
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ओड़िशा के पुरी में समुद्रतट पर स्थित जगन्नाथ मंदिर एक हिंदु मंदिर है जो श्रीकृष्ण(जगन्नाथ)कोसमर्पित है । जगन्नाथ का अर्थजगत के स्वामी से होता है । इस मंदिर को हिंदुओंके चार धामों में से एक माना जाता है । यह मंदिर वैष्णव परंपराओं और संत रामानंद से जुड़ा हुआ है । भगवान जगन्नाथ पुरी में 56प्रकार के अन्

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चायवाद

9 जुलाई 2017
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नरसंहार को नाजीवाद कहते हैंराष्ट्रभक्ति को राष्ट्रवाद कहते हैंकट्टरवाद को फासीवाद कहते हैंमाओ समर्थन को माओवाद कहते हैंसमाज सुधार को समाजवाद कहते हैंमार्क्स समर्थन को साम्यवाद कहते हैंसर्ववाद विरोध को आतंकवाद कहते हैंक्षेत्र विस्तार को साम्राज्यवाद कहते हैंऔर जनता की गाढ़ी कमाई विदेशों में लुटाने को

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सत्ता संघर्ष और अनुवादकों की भूमिका

5 अगस्त 2017
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अंग्रेजी की एक टर्म लिटल नॉलेजइज डेंजरस का हिंदी पर्याय बना है नीम हकीम खतराए जान जिसका अर्थ है कम ज्ञानस्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एक सामान्य जन से जब नीम हकीम खतराएजान का अर्थपूछा गया तो उसका उत्तर था- ऐ हकीम तू नीम के पेड़ के नीचे मत जा वहां तेरी जान का खतरा है। शोले फिल्म काएक मशहूर डॉयलाग है

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सत्ता संघर्ष और अनुवादको का दायित्व

12 अगस्त 2017
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जब भारत सरकार अधिनियम, 1935 अस्तित्व में आया थातो लगने लगा था कि भारत स्वतंत्र होने वाला है और भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी होनेवाली है। क्योंकि विदेशिओं को यह भलिभांति मालूम था कि भारत में बहुसंख्य हिंदीभाषिओं की है। स्वतंत्रता सेनानियों का भी आपस में संवाद हिंदी में ही होता था औरहिंदी ने स्वतंत्रता स

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आस्था खुद के अस्तित्व तक

6 सितम्बर 2017
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आस्था से तात्पर्य है कि समग्र रुप से स्थिर या स्थित होना। यह आस्था किसी व्यक्ति विशेष या स्थान विशेष से संबंधित हो सकती है। जैसे कोई देव या देवालय। आ का मतलब समग्र रुप से व स्था का मतलब स्थिर रहने की अवस्था । विदेशों में भी पूर्व में आस्था व अंधविश्वास था। जर्मनी व फ्रांस

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भारत का भाषा विवाद (14 सितंबर हिंदी दिवस पर विशेष)

14 सितम्बर 2017
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किसी भी राष्ट्र की एकता के लिए किसी एक सर्वमान्य भाषा का होना जरुरी है और भारत में यह भाषा हिंदी ही हो सकती है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति रह चुके सुकर्णो ने अपनी आत्मकथा में भारत को हिंदी को अपनी राजभाषा अपनाने में आनाकानी पर व्यंग कसा था।

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जनता मांगे भ्रष्टाचारी डॉ मनमोहन सरकार ?

26 अक्टूबर 2017
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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही वर्तमान सरकार का अस्तित्व में आने का एक ही कारण था कि देश में ईमानदार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक गठबंधन सरकार चल रही थी। मेरे जीवन का एक अनुभव है कि ईमानदार शख्सियत या तो अपना स्वयं का नुकसान कर सकती है या अपने जैसे ही किसी ईमानदार क

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झगड़ें नहीं राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत याद करें

5 नवम्बर 2017
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जन गणमन अधिनायक जय हे वंदे मातरम्भारतभाग्यविधाता सुजलांसुफलां मलयजशीतलाम्पंजाबसिन्धु गुजरात मराठा सस्यश्मामलां मातरम्द्राविड़उत्कल बंगा शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकित यामिनम् विन्ध्यहिमाचल

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सरकारी झटकों से बीमार भारतीयों के लिए आ रहा राष्ट्रीय व्यंजन खिचड़ी

5 नवम्बर 2017
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सरकारी झटकों से बीमार भारतीयों के लिए आ रहाराष्ट्रीय व्यंजन खिचड़ीWorried because of Government shakesNational food Khichri is coming For Ill Indians

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साम्यवादी मार्क्स बनाम दक्षिणपंथी मोदी का ७ नवंबर

15 नवम्बर 2017
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कार्ल मार्क्स ने 1848 के अपने कम्युनिस्ट घोषणापत्र में कहा था कि साम्यवादी क्रांति का लक्ष्य उत्पादन के साधनों पर विश्व के मजदूरों का आधिपत्य स्थापित करके पूंजीवाद की कब्र खोदना है। एक नई समतामूलक संस्कृति को जन्म देना, समाज को वर्गविहीन बन

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विश्वास बनाम अफवाह

18 नवम्बर 2017
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महानायक अमिताभ बच्चन की एक पिक्चर आई थी देश प्रेमी। अमिताभ जी को एक ऐसी कॉलोनी में रहना पड़ता है जिसमें अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं तथा छोटी-छोटी बातों का बतंगड़ बनाकर आपस में लड़ते रहते हैं। मगर यह उस देश प्रेमी का ही विश्वास होता है कि

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पूर्वज वही जो लाभ दिलाए

23 नवम्बर 2017
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अगर कहीं रेलगाड़ी से दिल्ली स्टेशन को लिंक करते नगरों की यात्रा पर निकलें तो मैरिज ब्यूरो का एक विज्ञापन दिवारों पर लिखा मिलेगा – दुल्हन वही जो दादा जी दिलाएं । दशकों पूर्व सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की अर्दांगनी जया भादुड़ी स्टारर एक फिल्म आई थी जिसका शीर्षक था द

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क्यों है लॉकडाउन की मजबूरी

31 मार्च 2020
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समाज की उत्पति से लेकर आजतक विश्व एक हीथ्यूरी पर चल रहा है कि समाज में वर्चस्व किस का होगा। जंगलराज को नकेल डालकर कुछव्यवस्थाएं स्थापित हो गईं लेकिन जिनके साथ अन्याय होता था उन्होंने प्रतिरोध जारीरखा। वर्तमान युग में विश्व की ओर से फेस की जा रही समस्याओं का मुख्य कारण पश्चिमजगत और उनका अंधानुकर

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ब्रह्म ज्ञान

2 अप्रैल 2020
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लिखा ओंकार ने कभीबैठकर इक दिन सच में मानव तूँ इक दिन हैरान होगारुकेंगी बसें विमान ट्राम और रेलें बंद पलों मेंसारा सामान होगालिखा ओंकार ने कभी बैठकर इक दिन सच में मानव तूँइक दिन हैरान होगापक्षी चहकेंगे सुखी साँस होगा प्रदूषण रहित तबसारा संसार होगापाताल धरती पानी आकाश पर काबज कैद घर में इक दिनइंसान हो

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पानी की आत्मा

30 जुलाई 2020
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कोई कहे हिंदु पानीकोई कहे मुस्लिम पानी समझाने को आत्मा पानी की अनेकों ने दी कुर्बानी फिर भी न माने क्योंकि कमान ईसाईयत को थीजो थमानी ईसाईयत ने करोड़ों लीले आत्मा की हुई बदनामी स्वतंत्र है देश फिर भी कोई कहे हिंदु पानी ‘कोई’ मुस्लिम पानी क्योंकि

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अस्थायी आशियाना

1 अगस्त 2020
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सजनरे झूठ मत बोलो-खुदा के पास जाना है। हाथी है न घोड़ा है वहां पैदल ही जाना है।तुम्हारे महल चौबारे-यहीं रह जाएंगे सारे - अकड़ किस बात की प्यारे - अकड़ किस बातकी प्यारे। एकसमय की बात है कि एक सन्यासी राजा के महल के सामने आए और आते ही राजा के महल मेंघुसने का प्रयास करने लगे। राजा के सैनिकों ने उन्हें

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जन्मदिवस पर पत्नी को शुभकामनाएं

20 जून 2023
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 किसी खूबसूरत एहसास की भांति  तुम परिवार और मेरे जीवन के लिए हो बहुत जरुरी,  जैसे जिस्म के लिए सांसों की डोरी,  हम जीवन के प्रत्येक रंग को जी लेंगे,  तेरा साथ रहेगा तो समाज की प्रत्येक तपन सह

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