चंद्रगुप्त मौर्य का प्रभावशाली इतिहास – Chandragupta Maurya biography provided detail information from War, Marriage, to Death. चन्द्रगुप्त मौर्यवंश का प्रतिष्ठापक (founder) थे । मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त को नंदवंश के समाप्ति तथा पंजाब सिंध में विदेशी शासन का अन्त करने का हीं नही बल्कि पूरे India पर अपना आधिपत्य स्थापित करने का श्रेय भी जाता है । इनके पोते का नाम सम्राट अशोक थे जो की आगे चल कर अपनी ताकत का पुरे दुनिया में लोहा मनवाया | तो चलिए जानते है Chandragupta Maurya History के बारे में विस्तार से.
Chandragupta Maurya History in Hindi
To chaliye ab jante hai Chandragupta Maurya ke biography aur wiki pure detail mein:
चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म / Birth of Chandragupta Maurya
चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 340 ई. पूर्व में मौरिय अथवा मौर्य वंश के क्षत्रिय कुल में हुआ था । वे प्रथम मौर्य सम्राट थे और पूरे india पर भी राज करने वाले वे पहले सम्राट थे। वे जन्म से ही गरीब थे, उनके पीता नन्दों की सेना में एक अधिकारी थे जो किसी कारणवंश नन्दों द्वारा मार दिए गए थे। उनके पिता की मौत उसके जन्म लेने से पहले ही हो गई थी। जब चन्द्रगुप्त 10 वर्ष के थे तो उनकी माँ मुरा का भी देहांत हो गया था और तब से उनकी परवरिश चाणक्य नाम के ब्राह्मण ने की थी । बाद में चन्द्रगुप्त भी नन्दों का सेनापति हुआ परन्तु इससे भी नन्दों की नहीं पटी और वह अपनी प्राण की रक्षा के लिए मगध से भाग गए । और फिर उसके बाद से वह नन्द विनाश का साधन ढूंढने लगे ।
Empire of Chandragupta Maurya
हम सभी भारतीय को गर्व होना चाहिये की उस समय राजा चन्द्रगुप्त मौर्या (Chandragupta Maurya) का साम्राज्य बंगाल (Bengal) से ले कर अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan) और बलोचिस्तान (Balochistan) तक था | यह अलग बात है की समय के साथ हम लोग एकता की ताकत को भूल गए और हमारे देश का कई बार बटवारा हो चूका | जरुरी यह है की हमें अपनी संस्कृति और विरासत को ना केवल संभाल कर रखे बल्कि साथ ही साथ इसके लिए डटकर आने वाले समय में मुकाबला भी करना होगा |
चन्द्रगुप्त मौर्य और चाणक्य/ Chandragupta Maurya and Chanakya
चाणक्य (Chanakya) भी नन्द वंश के विनाश का बीड़ा उठाए हुए थे इसी प्रकार उनके और चन्द्रगुप्त के Purpose एक था । नन्द- वंश का विनाश के लिए चन्द्रगुप्त को चाणक्य जैसे कूटनीतिज्ञ तथा विद्वान् की अव्यश्कता थी और चाणक्य को चंद्रगुप्त जैसे वीर महत्वाकांक्षी एवं साहसी सेनापति की आव्यश्कता थी । दोनों को अपने अपने मन की पसंद के व्यक्ति प्राप्त हुए । दोनों में नन्द वंश का अंत करने तथा एक सुदृढ़ साम्राज्य की सथापना के लिए गठबंधन हो गया । उन्होंने मिल कर एक सेना तैयार की और मगध पर आक्रमण कर दिया । परन्तु इस युद्ध में उन्हें हार मिली और दोनों हीं वहां से भाग निकले और पंजाब जा पहुंचे । वहां उन्होंने अनुभव किया की इस प्रदेश को आक्रमण का आधार बना कर नन्दों की शक्ति का अंत करना समभव है ।
चन्द्रगुप्त का मगध पर आक्रमण / Chandragupta’s War on Magadh
चन्द्रगुप्त ने border पर के प्रदेशों से अपना विजय-अभियान start किया और फिर रास्ते में पड़नेवाले कई states और district पर जीत हासिल की, लेकिन उन्होंने एक ग़लती यह की कि अपनी जीते हुए states और district को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने वहां अपनी सेनाएँ नहीं तैनात कीं। इसका नतीजा यह हुआ कि जैसे-जैसे वह आगे की ओर बढ़ते गए वैसे-वैसे जिन लोगो को हरा करके वह पीछे छोड़ते गए थे , वे स्वतंत्रतापूर्वक आपस में मिल सकते थे । वे लोग उनके सेना को घेरकर उनकी plans को प्रभावहीन बना सकते थे । जब उन्हें इसका पता चला तो जैसे जैसे states और district पर वे विजय प्राप्त करते गए वैसे-वैसे उन्होंने वहाँ अपनी सेनाएँ भी तैनात कर दी और फिर वे अपनी सेना के साथ मगध में प्रवेश किये ।
चाणक्य के जासूसों ने नन्द के अधिकारियों को पैसा देकर उन्हे अपने तरफ कर लिया । इसके बाद नन्द राजा ने अपना position त्याग दिया और चाणक्य को जीत हांसिल हुई। चन्द्रगुप्त ने पूरे प्रजा का आश्वासन जीता और इसके साथ उसको power का अधिकार भी मिला।
चन्द्रगुप्त मौर्य का विवाह / Marriage of Chandragupta Maurya
Jahan tak Chandragupta Maurya ki marriage ya unki wife ke bare mein baat ki jati hai to sabse pahle iski suruwat kahan se hui, wah janana jaruri hai. जब सिकंदर की सेनापति सेल्यूकस ने india पर आक्रमण किया था तब चन्द्रगुप्त ने उसकी विशाल सेना का सिन्धु नदी के उस पार सामना किया । इस समय शशिगुप्त और आम्भि के समान विदेशी शत्रु का कोई साथ देने वाला नहीं था । इस परिस्थिती में सेल्यूकस बुरी तरह परास्त हुआ और चन्द्रगुप्त के साथ उसे एक अपमान जनक संधि करनी पड़ी।
इसके अनुसार उसे वर्तमान अफगानिस्तान और बलुचिस्तान का सारा प्रदेश जो खैबर दर्रे से हिन्द कुश तक फैला हुआ था चन्द्रगुप्त को देना पड़ा । अपनी बेटी हेलेन (Helen marriage) का विवाह चन्द्रगुप्त से करना पड़ा । यह भी एक रोचक बात है की Helen को भारत से लगाव था और शादी के बाद उन्होंने संस्कृत भी सिखा | उपहार में चन्द्रगुप्त ने उसे 500 हांथी (Elephant) दिए और मिगास्थानिज राजदूत के रूप में भारत आया । उनका एक पुत्र भी था जिसका नाम बिन्दुसार था । इस प्रकार चन्द्रगुप्त के साम्राज्य की वैधानिक सीमा पश्चिमोत्तर में हिन्दुकुश तक पहुँच गई ।
चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु / Death of Chandragupta
Everyone wanted to know how exactly Chandragupta Maurya died? जित के बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य शादी करके कर्नाटक (Karnataka) की तरफ चले गए और बाद में उनकी मृत्यु 298 ई. पूर्व श्रवण बेल्गोला में हुआ , उस वक्त चन्द्रगुप्त केवल 42 वर्ष के थे । विजयी होने के बाद उन्होंने जैन पद्वति को अपनाया था |
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