शून्य में टिकी मेरी आँखें
हाथों में एक कलम देखती है
और लिखती जाती है - काव्य-महाकाव्य
ग्रन्थ-महाग्रंथ
कभी शून्य की देहरी पर जाओ
तो … पढ़ना
उसे हुबहू समझने के लिए
कोलाहल में मुझसे बातें करना
जब सन्नाटा साँसें अवरुद्ध करने लगे
तो लिखे हुए किसी शब्द को रेखांकित करना
कई स्वर मुखरित हो उठेंगे !
शून्य में मेरी हर पदचाप
लीक से अलग होती है
कभी बोलती है
कभी मूक
कभी कर्णभेदी चीत्कार करती है
चाह यही है
कि मैं जो कहूँ
उसे सुनना नियति बन जाये
अन्यथा,
न बहारों में ठहराव है
न पतझड़ पूरी बात करता है
सूखे, ठूंठ वृक्ष पर भी
एक पत्ता बसंत के गीत गा लेता है
स्वभाव तुम्हारा -
तुम बिना वस्त्र के पेड़ को देख
काट देने की सोचते हो
मैं राग सुनकर
सुगबुगाते बसंत को देखकर
उसे नहला देती हूँ
पेड़ से पहले मेरी कल्पना लहलहा उठती है
शब्दों से लदे वृक्ष मुझे अमीर बनाते हैं
डायरी को संदूक बना
मैं शब्द जमा करती हूँ
कब,कहाँ शब्द अकाल हो
और …
शब्दविहीन होना उचित नहीं
काल,
परम्परा,
विरोध,
सहमति के लिए
सिर्फ मौन का कोई अर्थ नहीं होता
मौन का
कोई और अर्थ निकले
उससे पूर्व
- शब्द शब्द कहना ज़रूरी है
ज़रूरी है लिखना -
काव्य-महाकाव्य
ग्रन्थ,महाग्रंथ ! …
झूठ को झूठ ही पढ़ते जाना परम्परा नहीं
गलत सन्देश है !!
इंद्र पुत्र अर्जुन
पांडु के सौतेले लड़के थे
अर्जुन,युधिष्ठिर,भीम
नकुल,सहदेव
माता कुंती की वजह से भाई थे
पांडु से उनका कोई रिश्ता नहीं था
पर समय ने उन्हें पांडव" बनाया
जिससे कर्ण कभी नहीं जुड़ा
कर्ण के हिस्से 'सूर्यपुत्र' की गरिमा
और राधेय का मान रहा
इन सारे प्रयोजनों को विराम देना सही नहीं
मुख्य तथ्य को जानना होगा
रिश्तों को तोड़ना -मरोड़ना
क्या कोई लक्ष्य था ?
राज्य गौरव के लिए यूँ वंशज !!!
'महाभारत' युद्ध कथा है
रिश्तों की सहज कथा नहीं
तो … युगों को लिखना होगा
उलझे धागों को सुलझाकर
मन के व्यूह को तोड़कर !
लिखना होगा रामायण
सीता कौन थी - इसकी खोज आवश्यक है
मर्यादा का
शाब्दिक
और गूढ़ अर्थ बताना होगा !
मान लेने का अर्थ न हो
तो मंथन होता रहेगा
विपरीत सोच
कलयुग की संज्ञा से विभूषित होते रहेंगे …