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पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहाड़

23 दिसम्बर 2016

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पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहाड़

आज पता चला कि हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं की आवश्यकता क्यों है । फैज़ाबाद से बस्ती जाते समय रास्ते में अयोध्या पड़ता है । चूँकि आज चैत रामनवमी थी तो पुरे देश भर से लोग अपना-अपना पाप धोने अयोध्या में पधारे थे । इतनी सारे पापी मैंने आज से पहले कभी नहीं देखे थे। भगवान को मालूम था की आगे चल कर पापियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होने वाली है इसी से उन्होंने पहले ही 33 करोड़ देवी-देवताओं का प्रबंध कर रखा था। अब समस्या ये है की इस पाप धोने धुलाने के चक्कर में यातायात ठप पड़ जाता है । मान लीजिये की इस सारे चक्कर में किसी एम्बुलेंस में फंसे व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसका पाप किसके सर लगेगा। बहुत सोचा परंतु ये प्रश्न अनुत्तरित ही रह गया ।


कुछ लोगों ने कहा कि ये उनकी श्रद्धा है लेकिन इस बात में भी कोई दम नहीं दिखता। भाई अगर ईश्वर पर श्रद्धा है तो उसकी कही बातों पर भी तो श्रद्धा रखो। अगर श्री मद् भगवद् गीता को प्रामाणिक माना जाये और ये माना जाये की उसमे कही हुई बातें स्वयं ईश्वर ने कही हैं (जो की हिन्दू लोग मानते भी हैं ) तो गीता में तो भगवान ने खुद कहा है कि


अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः ।
अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च ।20। (अध्याय 10)


मैं सम्पूर्ण भूतों का आदि, मध्य और अन्त हूँ अर्थात सभी भूत मुझ आत्मतत्व परमात्मा से प्रकट होते हैं मुझमें स्थित रहते हैं और अन्त में मुझमें ही विलीन हो जाते हैं। हे अर्जुन, मैं सब भूतों में उनके हृदय में स्थित आत्मा हूँ, मैं सृष्टि के अणु-अणु में व्याप्त हूँ, मेरे आत्मतत्व ने इस सृष्टि को धारण किया हुआ है।


तो भाई ईश्वर की इस बात को मान कर अपने अपने घरों में शांति से बैठिये और उनका ध्यान कीजिये । मेरे ख्याल से ये ज्यादा उपयुक्त तरीका है अपने मन को कलुषविहीन रखने का ।


अब डॉक्टर के पास तो वही लोग जाते हैं ना जो बीमार हैं, बिना बीमारी के डाक्टर के पास क्यों जाना ।


कबीरदास जी की कही बातों का कुछ तो सम्मान रखिए – जो मन चंगा तो कठौती मे गंगा


अपने तन के साथ साथ मन को भी स्वस्थ रखिये फिर कोई जरूरत नहीं पड़ेगी साल में 3 बार अपने पापों को धोने की। वरना जिस हिसाब से देश की जनसँख्या बढ़ रही है उस हिसाब से 33 की जगह 55 करोड़ देवी-देवताओं की जरूरत पड़ेगी।


कृपया भगवान के ऊपर अतिरिक्त मानसिक और आर्थिक बोझ ना डाले।

किंग

किंग

गुड

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तन्हा जीना सीख लिया ।

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तन्हा हसना, तन्हा रोना, तन्हा जीना सीख लिया,हमने खुद को बिन तेरे भी, जिंदा रखना सीख लिया ॥ गिला नहीं किस्मत सेहमको, जो मेरे तुम हो नसके, अपने हाथों की रेखा को, हम ने पढ़ना सीख लिया ॥ क्या हुआ जो तेरी महफिल में मेरे नाम कोई जाम नहीं, हमने अपने प्याले को अश्क़ों से भरना सीख लिया ॥ तोड़ दिया साकी से रिश्त

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पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहाड़

23 दिसम्बर 2016
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पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहाड़आज पता चला कि हिन्दू धर्म में 33करोड़ देवी-देवताओं की आवश्यकता क्यों है। फैज़ाबाद से बस्ती जाते समय रास्ते में अयोध्या पड़ता है । चूँकि आज चैत रामनवमीथी तो पुरे देश भर से लोग अपना-अपना पाप धोने अयोध्या में पधारे थे । इतनी सारेपापी मैंने आज से पहले कभी नहीं देखे थे। भ

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