आँधियों से हमें तुम डराओगे क्या,
चढ़ता सूरज हूँ मुझको बुझाओगे क्या।
मैं तुम्हारे लहू की रवानी में हूँ ,
सोच लो अब भी हमको मिटाओगे क्या।
जीत औ हार से मैं बहुत दूर हूँ,
मैं झुकूँगा नहीं तुम झुकाओगे क्या।
उड़ गए जो परिंदे ज़मीं छोडकर,
उनको वापस ज़मीं पर बुलाओगे क्या।
टूटकर के बिखर जाऊं मुमकिन नहीं,
आजमा लीजिये तोड़ पाओगे क्या।
मैं हवाओं से नाखुश नहीं हूँ मगर,
है गुमां आपको क्यों बताओगे क्या।
हो निगाहों से कातिल सनम बेवफ़ा,
तुम वफादारियों को निभाओगे क्या।
जिस्म पर ज़ख्म होते तो दिखते सभी,
रूह बिस्मिल है तुम देख पाओगे क्या।
है अमीरी अगर तो हुनर मंद हैं,
ऐब इनके भी गिनके बताओगे क्या।
अहले दिल तेरी कोशिश को दिल से दुआ,
रौशनी में अंधेरों को लाओगे क्या।
मत सवालों से घबरा के नज़रें चुरा,
मैं हूँ 'अनुराग'मुझसे छुपाओगे क्या।