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सिंधु सरस्वती की सभ्यता

2 जनवरी 2017

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सभ्यताएं जन्म लेती हैं उत्कर्ष पर आती हैं और फिर विलुप्त हो जाती हैं कुछ सिल्ला, माया, एस्ट्राकोंस, नोक, सैंजिंगडुई की सभ्यता मानिन्द तेज गुजरती रेलगाड़ी की तरह, पर्याप्त गुंज के साथ धङधङा कर गुजर जाती हैं तो कुछ रोम, यूनान, चीन, मैसोपोटामिया, मिस्र और सिन्धु घाटी की सभ्यताओं की तरह, चुपचाप हजारों वर्षों के सफर में तराशती हैं शैल को नदी के किनारों की तरह..... अनेक सिद्धांत हैं जो अलग अलग सभ्यताओं को पुरातन सिद्ध करते हैं परन्तु प्रथम उत्सुकता तो यह है कि, सभ्यता कहा किसे जाये? क्या गुफाओं में अस्तित्व की लड़ाई लङने को सभ्यता कहा जाये? क्या चट्टानों को क्रम में जमा कर रखे जाने को सभ्यता माना जाये? क्या अन्य समूहों से अनवरत युद्धक्रमों को सभ्यता समझा जाये? क्या स्वेच्छाचारी सीमा अतिक्रमणों को सभ्यता माना जाये? आखिरकार, किस सभ्य समाज को सभ्यता कहा जाये......... "अ थिअरी आफ ह्यूमन मोटिवेशन" में प्रतिपादित, मास्लो पिरामिड के सिद्धान्तानुसार, मानव आवश्यकताओं के कई स्तर हैं पहले दैहिक, फिर सुरक्षा, फिर प्रेम की आवश्यकताएँ, तत्पश्चात, आत्मसम्मान व आत्मसात आवश्यकताएँ और वास्तव में, सभ्यता का विकास भी इसी क्रम में गति करता है अर्थात, मूलभूत आवश्यकताओं की प्राप्ति पर जन्म होेता है, उच्चस्तरीय आवश्यकताओं का..... तो, विकासक्रम की, लाखों वर्षों की दौड़ में कौनसी प्रजाति, अपनीे संख्या, परिमाण व बुद्धिबल से, अन्य प्रजातियों से इतर साबित हुई है जो सर्वप्रथम पहुंची उच्चस्तरीय आवश्यकताओं तक जवाब है....... "होमो सेपियंस" जो कि, "होमो इरेकटस" से विकसित हुऐ हैं तो, "होमो इरेकटस" से "होमो सेपियंस" बनने की वजह क्या थी? "होमो सेपियंस" की करोड़ों की आबादी विकसित कैसे हुई? सभ्यताओं के शुरुआती दौर में, ये "होमो सेपियंस" उर्फ मनुष्य, सबसे ज्यादा कहां पर मौजूद थे? तो जवाब यह है कि, कुछ सर्वाधिक पुरातन अनाज के जीवाश्मों के अनुसार, सिंधु सरस्वती की सभ्यता के किनारों पर, कुछ मनुष्य समूहों ने, कृषि करके, लगातार भोजन उत्पादन शुरू कर दिया था, और दैहिक व सुरक्षा आवश्यकताओं को सुनिश्चित करते हुए, प्रेम व उच्चतम सोपानों को बढ चले थे, जिसने की, पृथ्वी के अन्य भूभागों से, महत्वकांक्षी बंजारों व लूटेरों को इस तरफ आकर्षित किया था परन्तु, पांडित्यपूर्ण अध्यनशील संसार ने, अपने वाद विवादों से, प्रमाणित किया है कि, अन्य सभ्यताएं सिंधु घाटी सभ्यता से पुरातन व विकसित थीं...... तो, वो इस अज्ञात शंका का समाधान करें कि सभ्यताओं के शुरुआती दौर में, मनुष्यों की सर्वाधिक संख्या, पृथ्वी के केवल 2% हिस्से में, सिंधु नदी के किनारे पर, इतिहास के, सबसे लम्बे अर्से तक, क्या कर रही थी?........ इतिहास सदैव, विजेताओं की इच्छानुसार लिखा जाता है इतिहास ने स्वयं को, सदैव अतिशयोक्तियों से महिमामंडित किया है..... किन्तु, वो चुप रहते हैं, जब, मेरा बालमन पूछता है कि, पाइथोगोरस 570 ई.पू., आरकिमिडिस 287 ई.पू. व न्यूटन 1642 में पैदा हुऐ थे तो, अंगकोर वाट जैसे महाविशालकाय पानी पर तैरते मंदिर व पिरामिडों को बनाने का निर्माण शास्त्र व ज्यामितिय सूत्र किसने दिये? रेशम के किङे को अगर चीनी सभ्यता ने 3000 ई.पू. खोजा, तो, ममी को ढकने के लिए रेशम के वस्त्र कहां से आये? पूरी दुनिया के लोग, सिंहासन बत्तीसी या बेताल पच्चीसी को कैसे जानते थे...... तो, इसका कारण था सिंधु सरस्वती सभ्यता से होने वाला व्यापार जिसने, सिंधु नदी के किनारों को, अप्रतिम विस्तार देकर, जम्बुद्वीप अर्थात हिन्दुस्तान नामक स्थान को, सोने की चिड़िया में परिवर्तित कर दिया था और, यही समृद्धि, इस सभ्यता का विनाश बनकर उभरी...... इतिहास में, तुर्कों, अफगानों व मंगोलों के आक्रमण तो दर्ज हैं पर, ये नहीं बताया गया है कि, तलवारों कि अनुपस्थिति में, सिंधु घाटी की सभ्यता के मोहनजोदङो व हङप्पा में अकीक, सूर्य मणि, हरिताश्म, मोती, माणिक्य व सोना कैसे सुरक्षित रह पाया? इतिहास, इस सिंधु सभ्यता पर, पुरातन काल से हुई, आक्रमण गाथाओं से भरा हुआ है पर ये सामान्य सा तथ्य नहीं स्वीकारता कि, ततैयों या चिंटियों की कोलोनी पर कभी, कोई आक्रमण नहीं करता है, आक्रमण सदैव मधुमक्खी के छत्तों पर, शहद के लालच में होते हैं और इतिहास गवाह है कि, सर्वाधिक आक्रमण, सिंधु घाटी की सभ्यता पर हुए हैं जो स्वयं साबित करता है कि, ये सर्वप्रथम विकास के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी..... परन्तु, मैकाले जैसे महापुरुषों की बदौलत आज हमें, अन्य सभ्यताओं का बच्चा बताया जाता है हमें पढाया जाता है, कि, 5 हजार साल पहले हमें लिखना पढना नहीं आता था परन्तु इस कलमूंहे विज्ञान का मूंह कैसे बंद किया जाये, जो, कार्बन डेटिंग जैसी उन्नत विधाओं से, रामसेतु जैसी रचनाओं को, लाखों साल पुराना प्रमाणित कर रहा है..... पर, फिर भी अगर, केवल दस्तावेजों पर बात हो तो, पुरातन क्रम कुछ यूं लिखा गया कि, प. एशिया (जेरिको) में इन-अस-सुल्तान 8000 ई.पू केटल होयुक (कोनया, टर्की) 7500-5700 ई.पू. मैसोपोटामिया उर्फ सूमेरियन सभ्यता 6500 ई.पू मिश्र की सभ्यता 6000 ई.पू सिंधु घाटी की सभ्यता - 3500 ई.पू और इस क्रम को मानकर, सम्पूर्ण युरोप व अरब आत्ममुग्धता में खोया हुआ था और बङे बङे वाद विवाद आयोजित हो रहे थे कि, मैसोपोटामिया और जेरिको में पुरातन कौन और विकसित कौन? क्योंकि, जेरिको के जीवाश्म पुराने तो, मैसोपोटामिया के शिलालेख पुराने किंतु तभी, सिंधु सरस्वती कि सभ्यता ने फिर सर उठाया और मेहरगढ (बलोचिस्तान) व भिराना (हरियाणा) सामने आये उम्र निकली 9500 ई.पू. व 8000 ई.पू. अभी, इस झटके से पुरातत्ववेता उभरे भी न थे, कि, इक और पुराना मंदिर निकला जिसने सबको हिला डाला ये था, टर्की में सेनलीउर्फ़ा के नजदीक गोबेक्ली टेपे जिसकी उम्र निकली 11000 ईसा पूर्व...... वास्तव में, कोई नहीं जानता कि, सभ्यताएं कितनी पहले शुरू हुई थी क्योंकि कुछ और पुराने का अभी जागना बाकी है...... क्योंकि, जब हर कोई, गोबेक्ली टेपे पर विस्मित था उसी समय, सारे ज्ञान विज्ञान को पीछे छोड़ते हुए, समुंदर का कचरा साफ करते करते, खम्बात की खाङी में, नजर आये, इक अतिविकसित अतिप्राचीन महानगरी के अवशेष जहां कुछ, शिल्पकृतियां 32000 ई.पू. की थीं सब काटने पीटने के बाद भी उम्र निकली आइस ऐज की समाप्ति की अर्थात, 12000 ईसा पूर्व नाम...... द्वारका अब सब पुरातत्ववेता, मूंह में दही जमाये बैठे हैं...... https://m.facebook.com/renuttam/

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