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आनेवाली मुस्कराहटों ..

6 जनवरी 2017

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लो गई..

उतार चढ़ाव से भरी

ये साल भी गई...

गुजरता पल,कुछ बची हुई उम्मीदे

आनेवाली मुस्कराहटों का सबब होगा,

इस पिंदार के साथ हम बढ़ चले।


जरा ठहरो..देखो

इन दरीचों से आती शुआएं...

जिनमें असिर ..

इन गुजरते लम्हों की कसक, कुछ ठहराव और अलविदा कहने का...,

पयाम...नव उम्मीद के झलक

कुसुम के महक का,


जी शाकिर हूँ ..

कुछ चापों की आहटों से

न न न न इन रूनझून खनक से...,


हाँ..

कुछ गलतियों को कील पर टांग आई..,


बस जरा सा..

हँसते हुए ख्वाबों ने कान के पास आकर हौले से बोला..

क्या जाने कल क्या हो?

कोमल मन के ख्याल अच्छी ही होनी चाहिए..।

© पम्मी सिंह

(पिंदार-self thought,शाकिर- oblige )


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