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राष्ट्रवादी सुरक्षा बल : व्यंग्य

17 जनवरी 2017

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आज के भारत को या भारत के लोगों को ध्यान में रखते हुये बहुत जरूरी हो गया है कि भारत सरकार को एक राष्ट्रवादी सुरक्षा बल (Nationalist Security Force) का गठन कर ही देना चाहिये. इसके दो फायदे हैं -पहला कि बढती बेरोजगारी के समय रामबाण सिद्ध होगा, दूसरा कि लोगों मे राष्ट्रीयता बनी रहेगी और कोई भी से राष्ट्र के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करेगा. क्या पता शायद इसकी वजह से नये कन्हैया पैदा न हों. हाँ इस बल का कार्य केवल राष्ट्रभक्ति का संचार ही नही अपितु लोगों में वर्तमान राष्ट्रभक्ति का लेवल पता करना भी होना चाहिये. इससे किसी फौजी की राष्ट्रभक्ति का लेवल कितना है और एक सामान्य व्यक्ति की राष्ट्रभक्ति का लेवल कितना है ये भी पता चल सकेगा. साथ ही साथ राष्‍ट्रद्रोहियों की मौजूदा समय में संख्या का पता चल सकेगा. बेहद दिलचस्प आंकड़े देखने को मिल सकते हैं, किस धर्म तथा किस जाति के लोग ज्यादा राष्ट्रवादी हैं, सारा कंफ्यूजन ही दूर हो जायेगा. इससे तथाकथित राष्ट्रवादियों को भी ठिकाने लगाने में मदद मिलेगी. कौन ज्यादा राष्ट्रवादी है कौन कम राष्ट्रवादी है, इस भेदभाव को मिटाने के लिये भी इस बल के पास पर्याप्त उपाय होंगे. जैसे राष्ट्रभक्ति का पैमाना तय कर देना, मानो क्रिकेट मैच चल रहा है ओर अगर किसी व्यक्ति ने लीक से हटकर विरोधी टीम को सपोर्ट कर दिया तो उसकी राष्ट्रभक्ति में कितनी गिरावट आयी. अगर यही मैच पाकिस्तान से हो तो इस संदर्भ में ज्यादा गिरावट आनी चाहिये. सिर्फ क्रिकेट मैच ही नहीं अपितु रोजमर्रा की हर एक्टिविटी को राष्ट्रभक्ति से जोड़ा जा सकता है, जैसे खुले में सोच करना, संस्कृति पर अनावश्यक टिप्पणी करना. कुछ ही समय में अनुकूल रिजल्ट देखने को मिलेंगे. हो सकता है हमारी देखादेख बाकि के देश भी ऐसी ही फोर्स बनाने के बारे में सोचने लगें और हमारी राय लें . मैं तो यही कहता हूं कि जितना जल्दी हो सके इस बल का गठन कर दिया जाये, क्या पता कौन राष्ट्र इसकी प्लानिंग हमसे पहले कर ले और इस क्षेत्र में हम से आगे निकल जाये. तो फिर शुभ कार्य में देरी कैसी....

रवि शंकर की अन्य किताबें

पुष्पेंद्र सिंह

पुष्पेंद्र सिंह

बहुत खूब, छा गए आप तो👌👌👌👍

18 जनवरी 2017

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

सार्थक लेख , बहुत ही अच्छा

18 जनवरी 2017

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मैं बेजुबान

20 मई 2016
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देखता हूँ चारों तरफ अपने इक तूफ़ान सा लाचारी का बेबसी का भयावह भूतमय सपनो भरी रातों का एक भयंकर डर सा जकड़ लेता है अंदर तक सहम सा जाता हूँ जब सोचता हूँ मैं बेजुबान दबे पाऊँ घर से निकलना और दबे पाऊँ वापस आना ज़िंदा रह कर भी मरे हुए सा रहना कितना कष्ट झेलना पड़ता है होकर बेजुबान कितना मजे में रहता था हँसत

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जब मैंने मोमोस बनाये

28 मई 2016
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विदेश में रहकर आपको किन किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसका एक  जीता जागता  उदाहरण मुझे देखने को मिला .यूँ कहूँ तो ये ऐसी कोई दिक्कत थी नहीं जो कोई मुसीबत पैदा करें. लेकिन कहानी बताने से पहले मैं एक बात साफ़ कर दूँ  कि बाहर  आकर सबसे बड़ी समस्या खाने की  ही होती है . जैसे तैसे करके आप खाने बनने

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भाजपा के दो साल : विकास या जुमलेबाज़ी

28 मई 2016
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कोई सीखे इंतज़ार करने का सलीका इनसे ये " वादे"  ना जाने कबसे बैठे हैं पूरा होने के लिए       -S. Sharmaभाजपा की सरकार बने हुए दो साल पूरे हो गए है. और ये वर्षी एक पर्व की तरह मनाई जा रही है मानो सबकुछ अच्छा, बहुत अच्छा हो गया हो. जैसे देश विकास के एक नए रास्ते पर चल पड़ा हो. जैसे भाजपा ने जुमलेबाजी को

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रामवृक्ष यादव

4 जून 2016
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 रामवृक्ष यादव: अर्श से फर्श तक ; आखिरकार उत्तर प्रदेश के डी जी पी ने रामवृक्ष यादव को मृत घोषित कर दिया। कौन है ये रामवृक्ष जिसने अचानक से उत्तर प्रदेश के प्रशासन में हड़कम्प मचा दिया। रामवृक्ष यादव जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका है।  इतना ही नहीं वह  चुनाव भी लड़ चुका वो अलग बात है कि जनता ने उसे नकार द

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राष्ट्रवादी सुरक्षा बल : व्यंग्य

17 जनवरी 2017
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आज के भारत को या भारत के लोगों को ध्यान में रखते हुये बहुत जरूरी हो गया है कि भारत सरकार को एक राष्ट्रवादी सुरक्षा बल (Nationalist Security Force) का गठन कर ही देना चाहिये. इसके दो फायदे हैं -पहला कि बढती बेरोजगारी के समय रामबाण सिद्ध होगा, दूसरा कि लोगों मे राष्ट्रीयता ब

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इश्क़ में नीलाम : शायरी

17 जनवरी 2017
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सबकुछ तो लुटा दिया इश्क़ में,साँसों पर भी हक़, अब तो हमारा नही | जी रहे थे जिन यादों के सहारे,क़र्ज़ अदा करना, उनका भी तो मुमकिन नही | रोकर कट जाते थे तन्हाई के पल,आंसू भी आँख से, कमबख्त अब तो छलकता नही | तन्हाई को माशूका बनाएं भी तो कैसे.कमबख्त दिल को इतना भी तो गंवारा नही | हंस-खेलकर गुजर रही थी जि

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