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#पता_नहीं

20 जनवरी 2017

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#पता_नहीं


अपनी दोस्त के साथ स्कूटी से जाते वक्त.. मेरी नज़र उसके हेंडल पर लटकी हुई सूखे गेंदें की माला पर गयी.. तो मैने बोला.. के होगयी थी पूजा,अब तो निकाल लो इसे.. फेंक देना,वरना फंसेगी। तब वह कहने लगी.. के अभी फेंक देतें हैं। निकाली माला.. और पुल आने पर स्कूटी रोक दी (नीचे डेम का साफ पानी बहता है जिसके)।। मैं उसकी मंशा समझ गयी.. तब मैने बोला के नहीं.. हम इसे डस्टबिन में फेंकेंगे। दोस्त कहने लगी के नहीं.. यह पूजा के फूल हैं इन्हे सिरफ विसर्जित किया जा सकता है। फिर मैने उसे बोला के यूँ तो जीवित हम और तुम, अपने शरीर का इतना ध्यान रखतें हैं.. और हमारे माता-पिता भी हमारे शरीर पर एक चोट लग जाने पर ज़मीन-आसमान एक कर देतें हैं। शरीर से बड़ा कोई धन नहीं.... लेकिन जब हमारी मृत्यु हो जाती हैं.. तब क्या किया जाता है इस शरीर का?? क्या तब हम मृत शरीर के प्रति इतना मोह रख पातें हैं..!!


°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° मृत फूल-मालाएँ, पूजन सामग्री, पुराना प्रसाद... मूर्ति विसर्जन... आदि-आदि यह सब.. जीवित नदियों,तालाबों और समुद्र के लिये ज़हर का काम करतें हैं.. पता नहीं कब तक हम धर्म के नाम पर इनकों और भी ज़हरीला और प्रदूषित करतें रहेंगें।

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gurmukh singh

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आज भी हम इन दकियानूसी विचारो को क्यों ढो रहे हैं ?

20 जनवरी 2017

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वह ...

7 सितम्बर 2016
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वो आंखो के काले घेरों पे foundation मलकर, निकलती है। वो धो लेती है आंसू washroom में और निकलती है होठों पर मुस्कुराहट मलकर।फिर गले लगाती है कसकर और गर्माहट प्यार की बॉटतें हुए मिलती है।वो चहकती है चिरैया के ज

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हिंग्लिश या हिन्दी

15 सितम्बर 2016
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ज़माना हिंग्लिश का हो चला है,मै भी अछूती नहीं इसीलिए उसी रंग की हूँ.. 12हवी तक हिन्दी में पढाई की,लेकिन मेडिकल तो हिन्दी में नहीं होता न..! तो फिर शुरु किया हिन्दी में याद करना और इंग्लिश में लिखना। लेकिन बात जमी नहीं और अब हाल यह है कि

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हिंसा

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तो'

14 जनवरी 2017
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कभी -कभी कितने ही खयाल मन में हलचल करने लगते हैं एक साथ ... सोचती हूँ.... इत्ता भी क्या भावनाअों का होना कि चैन से जी भी ना पाउँ। हर कदम, हर सांस ही भारी हो जाये... इतना भी क्युं जिम्मेदारी लेना या यूं कहें कि खुद को समझदारी का जीता जागता नमूना बना डाला मैने।ये लाइनें सिर

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कविता

20 जनवरी 2017
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लिखें प्रेम कविताएँ...लिखें देशप्रेम लिखें दया... लिखें वफा लिखें हरियाली... लिखें जीवन लिखें व्यंजन... लिखें रंग लिखें भाईचारा... लिखें सुकून लिखें अमन... लिखें बसंत लिखें औरत का मान... लिखें ख्वाब लेकिन बार्डर पे छलनी सीनों पे.. सड़क किनारे भिखमंगो पे अखबारों की मैली

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#डायरी 14-10-2016 ब्रैस्ट-कैंसर

20 जनवरी 2017
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