“मैं बस एक ही चीज चाहती हूं. मैं बहुत ज्यादा बीमार पड़ जाऊं और ‘उसके’ बारे में मुझे कम से कम एक हफ्ते तक कोई ख़बर न हो. मुझे कुछ हो क्यों नहीं जाता? ये सब क्यों बर्दाश्त करना पड़ रहा है मुझे? काश मैंने उससे प्यार नहीं किया होता! मैं बाहर जाकर थोड़ी और नींद की दवाई ख़रीद लूंगी और नीम बेहोशी की हालत में पहुंच जाऊंगी. फिर उसके बाद मुझे उसके बारे में कुछ नहीं सोचना पड़ेगा. उसे मेरी ज़रूरत सिर्फ कुछ ख़ास चीजों के लिए होती है. जब वह कहता है कि वो मुझे प्यार करता है, तो शायद वो उस लम्हे भर का सच होता है. वह मुझे इतनी तकलीफ़ क्यों देता है, जबकि एक झटके में ही प्यार की डोर तोड़ सकता है?”
– 23 साल की एक लड़की ने विश्व युद्ध-2 के काल में क्रूरता की सब हद पार करने वाले एक भयंकर बदनाम आदमी से प्यार किया था. न सिर्फ किया बल्कि प्यार निभाया भी. वो लड़की थी ईवा ब्राउन और अपनी डायरी के इस अंश में वो जिसका ज़िक्र करती है वो है एडॉल्फ हिटलर.
हिटलर अपनी क्रूरता के लिए इतना बदनाम है कि उसकी कल्पना एक रूमानी शख्स के तौर पर करना नामुमकिन सा लगता है. लेकिन जैसा कि अक्सर साबित होता आया है तमाम क्रूरताओं के अंदर प्रेम का बीज पनपने की गुंजाइश ज़रूर होती है. कई बार वो दुर्लक्षित हो जाती है, लेकिन कई बार वो आपकी ऊर्जा का प्राइम फ़ोर्स भी होती है. आपकी ज़िंदगी में स्ट्रेस-बस्टर का काम करती है. इवा ब्राउन की ज़िंदगी में हिटलर की शायद यही अहमियत थी. ईवा ब्राउन, जिसने हिटलर से बेपनाह प्यार किया, उम्र भर उसके साथ लॉयल रही, उसके लिए एक दिन की दुल्हन बनी और उसी के लिए महज़ 33 की उम्र में ख़ुदकुशी करके जान दे दी.
आज बर्थडे है उस लड़की का.
ईवा का जन्म 6 फ़रवरी 1912 को म्यूनिख़ में हुआ था. एक स्कूल टीचर की बेटी ईवा की शुरू से फोटोग्राफी में दिलचस्पी थी. महज़ 17 की उम्र में ईवा ने फोटोग्राफर हेनरिच हॉफ़मैन के असिस्टेंट की जॉब कर ली थी, जो नाज़ी पार्टी के ऑफिशियल फोटोग्राफर थे. इसी सिलिसले में उसकी हॉफ़मैन के स्टूडियो में पहली बार हिटलर से मुलाक़ात हुई. वो परिचय, आगे चलकर ऐसा बंधन बना जो दोनों की मौत पर ही जाकर ख़त्म हुआ.
ईवा ने अपने फोटोग्राफिक टैलेंट का इस्तेमाल करते हुए हिटलर की बहुत सी फोटो खींची. आज दुनिया भर में हिटलर की जितनी तस्वीरें दिखाई देती हैं उनमें से ज़्यादातर ईवा की ही खींची हुई है. एक बार हिटलर के साथ रिलेशनशिप में आने के बाद उसने हॉफ़मैन के लिए काम करना छोड़ दिया था लेकिन फोटोग्राफी नहीं छोड़ी.
हिटलर के साथ उसके रिश्तों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए दुनिया के तमाम इतिहासकार उत्सुक रहे हैं. लेकिन एक ज़िंदादिल लड़की की सीधी-सपाट ज़िंदगी के अलावा किसी के हाथ कुछ न लगा. हिटलर एंड टीम के चीफ आर्किटेक्ट रहे अल्बर्ट स्पियर ने एक बार कहा था, “ईवा इतिहासकारों को बहुत ज़्यादा निराश करेंगी.” सनसनी की तलाश में हाथ मारते इतिहासकारों को अगर कुछ मिला तो वो ये कि ईवा ने 1932 में भी एक बार ख़ुदकुशी की कोशिश की थी. कहा जाता है कि वो हिटलर का ध्यान खींचने की कोशिश थी.
दुनिया भर को आतंकित करते हिटलर की राजनीति क ज़िंदगी में ईवा का कभी ज़्यादा दख़ल नहीं रहा. जब कोई पॉलिटिकल बैठक होती, ईवा को कमरे से बाहर भेज दिया जाता. हिटलर की रैलियों में भी उसकी कभी शिरकत नहीं रही. एकाध बार को छोड़कर. उसकी ज़्यादातर दिलचस्पी फोटोग्राफी, स्पोर्ट्स, फैशन और सिनेमा में रही. हिटलर की ज़िंदगी में उसकी प्रेजेंस सिर्फ तब-तब रही जब-जब हिटलर ने चाहा. हिटलर ने उसे म्यूनिख़ में एक घर दिलवा दिया था, जहां वो अपना ज़्यादातर समय बिताती. इसी वजह से हिटलर से उसके मज़बूत संबंधों का दुनिया को पता ही तब चला जब उसने हिटलर के साथ ख़ुदकुशी कर ली.
ईवा ने जब हिटलर के साथ ख़ुदकुशी की तब उसकी उम्र महज़ 33 साल थी. अप्रैल 1945 में वो तब म्यूनिख़ से बर्लिन आई जब लाल सेना जर्मन राजधानी पर अपना शिकंजा कस रही थी. 28-29 अप्रैल की रात को ईवा और हिटलर ने एक छोटे से फंक्शन में शादी कर ली. ये शादी फ्यूहरर बंकर में हुई जो नाज़ियों का हेडक्वार्टर था और एयर रेड से बचने के लिए ख़ास तौर से बनाया गया था. शादी के गवाह बहुत कम लोग थे जिनमें हिटलर के लेफ्टिनेंट जोसेफ गोबेल्स और मार्टिन बोरमैन शामिल थे. दूसरे दिन सुबह हिटलर ने अपनी नई पत्नी के लिए वेडिंग ब्रेकफास्ट आयोजित किया. ईवा का नाम ईवा ब्राउन से बदल कर ईवा हिटलर हुआ. जब ईवा ने अपनी शादी का सर्टिफिकेट साइन किया तब पहले ब्राउन का B लिखा, फिर उसे काट के हिटलर लिखा.
दोपहर 1 बजे के बाद उन दोनों ने स्टाफ और अपने विश्वासपात्र लोगों को अलविदा कहा. उसके बाद अपने कमरे में चले गए. करीब 3.30 बजे उस कमरे से गोलियां चलने की आवाज़ आई. हिटलर के नौकर ने जाकर देखा तो दोनों की लाशें पड़ी थी. हिटलर की दाईं कनपटी से ख़ून बह रहा था और उसकी पिस्तौल उसके पैरों के पास पड़ी थी. ईवा की लाश एक सोफे पर लुढ़की हुई थी और उसके चेहरे पर शांति का भाव था. उसके शरीर पर कहीं भी चोट का निशान नहीं था, जिससे लगता था उसने मौत का कोई और रास्ता चुना था. बाद में ज़ाहिर हुआ कि उसने साइनाइड का कैप्सूल खा लिया था.
उन दोनों की डेड बॉडी को बंकर के इमरजेंसी एग्जिट से निकाला गया और बाहर गार्डन में ले जाकर पेट्रोल डाल के जला दिया गया. स्टाफ के चुनिंदा लोगों ने नाज़ी स्टाइल में हाथ फैलाकर हिटलर और उसकी प्रेमिका को अंतिम सलामी दी.
33 की उम्र में दुनिया छोड़ कर चली जाने वाली एक आम लड़की का एक तानाशाह से जुड़ा होना उसे दुनिया भर में चर्चा दे गया. और ये जुड़ाव ही वजह रही इतनी कम उम्र में ज़िंदगी से हाथ धो बैठने की. दुनिया के किसी भी कोने में जब भी कहीं तानाशाही का ज़िक्र चलता है, लोगों के ज़हन में पहला नाम हिटलर का आता है. और जहां हिटलर की बात चले वहां से ईवा नदारद हो ऐसा हो नहीं सकता. प्यार आपको यूं भी अमर कर सकता है!
साभार - thelallantop.com