shabd-logo

राजस्थानी कविता

12 फरवरी 2017

778 बार देखा गया 778
मारवाङी कविता- दूध दही ने चाय चाटगी, फूट चाटगी भायाँ ने ।। इंटरनेट डाक ने चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने ।। टेलीफोन मोबाईल चरग्या, नरसां चरगी दायाँ ने ।। देखो मर्दों फैसन फटको, चरग्यो लोग लुगायाँ ने ।। साड़ी ने सल्वारां खायगी, धोतीने पतलून खायगी ।। धर्मशाल ने होटल खायगी, नायाँ ने सैलून खायगी ।। ऑफिस ने कम्प्यूटर खाग्या, 'मेगी' चावल चून खायगी ॥ राग रागनी फिल्मा खागी, 'सीडी' खागी गाणा ने ॥ टेलीविज़न सबने खाग्यो, गाणे ओर बजाणे ने ॥ गोबर खाद यूरिया खागी, गैस खायगी छाणा ने ॥ पुरसगारा ने बेटर खाग्या, 'चटपटो खाग्यो खाणे ने ॥ चिलम तमाखू ने हुक्को खाग्यो, जरदो खाग्यो बीड़ी ने ॥ बच्या खुच्यां ने पुड़िया खाग्यी, अमल-डोडा खाग्या मुखिया ने ॥ गोरमिंट चोआनी खागी, हाथी खाग्यो कीड़ी ने ॥ राजनीती घर घर ने खागी, नेता चरगया रूपया ने ॥ हिंदी ने अंग्रेजी खागी, भरग्या भ्रष्ट ठिकाणो में ॥ नदी नीर ने कचरो खाग्यो, रेत गई रेठाणे में ॥ धरती ने धिंगान्या खाग्या, पुलिस खायरी थाणे ने ॥ दिल्ली में झाड़ू सी फिरगी, सार नहीं समझाणे में ॥ मंहगाई सगळां ने खागी, देख्या सुण्या नेताओ ने ॥ अहंकार अपणायत खागी, बेटा खाग्या मावां ने ॥ भावुक बन कविताई खागी, 'भावुक' थारा भावां ने ॥

सतपाल बिश्नोई (खिचङ) की अन्य किताबें

रेणु

रेणु

बहुत बढ़िया

25 फरवरी 2017

1

राजस्थानी कविता

12 फरवरी 2017
0
2
1

मारवाङी कविता-दूध दही ने चाय चाटगी, फूट चाटगी भायाँ ने ।।इंटरनेट डाक ने चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने ।।टेलीफोन मोबाईल चरग्या, नरसां चरगी दायाँ ने ।।देखो मर्दों फैसन फटको, चरग्यो लोग लुगायाँ ने ।।साड़ी ने सल्वारां खायगी, धोतीने पतलून खायगी ।।धर्मशाल ने होटल खायगी, नायाँ ने सैलून खायगी ।।ऑफिस ने कम्प्यू

2

शहर बीकाणा थारी याद घणी आवे

17 फरवरी 2017
0
2
1

बीकानेर छोड़ र् बाण्डे कमावण ने निक्लयोड़ा न बीकानेर घणो याद आवे। बो आपरा मन री बात इण् कविता र् माध्यम सूँ इण् तरयां केवे :-🤔😘😔😣☹😢😪😭 जद भी हूँ मन में सोचूँहबीडा है आवैअरे ओ सैर म्हारातूँ याद घणौ आवैबै लिखमीनाथ जॉंवतीलुगायौं रा रेलाबै नौरतौं रै मौकैनागणियोजी रा मेळाझौंझरकै रा हेलाअठै कूण तौ लग

3

हक राजस्थानी भाषा का

22 फरवरी 2017
0
3
1

¤ हक मांगै छै अपणी भासा/हक सूं लेवां हक रौ खांवां ;हक रै टाळ कठै पण जावां !हक रौ हाळी हक रौ माळी ;हक रौ धांन घरां निपजावां !हक री करणी हक री भरणी; हक जीवां हक पर मर जावां !हक सूं खेचळ हक सूं ब़ंतळ; हक सूं राड़ करां मिळ जावां !हक सूं निरखां हक सूं परखां ;हक री ब़ातां मन ब़िलमावां !हक सूं करां काळजौ स

4

शहीद जगदीश बिश्नोई

17 मार्च 2017
0
2
1

Jai Hindसीमा ऊपरो सूरमो,रण लङियो कर सीस !बिश्नोई बीकाणे रो,झङ पङियो जगदीश !!उजल इल कीधी अडर ,सधर दियो धर सीस !बिश्नोई बंको मरद,जंग निसंक जगदीश !!कीर्त कमाणी सहल की,आणी मरण इकीस !अछर उमाणी देख इम,जांभाणी जगदीश !!सकङ सपूती राख,नर रजपूती नाम !मजबूती जगदीश मन,कर अदभूती काम !!जग नर चावो जेगलो, हर हर कीधो

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए