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शहर बीकाणा थारी याद घणी आवे

17 फरवरी 2017

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बीकानेर छोड़ र् बाण्डे कमावण ने निक्लयोड़ा न बीकानेर घणो याद आवे। बो आपरा मन री बात इण् कविता र् माध्यम सूँ इण् तरयां केवे :- 🤔😘😔😣☹😢😪😭 जद भी हूँ मन में सोचूँ हबीडा है आवै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै बै लिखमीनाथ जॉंवती लुगायौं रा रेला बै नौरतौं रै मौकै नागणियोजी रा मेळा झौंझरकै रा हेला अठै कूण तौ लगावै अरे ओ सैर म्हारा तँ याद घणौ आवै। दिनूगै सूँ कबूतरौं नै दौणा बै चुगावै गायौं और कुत्तौं नै रोट्यौं भी खुँवावै जणै ब्यावै कुतड्यौं बिठै सीरा भी बणावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। बै जाडोडा भुजिया बै मोहतौं री रबड्यौं बिदौमौं री कतल्यौं बै धनजी री गजक्यौं बिसा माल म्हौने अठै कूण तौ खुँवावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। जेसराज री मिठायौं बीके स्कूल री कचोळ्यौं बै ब्यासजी रा पिचका चायपट्टी री पकोड्यौं जद याद करूँ बौनै बाकै में राळ्यौं आवै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। बै बाजरी रा सोगर बै साग फोफळियौं रा खाखडीया और मतीरा झाड बोरियौं खोखौं रा बै सौंगर्यौं रा साग अठै कूण तौ बणावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। बै पौन री दुकौन्यौं बै गाड़ा छत्तौं रा बै दूध री कडायौं बै थाळ मळायौं रा अठै बौरा दरसण म्हौनै कूण तौ करावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। बै होळी री गेवर री अलबेली फब्त्यौं बै रमत्यौं री रात्यौं में घूमण री मस्त्यौं बै बूँटी रा भुजिया अठै कूण लेर आवै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। आखातीज माथै बै किन्नौं री लडत्यौं बुई काट्या रा रोळा बै चिंदै री रस्यौं अठै कूण म्हौने बा इमलौणी पावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। होळी और दीवाळी रा बै रौमासौमा बै पइसौं री गिणती में टाबरौं रा झगडा अठै कूण म्हौनै बै पइसा दिरावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। ढढ्ढौं री गवरजा आगै नाचती लुगायौं बडीतीज रै हींडौं में बै हींडती कन्यायौं बै अद्भुत नज़ारा अठै कूण तौ देखावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। जद भादवै में आवै बिठै मेळा दो बाबौं रा सडक्यौं रै माथै लागै भंडार सेवायौं रा सब जातरी तौ नाचता और गॉंवता है जावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। सीयाळै री रात्यौं मैं बै धूँयौं री बस्त्यौं बै बंदर रै गाडै री अधकच्ची मूँगफळियौं धूँइजीयोडी औंख्यौ सूँ पौणी रा रेला आवै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। ऊनाळै में पाटा राजनीति दुनियाभर री खुल्ली चलै हवायौं याद कैनै आवै घर री अठै तौ सिंजा पडते बंद फाटक हुय जावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। दम्मौणियौं ढढ्ढौं में गोधौं री बा लड़ाई और ओ ओ ढिर्र करती बा हौसला अफ़्जाई गाड्यौं रै इयै सैर में कुण गोधौं नै लडावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। बै चीकणी सुपार्यौं बौ गुळकंद रौ खाटौ रौमपुरियौं री हवेल्यौं बौ छतडी रौ पाटौ दुनिया में और किठैई नजर नहीं है आवै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। सुपनौं में म्हारै आवै बै सौवण री गोठ्यौं बा दाळ पंचभेळी बै जाडी फीणारोट्यौं अठै दारू री बोतल में पिकनिक्यौं हुय जावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। बै तौंगौं और टैक्स्यौं में नित रा झमेला हर्षौं , रतौणियौं में जाम ट्रैफ़िक रा मेळा ना एै लारै जावै ना बै भी लारै जावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। बा सावै री रमझम बै छींक्यौं रा रोळा बै खिडकिया पाग्यौं और बै चूणियोडा चोळा लौंकारौं रै नीचै बीन भागता है जावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। जद भी ख़ुशी रौ मौकौ झट डूमण्यौं है आवै ढोलक री थाप माथै क्या गीत बै सुणावै ऐ आजकल रा डीजे देखाई में है जावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। कोटगेट माथै बंद फाटक रेल्यौं रा बा मिरच्यौं री ख़ुशबू बै ओडा मालण्यौं रा बिसा सीन म्हौने अठै नज़र नहीं आवै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। बौ सैर है गुलजी रौ बौ सैर गदा रौ है बौ सैर रौमीरौम रौ बौ सैर सेडा रौ है इसा मिनख तौ भागसाळी सैर में ही आवै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। हूँ आगै बढण खातर बौ सैर छोडियायौ पण अबै ठा पडै है हूँ क्या हूँ छोडियायौ रौम कैई और नै बौ सैर ना छोडावै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। ठाकुरजी जद भी मिलसी कैसूँ ज़रूर बौंनै दुनिया भले बदळिया बस छोड बीकौणै नै म्हौने अठैई सरगौं रा आणंद है आवै अरे ओ सैर म्हारा तूँ याद घणौ आवै। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐

सतपाल बिश्नोई (खिचङ) की अन्य किताबें

रेणु

रेणु

बहुत ही दिल से निकली आह जैसा मार्मिक है आपका लेख ज्यादा समझ ना आने पर भी भाव दिल छू लेता है

18 फरवरी 2017

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राजस्थानी कविता

12 फरवरी 2017
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मारवाङी कविता-दूध दही ने चाय चाटगी, फूट चाटगी भायाँ ने ।।इंटरनेट डाक ने चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने ।।टेलीफोन मोबाईल चरग्या, नरसां चरगी दायाँ ने ।।देखो मर्दों फैसन फटको, चरग्यो लोग लुगायाँ ने ।।साड़ी ने सल्वारां खायगी, धोतीने पतलून खायगी ।।धर्मशाल ने होटल खायगी, नायाँ ने सैलून खायगी ।।ऑफिस ने कम्प्यू

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शहर बीकाणा थारी याद घणी आवे

17 फरवरी 2017
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बीकानेर छोड़ र् बाण्डे कमावण ने निक्लयोड़ा न बीकानेर घणो याद आवे। बो आपरा मन री बात इण् कविता र् माध्यम सूँ इण् तरयां केवे :-🤔😘😔😣☹😢😪😭 जद भी हूँ मन में सोचूँहबीडा है आवैअरे ओ सैर म्हारातूँ याद घणौ आवैबै लिखमीनाथ जॉंवतीलुगायौं रा रेलाबै नौरतौं रै मौकैनागणियोजी रा मेळाझौंझरकै रा हेलाअठै कूण तौ लग

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हक राजस्थानी भाषा का

22 फरवरी 2017
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¤ हक मांगै छै अपणी भासा/हक सूं लेवां हक रौ खांवां ;हक रै टाळ कठै पण जावां !हक रौ हाळी हक रौ माळी ;हक रौ धांन घरां निपजावां !हक री करणी हक री भरणी; हक जीवां हक पर मर जावां !हक सूं खेचळ हक सूं ब़ंतळ; हक सूं राड़ करां मिळ जावां !हक सूं निरखां हक सूं परखां ;हक री ब़ातां मन ब़िलमावां !हक सूं करां काळजौ स

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शहीद जगदीश बिश्नोई

17 मार्च 2017
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Jai Hindसीमा ऊपरो सूरमो,रण लङियो कर सीस !बिश्नोई बीकाणे रो,झङ पङियो जगदीश !!उजल इल कीधी अडर ,सधर दियो धर सीस !बिश्नोई बंको मरद,जंग निसंक जगदीश !!कीर्त कमाणी सहल की,आणी मरण इकीस !अछर उमाणी देख इम,जांभाणी जगदीश !!सकङ सपूती राख,नर रजपूती नाम !मजबूती जगदीश मन,कर अदभूती काम !!जग नर चावो जेगलो, हर हर कीधो

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