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हक राजस्थानी भाषा का

22 फरवरी 2017

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¤ हक मांगै छै अपणी भासा/ हक सूं लेवां हक रौ खांवां ; हक रै टाळ कठै पण जावां ! हक रौ हाळी हक रौ माळी ; हक रौ धांन घरां निपजावां ! हक री करणी हक री भरणी; हक जीवां हक पर मर जावां ! हक सूं खेचळ हक सूं ब़ंतळ; हक सूं राड़ करां मिळ जावां ! हक सूं निरखां हक सूं परखां ; हक री ब़ातां मन ब़िलमावां ! हक सूं करां काळजौ सीतळ ; हक सूं अंतस ज्वाळ जगावां ! हक री सांसां हक री आसा ; हक री भासा बांच भणावां ! हक रौ तेड़ौ हक रौ गेड़ौ ; हक रौ बेड़ौ पार लगावां ! हक राखां हक नै नीं जांणां ; ऊंधै मारग खड़ियै जावां ! हक मांगै छै अपणी भासा ; हक सूं माँ नै मांन दिरावां!!

सतपाल बिश्नोई (खिचङ) की अन्य किताबें

रेणु

रेणु

सतपाल जी -- आप जैसे जुझारू लोग मातृभाषा के लिए काम करते रहेंगे-- तो उसका गौरव सदैव बना रहेगा -- आपकी निर्मल भावना को नमन --

25 फरवरी 2017

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राजस्थानी कविता

12 फरवरी 2017
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मारवाङी कविता-दूध दही ने चाय चाटगी, फूट चाटगी भायाँ ने ।।इंटरनेट डाक ने चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने ।।टेलीफोन मोबाईल चरग्या, नरसां चरगी दायाँ ने ।।देखो मर्दों फैसन फटको, चरग्यो लोग लुगायाँ ने ।।साड़ी ने सल्वारां खायगी, धोतीने पतलून खायगी ।।धर्मशाल ने होटल खायगी, नायाँ ने सैलून खायगी ।।ऑफिस ने कम्प्यू

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शहर बीकाणा थारी याद घणी आवे

17 फरवरी 2017
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बीकानेर छोड़ र् बाण्डे कमावण ने निक्लयोड़ा न बीकानेर घणो याद आवे। बो आपरा मन री बात इण् कविता र् माध्यम सूँ इण् तरयां केवे :-🤔😘😔😣☹😢😪😭 जद भी हूँ मन में सोचूँहबीडा है आवैअरे ओ सैर म्हारातूँ याद घणौ आवैबै लिखमीनाथ जॉंवतीलुगायौं रा रेलाबै नौरतौं रै मौकैनागणियोजी रा मेळाझौंझरकै रा हेलाअठै कूण तौ लग

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हक राजस्थानी भाषा का

22 फरवरी 2017
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¤ हक मांगै छै अपणी भासा/हक सूं लेवां हक रौ खांवां ;हक रै टाळ कठै पण जावां !हक रौ हाळी हक रौ माळी ;हक रौ धांन घरां निपजावां !हक री करणी हक री भरणी; हक जीवां हक पर मर जावां !हक सूं खेचळ हक सूं ब़ंतळ; हक सूं राड़ करां मिळ जावां !हक सूं निरखां हक सूं परखां ;हक री ब़ातां मन ब़िलमावां !हक सूं करां काळजौ स

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शहीद जगदीश बिश्नोई

17 मार्च 2017
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Jai Hindसीमा ऊपरो सूरमो,रण लङियो कर सीस !बिश्नोई बीकाणे रो,झङ पङियो जगदीश !!उजल इल कीधी अडर ,सधर दियो धर सीस !बिश्नोई बंको मरद,जंग निसंक जगदीश !!कीर्त कमाणी सहल की,आणी मरण इकीस !अछर उमाणी देख इम,जांभाणी जगदीश !!सकङ सपूती राख,नर रजपूती नाम !मजबूती जगदीश मन,कर अदभूती काम !!जग नर चावो जेगलो, हर हर कीधो

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