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क्या धर्म बौद्धिकता की अवहेलना करता है?

26 फरवरी 2017

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क्या धर्म बौद्धिकता की अवहेलना करता है?

भगवान श्रीकृष्ण गीता में अर्जुन से कहते हैं, साधुजनों के उद्धार के लिये, दुष्कर्म करने वालों का विनाश करने के लिये और धर्म की स्थापना के लिये मैं पल-पल में प्रकट होता हूँ।

मैं पूरे विषय को केवल दो पंक्तियों में समाप्त कर सकता हूँ। अगर आप मेरे हिन्दू होने, इनके मुसलमान होने, किसी अन्य के सिख होने को धर्म मानते हैं तो हाँ, निश्चित रूप से धर्म, बौद्धिकता की अवहेलना करता है। परन्तु, यदि आप उस व्यवस्था; जिससे होकर प्रत्येक जन वैराग्य को प्राप्त करते हैं, को धर्म मानते हैं तो निश्चित रूप से धर्म, बौद्धिकता की अवहेलना नहीं करता। इसलिये प्रमुख विषय यह नहीं है, कि धर्म बौद्धिकता की अवहेलना करता है या नहीं। प्रमुख विषय यह है कि आप धर्म की संज्ञा क्या लेते हैं?

Manglam Bhaarat: Does Religion Defy Rationality???

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योगा से होगा

25 फरवरी 2017
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योगा से होगा?योग !!! योग, सुबह पाँच बजे किसी घर सेआती फू फाँ की आवाज़ से ज़्यादा जगह नहीं बना पाया था। परन्तु आज तो फ़ेसबुक कीफ़ीड से लेकर प्रधानमंत्री की ट्वीट तक, सब जगह योग ही योग छाया हुआ है। मेरा भी मन किया योगको जानने का कि योग आख़िर होता क्या है, तो एक खोजी वेबसाइट ने तो योग के ऐसे ऐसे मतलब स

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क्या धर्म बौद्धिकता की अवहेलना करता है?

26 फरवरी 2017
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खुला ख़त, आपकी (ज़ीरो बटे सन्नाटा) इण्टरनेट स्पीड के नाम

28 फरवरी 2017
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नमस्कार!!! खुला ख़तपिछले कुछ समय से ट्रेंड पर चल रहा है। मुख्यतः ये ख़त किसी (गैर) ज़िम्मेदार संस्थाको उससे त्रस्त एक अस्तित्त्वहीन(मान लो) मानुस के बीच संवाद स्थापित करने का साधनहोता है, जिसको (गैर) ज़िम्मेदार संस्था को छोड़कर बाकी सब पढ़ लेते हैं। आज अपनी ज़िन्दगीसे त्रस्त होकर मैंने भी एक ख

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Manglam Bhaarat: Script of Street Play

2 अप्रैल 2017
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(अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गएआ गए नुक्कड़िये)-2 (अरे दिलों पे छा गए नुक्कड़िये, देखोआ गए आ गए नुक्कड़िये) (अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गएआ गए नुक्कड़िये) अरे सीना ठोंक के बोलेंगे, दिल कीपरतें खोलेंग

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