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खुला ख़त, आपकी (ज़ीरो बटे सन्नाटा) इण्टरनेट स्पीड के नाम

28 फरवरी 2017

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नमस्कार!!!

खुला ख़त पिछले कुछ समय से ट्रेंड पर चल रहा है। मुख्यतः ये ख़त किसी (गैर) ज़िम्मेदार संस्था को उससे त्रस्त एक अस्तित्त्वहीन(मान लो) मानुस के बीच संवाद स्थापित करने का साधन होता है, जिसको (गैर) ज़िम्मेदार संस्था को छोड़कर बाकी सब पढ़ लेते हैं। आज अपनी ज़िन्दगी से त्रस्त होकर मैंने भी एक खुला ख़त लिखने की कोशिश की है। प्रतिक्रिया दें।


नमस्कार ! मेरी इण्टरनेट वाली सरकार !


सुबह साढ़े आठ बजे का निकला यह लड़का शाम को साढ़े पाँच बजे (वैधानिक रूप से) अपने रूम पर वापिस आता है। दुनिया भर का हाल देखने के लिये(न्यूज़), थोड़ा सा फ़ेसबुक, थोड़ा सा व्हॉट्सएप्प, ज़्यादा सा यूट्यूब इत्यादि (जो आपके ज़ेहन में है, वो इत्यादि में है) का उपयोग करने के लिये जैसे ही browser खोलता है, घूमती हुई सफ़ेद रंग की घुण्डी आपकी मेहनत का हाल बयाँ कर देती है।........पूरा लेख पढ़ें....

Manglam Bhaarat: खुला ख़त, आपकी (ज़ीरो बटे सन्नाटा) इण्टरनेट स्पीड के नाम

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योगा से होगा

25 फरवरी 2017
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योगा से होगा?योग !!! योग, सुबह पाँच बजे किसी घर सेआती फू फाँ की आवाज़ से ज़्यादा जगह नहीं बना पाया था। परन्तु आज तो फ़ेसबुक कीफ़ीड से लेकर प्रधानमंत्री की ट्वीट तक, सब जगह योग ही योग छाया हुआ है। मेरा भी मन किया योगको जानने का कि योग आख़िर होता क्या है, तो एक खोजी वेबसाइट ने तो योग के ऐसे ऐसे मतलब स

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क्या धर्म बौद्धिकता की अवहेलना करता है?

26 फरवरी 2017
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क्या धर्म बौद्धिकता की अवहेलना करता है? भगवान श्रीकृष्ण गीता में अर्जुन से कहते हैं, साधुजनों के उद्धार के लिये, दुष्कर्म करने वालों का विनाश करने के लिये और धर्म की स्थापना के लिये मैं पल-पल में प्रकट होता हूँ। मैं पूरे विषय को केवल दो पंक्तियों में समाप्त कर सकता हूँ। अगर आप

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खुला ख़त, आपकी (ज़ीरो बटे सन्नाटा) इण्टरनेट स्पीड के नाम

28 फरवरी 2017
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नमस्कार!!! खुला ख़तपिछले कुछ समय से ट्रेंड पर चल रहा है। मुख्यतः ये ख़त किसी (गैर) ज़िम्मेदार संस्थाको उससे त्रस्त एक अस्तित्त्वहीन(मान लो) मानुस के बीच संवाद स्थापित करने का साधनहोता है, जिसको (गैर) ज़िम्मेदार संस्था को छोड़कर बाकी सब पढ़ लेते हैं। आज अपनी ज़िन्दगीसे त्रस्त होकर मैंने भी एक ख

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Manglam Bhaarat: Script of Street Play

2 अप्रैल 2017
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(अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गएआ गए नुक्कड़िये)-2 (अरे दिलों पे छा गए नुक्कड़िये, देखोआ गए आ गए नुक्कड़िये) (अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गएआ गए नुक्कड़िये) अरे सीना ठोंक के बोलेंगे, दिल कीपरतें खोलेंग

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