-- योगेन्द्र सिंह
प्यार एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही हम सभी के दिल में हिंदी फिल्म की तरफ कुछ-कुछ होने लगता है। सभी लोग प्यार करना चाहते हैं। जिसे भी प्यार का रोग लग जाता है वह hindi filmi songs को दिन रात गुनगुनाने लगता है। आपने कभी सोचा है कि प्यार की शुरुआत कैसे होती है। आज हम आपको बताते हैं कि प्यार की शुरुआत कहां से और कैसे-कैसे होती है।प्यार होने का Reason No.1 -- हिंदी फिल्मों की तरह प्यार की शुरुआत स्कूल कॉलेजों में पढ़ाई के दौरान होती है। पहले लड़का - लड़की में दोस्ती होती है। बाद में थोड़ी नोक-झोंक होती है। फिर यह दोस्ती प्यार में बदल जाती है। आगे चलकर सब कुछ ठीक रहता है तो यह प्यार शादी तक पहुंच जाता है।
प्यार होने का Reason No. 2 -- कहीं-कहीं देखा जाता है की शादी वगैरह मैं भी लड़का-लड़की एक दूसरे को देखते हैं। फिर इन दोनों में प्यार का पंचनामा शुरू हो जाता है। फिर कही दोबारा मुलाकात होती है। इस तरह यह प्यार की दास्तान आगे बढ़ने लगती है।
प्यार होने का Reason No. 3 -- एक ही office में नौकरी करते हुए भी स्टाफ के दो जवान लोगों के दिल में प्यार के फूल खिल जाते हैं। रोज एक ही जगह जाना, काम करना, इस तरह धीरे-धीरे कहो ना प्यार है के गीत गाने लगते हैं।
प्यार होने का Reason No. 4 -- कभी हम देखते हैं कि सफर के दौरान भी लड़का-लड़की मिलते हैं। बातचीत होती है। मोबाइल नंबर दिए और लिए जाते हैं। फिर बातें आगे बढ़ती हैं। इस तरह से प्यार को हो जाने दो का सिलसिला शुरू हो जाता है।
प्यार होने का Reason No. 5 -- एक ही रास्ते पर रोज जाने से भी लड़का लड़की में नजरे मिल जाती है। जैसे हिंदी फिल्मो में होता है ठीक वैसे ही दोनों एक दूसरे के प्यार में खो जाते हैं। एक दूसरे को चाहने लगते हैं।
प्यार होने का Reason No. 6 -- आजकल तो प्यार का एक नया ट्रेंड चला है सोशल मीडिया। facebook, whatsapp, इंस्टाग्राम और ट्वीटर के द्वारा अब तो लड़का-लड़की एक दूसरे के हो जाते हैं। पहले friend बनते हैं। फिर फोटो शेयर करते हैं। चैटिंग करते हैं। इस तरह से दोनों एक ही बात को कहने लगते हैं कि इस प्यार को क्या नाम दूं।