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नारी

8 मार्च 2017

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नारी


स्नेह की धारा है वह, है वात्सल्य की मूर्ति

वीरुध वही,वन वही, कालिका की वो पूर्ति

राष्ट्र , समाज और परिवार को वो समर्पित

स्व - पर, हित को करती प्राण भी अर्पित

वाणी वही, गिरिजा वही, है दामिनी भी वह

कल्पना वो, प्रतिभा वही है कामिनी भी वह

किरन है वह, है सुभद्रा , है महादेवी भी वह

सृजक है वो समाज की समाजसेवी भी वह

है मदर टेरेसा, ऐनी बेसेन्ट, यशोदा भी वह

है अनैतिक समर में संघर्षरत,योद्धा भी वह

बोझ नहीं है , अबला नहीं, न द्वितीय है वह

वह धरा पर देवी रूप ,नारी, अद्वितीय वह

जननी वही , गृहणी वही , नंदिनी भी है वह

भगिनी वही , सती वही , संगिनी भी है वह

बरछी वही , कलम वही, तलवार भी है वह

कंचन वही, चाँदी वही , अलंकार भी है वह

शस्त्र भी वह, शास्त्र भी वह,शक्ति भी है वह

अस्त्र है वह,आस्था भी वह,भक्ति भी है वह

- नवीन कुमार जैन

नवीन कुमार जैन की अन्य किताबें

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तस्वीर

22 फरवरी 2017
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विषय - तस्वीर एक तस्वीर । हर लेती पीर ।। एक है नन्हा बच्चा । भोला भाला सच्चा ।। पहने है कपड़े फटे । बाल न कबसे कटे ।। बीन रहा वो कबाड़ । अंबर की लिए आड़ ।। चेहरे पर है मुस्कान । चल रहा हो छाती तान ।। आँखों में सपने हजार । चाहता अपने लिए प्यार ।। - नवीन कुमार जैन

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परामार्थ

23 फरवरी 2017
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विषय - परमार्थवृक्ष देता है हमें आॅक्सीजन,फूल और फल ।नदियाँ देती हैं हमें खाद्य पदार्थ और निर्मल जल ।।प्रकृति हमको देती सब कुछ, निःस्वार्थ भाव से, है सरल ।परहित करती न स्वार्थ वश,सुंदर, सरस, है निर्मल ।।प्रकृति परोपकार,परहित कोसर्वस्व समर्पित करती ।अपनी ममता की छाँव तलेप्राणियों का मन हरती ।

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फूल और काँटे

24 फरवरी 2017
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विषय - काँटे फूल हो जब राह में काँटे भी जरूरी होते हैं ।फूल फुला देते मन, काँटे लगें तो हम रोते हैं ।।काँटे हमें शायद अहंकार से बचाते हैं ।काँटों के कारण ही हम राह का असली मजा पाते हैं ।।गर फूल , फूल ही हों राह में तो हम फूल की कीमत भूल जाते हैं ।फूल फूल ही हों राह में तो अच्छे अच्छे अहं से फूल जात

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जैन शिक्षा समृद्धि

26 फरवरी 2017
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जे.एस.एस में मिलता , बच्चों की मुश्किल का हलपढ़ो समझो, समझो पढ़ो की नीति बनाती सफलये मंदिर है शिक्षा का यहाँ बनते हैं स्वर्णिम पलयहाँ पलता है नन्हा मन जो होगा देश का कलकभी प्रोजेक्टर से पढ़ाया यहाँ जातालैपटाॅप चलाना भी सिखाया यहाँ जातागुरु शिष्य का देखो यहाँ है मित्रवत नाताजो आया एक बार यहाँ यहीं क

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नारी

8 मार्च 2017
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नारीस्नेह की धारा है वह, है वात्सल्य की मूर्ति वीरुध वही,वन वही, कालिका की वो पूर्ति राष्ट्र , समाज और परिवार को वो समर्पित स्व - पर, हित को करती प्राण भी अर्पित वाणी वही, गिरिजा वही, है दामिनी भी वहकल्पना वो, प्रतिभा वही है कामिनी भी वहकिरन है वह, है सुभद्रा , है महादेव

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माँ

14 मई 2017
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माँ का हृदय नदी सा, जिसमें बहती ममता की धारा ।माँ का वात्सल्य अंबर सा,जिसमें समाहित जग सारा ।।माँ दुख न बाँटती अपना, खुशियाँ सब संग मनाती है ।माँ बच्चों को बहुत प्यारी, पिता की डाँट से बचाती है ।।माँ बच्चों को, बड़ों का, सम्मान करना भी सिखाती है ।माँ ही बाजार से,बच्चों को,नये-नये कपड़ेदिलाती है

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राखी का दिन

7 अगस्त 2017
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रक्षाबंधन का दिनभाई-बहिन के प्यार कादिन आयारक्षाबंधन के त्योहार का दिन आयाभाई की कलाई पे बहिन बांधे रखी जिस दिन वो दिन आयासावन में घड़ी में सजे जबभाई बहिन के प्रेम की झांकीवो दिन आयाराखी, रूमाल के व्यापार का दिन आयारक्षाबंधन के त्योहार का दिन आयाबहिन का रक्षा का प्रण लेजब भाईवो दिन आयाजब बहिन भाई को

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पर्वराज पर्यूषण

26 अगस्त 2017
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पर्वराज पर्यूषण आयो रे पर्वराज पर्यूषण नित प्रति करें जिनदर्शन पूजा पाठ रचाएं भविजन हों धार्मिक आयोजन आयो रे पर्वराज पर्यूषण सात्विक शुद्ध करें भोजन

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