shabd-logo

सिर्फ़ एक दिन नारी का सम्मान, शेष दिन ........ ?

8 मार्च 2017

670 बार देखा गया 670
featured image


मही अर्थात धरती , जिसे हिला कर रख दे वह है महिला। 8 मार्च संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा महिलाओं के सम्मान को समर्पित दिन है जिसके आसपास के दिन भी नारी - अस्मिता के उल्लेखों से सराबोर रहते हैं. विश्व पटल पर नारी की सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक दशा और उपलब्धियों के बख़ान का यह दिन गुज़र जाता है कुछ विचारोत्तेजक ,सारगर्भित चर्चाओं और प्रकाशनों के साथ।


' 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस '


वर्ष के शेष दिन.....?


संघर्ष के दिन ,


अपमान के दिन ,


उत्पीडन के दिन ,


अंतहीन पीड़ा के दिन ,


ख़ुशी और ग़म के दिन ,


सजाकर पेश करने के दिन ,


प्रताड़ना और तानों के दिन,


गौरव / अभिमान के दिन ,


त्याग और समर्पण के दिन ,


प्रतिबन्ध और वर्जनाओं के दिन ,


मन मारकर रह जाने के दिन ,


पुरुष-सत्ता के क्षोभ सह लेने के दिन ,


समाज की दोगली सोच के दिन ,


कामुकता से उफनते पुरुष की कुदृष्टि के दिन,


भोग्या की नियति होकर मर-मर कर जीने के दिन,


माँ, बहन , भार्या , बेटी होने के दिन ,


समाज के क़ानून को ढोने के दिन,


दिन पर दिन ......364 दिन ,


नारी -सम्मान का स्मरण ,


फिर 8 मार्च के दिन,


सिर्फ़ एक दिन... ?



नारी के सम्मान में स्थापित विचार -


यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवतः,


”जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”,


‘मातृदेवो भवः’ ,


पुरातन काल से अब तक नारी-संघर्ष की गाथा अनेक आयामों से भरी हुई है। हिंसा और लूटपाट का दौर थमा तो समाज ने व्यवस्थित जीवन के लिए नियमावली तैयार की और दुनिया में महिला अधिकारों के साथ क़ानून अस्तित्व में आये फिर भी दुनिया में स्त्रियों के लिए सभी देशों में समान अधिकार नहीं हैं। कहीं नारी स्वतंत्रता का ऐसा बोलबाला है कि स्त्रियां पुरुषों के उत्पीड़न का कारण तक बन गयीं हैं तो कहीं ऐसी स्थिति भी सामने आयी कि महिलाओं को मतदान तक का अधिकार नहीं दिया गया। महिला-पुरुष मज़दूरी तक में भेदभाव रखा गया।


स्त्रियों पर जबरन अपनी सोच थोपता रहा समाज आज उनके जाग्रत होते जाने से उथल-पुथल के दौर से गुज़र रहा है। कोई स्त्री के वस्त्र धारण करने के तौर - तरीकों पर अपनी कुंठा बघार रहा है तो कोई स्त्री को रात में घर से बाहर न निकलने की सलाह दे रहा है लेकिन उन वहशी दरिंदों को कोई कुछ नहीं कहता जो किसी न किसी घर के बेटे हैं जो स्त्री की गरिमा को धूल में मिलाने में ज़रा भी शर्म नहीं करते।


कोई धार्मिक -ग्रंथों की व्याख्या को अपनी संकुचित सोच का जामा पहनाकर पेश कर रहा है तो कोई नारी-स्वतंत्रता एवं बराबरी के हक़ के लिए आनदोलनरत है। महिला -उत्पीड़न के समाचारों का ग्राफ़ नई ऊँचाइयाँ छू रहा है क्योंकि उद्दंड युवा पीढ़ी स्त्रियों के प्रति नफ़रत और कलुषित भाव से भर गयी है। परिवारों के बिखरने का सिलसिला रफ़्तार पकड़ रहा है।


ग़रीब स्त्री आज भी समाज के अनेक प्रकार के शोषण और अत्याचार का शिकार बनी हुई है। समाज का चतुर-चालाक तबका अंधविश्वास और अशिक्षा का भरपूर लाभ उठा रहा है। केरल के एक पादरी का बयान कि जीन्स पहनने वाली महिलाओं को समुद्र में फिकवा देना चाहिए , नगालैंड में महिला आरक्षण का पुरुषों द्वारा तीव्र विरोध , 3 तलाक़ पर भारत में छिड़ी बहस , सिनेमा में स्त्री को किस रूप में पेश किया जाय इस मुद्दे पर बहस ज़ारी है।


भारत में महिला उत्पीड़न को रोकने के लिए 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में घटित निर्भया - काण्ड के बाद हुए आंदोलन के उपरान्त सर्वोच्च न्यायलय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश जस्टिस जे. एस. वर्मा ( अब स्वर्गीय) की अध्यक्षता में बने तीन सदस्यीय आयोग ने बेहद सख़्त क़ानून का ख़ाका पेश किया जिसे भारत सरकार ने 3 अप्रैल 2013 से लागू कर दिया फिर भी सरकारी मशीनरी उस क़ानून को लागू कर पाने में भ्रष्टाचार और राजनैतिक दखल के चलते असफल होती चली आ रही है जिसमें महिलाओं को घूरने, पीछा करने , बिना सहमति के शरीर को हाथ लगाने ,इंटरनेट पर महिलाओं की जासूसी करने आदि तक को ( तब तक उपेक्षित मांगों ) भी शामिल किया गया है।


नारी को समाज में प्रतिष्ठा और अधिकारों के लिए अभी लंबा संघर्ष करना है। शिक्षा एक ऐसा हथियार है जो स्त्री को उसके वांछनीय गौरव को हासिल होने में सहायक सिद्ध हुआ है। आज हम देखते हैं कि निजी क्षेत्र में स्त्रियों को बढ़ावा दिया जा रहा है उसके पीछे भी समाज की उदारता नहीं बल्कि कायरता छुपी है क्योंकि वह जानता है कि स्त्री कानूनों के चलते उनके कार्यस्थल सुरक्षित रहेंगे और स्त्रियों के प्रति दया भाव और उनका आकर्षण उनकी व्यावसायिक सफलता का हेतु बनता है।


स्त्रियों से आह्वान किया जाता है कि अब जागो , ख़ुद को बुलंद करो ,अपना मार्ग प्रशस्त करो जिससे फिर कोई महाकवियत्री महादेवी बनकर न लिख दे " मैं नीर भरी दुःख की बदली "।


आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को मेरा नमन।


भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति का एक एक उदाहरण मैं अपनी यू ट्यूब पर प्रस्तुति " ज़िन्दगी का सफ़र पगडंडियों पर " के मार्फ़त प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसमें एक विधवा पिछले 22 वर्षों से विधवा -पेंशन के लिए संघर्षरत है .


14 मिनट 8 सेकण्ड का समय देना ज़रूरी है यह जानने के लिए कि जिनके पास शब्द और साधन नहीं हैं उन महिलाओं पर क्या बीतती है जीवनभर......


जिसका लिंक है - https://youtu.be/Nbxufhttps:/hMHgDQ

- रवीन्द्र सिंह यादव

रवीन्द्र सिंह यादव की अन्य किताबें

Kokilaben Hospital India

Kokilaben Hospital India

We are urgently in need of kidney donors in Kokilaben Hospital India for the sum of $450,000,00,For more info Email: kokilabendhirubhaihospital@gmail.com WhatsApp +91 779-583-3215 अधिक जानकारी के लिए हमें कोकिलाबेन अस्पताल के भारत में गुर्दे के दाताओं की तत्काल आवश्यकता $ 450,000,00 की राशि के लिए है ईमेल: kokilabendhirubhaihospital@gmail.com व्हाट्सएप +91 779-583-3215

8 मार्च 2018

विनोद शर्मा

विनोद शर्मा

कविता और आलेख दोनों का बेजोड़ संगम. बधाई.

11 जुलाई 2017

रवीन्द्र  सिंह  यादव

रवीन्द्र सिंह यादव

आपके विचार का स्वागत है. आभार.

13 मार्च 2017

रवि कुमार

रवि कुमार

माँ , बहन , पत्नी, मित्र न जाने कितनी ही तरह से हमारे जीवन भर ये हमें संभालती हैं तो इनके सम्मान में सिर्फ एक दिन गलत है . अच्छा प्रश्न उठाया है आपने . respect woman .

9 मार्च 2017

रेणु

रेणु

अभी यू tube पर आपका लिंक नही मिल पा रहा मैं जरुर ये विडियो देखूंगी |

8 मार्च 2017

रेणु

रेणु

रवीन्द्र जी , नारी जाति के प्रति आपने खुले मन से जो सम्मान का भाव प्रकट किया उसे नमन है - भले ही नारी ने सदियों मानसिक व् शारीरिक उत्पीडन सहा हो -- पर समाज के उत्थान में पुरुष से भी अधिक सहयोग दिया है | आज उसकी औसत स्थिति बहुत बेहतर है | आप जैसे सुलझी सोच के शिक्षित ुनागरिक और नारी की शिक्षा भविष्य में उसे और ऊँचा मुकाम दिलवाएगी ये निश्चित है | सार्थक सोच से भरे आलेख के लिए आपको हार्दिक बधाई |

8 मार्च 2017

1

जलंधर

20 नवम्बर 2016
0
4
2

आज जलंधर फिर आया है हाहाकार मचाने को अट्टहास

2

ममता

27 दिसम्बर 2016
0
1
2

समाचार पढ़ा सरकारी अस्पताल में एक नवजात को नर्स ने हीटर के पास सुलाया. राजस्थान से आयी इस खबर ने अंतर्मन को झकझोर दिया नवजात शिशु के परिजनों से नर्स को इनाम न मिला

3

सिर्फ़ एक दिन नारी का सम्मान, शेष दिन ........ ?

8 मार्च 2017
0
4
6

मही अर्थात धरती , जिसे हिला कर रख दे वह है महिला। 8 मार्च संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा महि

4

पश्चाताप

13 अगस्त 2018
0
1
0

एक दिन बातों-बातों में फूल और तितली झगड़ पड़े तमाशबीन भाँपने लगे माजरा खड़े-खड़े कोमल कुसुम की नैसर्गिक सुषमा में समाया माधुर्य नयनाभिराम रंग, ख़ुशबू , मकरन्द की ख़ातिर मधुमक्खी, तितली, भँवरे करते विश्राम फूल आत्ममुग्ध हुआ कहते-कहते तितली खिल्ली उड़ाने में हुई मशग़ूल यारी की मान-मर्यादा, लिहाज़ गयी भूल बोली

5

सुनो मेघदूत!

9 अगस्त 2019
0
0
2

सुनो मेघदूत!सुनो मेघदूत!अब तुम्हें संदेश कैसे सौंप दूँ, अल्ट्रा मॉडर्न तकनीकी से, गूँथा गया गगन, ग़ैरत का गुनाहगार है अब, राज़-ए-मोहब्बत हैक हो रहे हैं!हिज्र की दिलदारियाँ, ख़ामोशी के शोख़ नग़्मे, अश्क में भीगा गुल-ए-तमन्ना, फ़स्ल-ए-बहार में, धड़कते दिल की आरज़ू, नभ की नीरस निर्मम नीरवता-से अरमान, मुरादों

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए