जब मोदी नवाज़ से गले मिल सकते है तो हमें देश द्रोही क्यों बनाया जा रहा है?
Posted by newseditor Abhay Vivek Aggroia ———————–
युद्ध आम अवाम नही बल्कि सत्ताएं करती हैं —— युद्ध के हथियार और दूसरे साधन जुटाने के लिए जो धन राशि विदेशों को दी जा रही है –गर पाकिस्तान और भारत अपने देश वासियों के आम जीवन को सुखमय बनाने में लगाए तो हो सकता है कोई राहत भी मिले ! एक दूसरे से युद्ध का माहौल बनाने में रहे दोनों देशों की सत्ता को अपने गरीब फ़ौज़ियों की लाशों की अगर परवाह होती तो आज यह परिस्थिति ही नही होती . आज युद्ध लड़ा जाना चाहिए था–जीवन के असली मुद्दों पर. रोज़गार के लिए , स्वस्थ और निरोग जीवन के लिए , गरीबी और अशिक्षा से मुक्ति पा कर , शोषण से मुक्त हो कर . जीवन जीने के पर्याप्त इज़्ज़त कार्यों में लगे हुए. ये मुद्दे ही रौंद दिए जाते हैं और अन्याय बढ़ता जाता है और युद्ध सामग्री में कोई कटौती नही हो पाती. जब जंगी कतारों में गरीब नौजवानों को देखते हैं तो फिर इस तथ्य से क्यों मुख मोड़ना कि अपने निर्वाह के जरिये के लिए भी लोग इन दलों में भर्ती होते हैं . युद्ध का मूल कारण ही सत्ता पक्ष है –अवाम हित में तो कतई नही. युद्ध अंतिम परिणाम के लिए कभी नही किये जाते हैं –दो विश्व युद्ध के खिलाफ जन आंदोलन भी हुए हैं —इन अन्दोलोनो की जीत भी होती रही है —कभी इस मुहीम को देश प्रेमी या देश द्रोही का नाम नही दिया गया है . आज एक नवयुवक छात्रा एक सन्देश देना चाहती है —युद्ध में सत्ता नही आम जन मरते हैं —उनके पिता का साया बचपन से चला जाता है और पडोसी देशों के बीच शांति होनी चाहिए –तो कुछ तथाकथित सत्ता से जुड़े “देशभक्त ” दल इस नन्ही सी जान की इज़्ज़त हरण या मारने तक क्यों तैयार है ?? जब मोदी नवाज से गले मिल सकता है , उसके घर जाकर भोज कर सकता है –तो हमें देश द्रोही क्यों बनाया जा रहा है –हम तो कामना ही तो कर रहे हैं कि पडोसी देशों में जंग की जगह शांति और सुलह हो . बापू की लाठी का सहारा लेने वाले हम अहिंसावादियों को गद्दार क्यों ठहराने लगे हैं . हर बात पर मोदी की टिपण्णी होती है –आज इस अहिंसा पर वार हो रहे हैं तो वे चुप क्यों बैठे हैं – फिर देशविरोधी कौन है . फिर हिंसा वादी कौन है .???? एक अल्पमत सरकार बहुतायत को देशद्रोही करार कर रही है . जन अन्दोलोनो को कुचल रही है – जीवंत आवाज़ का गला घोंट रही है —इसे ही तो फासीवाद कहते हैं . देश अवाम से ही तो है . सत्ता इसे हथिया बैठी है और अपने शिकंजे कसे रखने के लिए देश बासिंदों को ही देशद्रोही ठहरा रही है —-और हम चुप हैं —यही तो फासीवाद हैं. एक इज़्ज़त का जीवन यापन के सपनों के संघर्ष को देशद्रोही ठहरा कर पुलिस और दूसरे दलों से देश के नागरिकों के सर फोड़ने का काम यह सत्ता कर रही है —पहले कांग्रेस और अब बीजेपी . अख़बारों के पनो से जाहिर है जो भी मोदी और बीजेपी और संघ की विचारधारा के विरुद्ध जाता है –कालेज या विश्वविधलयों में –उन पर कहर पड़ जाता है —विपक्षी दृष्टीकौन को दबा कर सत्ता में बैठे रहना भी एक फासीवादी लक्षण है . हम अपनी जमीन से प्रेम नही करते –ये कैसे वे हमें बदनामी का दाग दे रहें हैं – खुले माहौल में अपने संघर्ष को चलाने के लड़ाई भी हमें शहीद भगत सिंह और उसके सहयोगी क्रांतिकारियों की यादों से याद रही है , एक जुझारू जन आंदोलन ही इस फासीवीदी तंत्र का सामना करने की हिम्मत कर सकता है ..असली मुद्दों की लड़ाई के लिए जनजीवन को एकजुट कर एक लंबे संघर्ष से ही इस से मुक्ति मिल सकती है .-समझें और सामझाएं —— पहल करें ——पहिये का रुख बदलने का मुश्किल है ————-नामुमकिन तो नही जागो, मेरे भाई जागो Join: Jago, Mere Bhai Jago शामिल हों : बदलाव की लड़ाई और तमन्ना शामिल हों :रुके नही कदम , अब जागे हैं हम ( Unstoppable Struggle To Change The System ) शामिल हों : एक दिशा या राह —-Ek disha ya raah