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सामने ही सवेरा था

25 मार्च 2017

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वो रात घनी थी, चारों तरफ़ अंधेरा था

निराशा की सर्द स्याही​ में, रास्ता घनेरा था


वक्त के बेदर्द थपेड़ों से, बिख़रा मेरा बसेरा था

ना बिखरे मेरे सपने, ना टूटा मेरा हौसला


समेटकर अपने अरमानों के शीशे,

मैं चला पथिक अटल अडिग, कर के ऐसा फ़ैसला


गुज़र गई सारी रात, यूं ही तारे गिनते-गिनते

दो कदम जो मैं चला तो, सामने ही सबेरा था।


- Narendra

नरेंद्र केशकर - Narendra Keshkar की अन्य किताबें

रेणु

रेणु

दो कदम जो मैं चला तो, सामने ही सबेरा था।---------- बहुत सुंदर ----- यही है आशा की जीत --------- खूब अच्छी आशा भरी पंक्तियाँ हैं नरेंद्र आपकी ---- लिखते रहिये ----------- शुभ कामना

23 अगस्त 2017

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सामने ही सवेरा था

25 मार्च 2017
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वो रात घनी थी, चारों तरफ़ अंधेरा था निराशा की सर्द स्याही​ में, रास्ता घनेरा था वक्त के बेदर्द थपेड़ों से, बिख़रा मेरा बसेरा था ना बिखरे मेरे सपने, ना टूटा मेरा हौसला समेट

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बन जा तू हनुमान

11 अप्रैल 2017
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जो पाप-पुण्य से सदा परे है, जो लाभ-हानि से है अविचल।सुख-दुख जिसके सदा बराबर, जन्म-मरण में है सम वो तो। जिसका ना है मान, ना अपमान कर्मयोग में लगा है जो, वही है हनुमान । आ उठ चल अब दौड़ लगा, छोड़ के सारे तू अभ

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प्रेम महान है

2 जुलाई 2017
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प्रेम अनंत है, प्रेम अपार है प्रेम ईश्वर है, प्रेम साकार हैप्रेम सत्य है, प्रेम साधना हैप्रेम ईश्वर की आराधना है प्रेम सुगंध है, प्रेम चन्दन हैप्रेम सुख का अभिनन्दन हैप्रेम हृदय है, प्रेम स्पंदन है प्रेम विरह का करुण क्रंदन हैप्रेम चन्दन है, प्रेम पानी है प्रेम जीवन

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बम बम भोलेनाथ

10 जुलाई 2017
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जो पाप-पुण्य से सदा परेजो जन्म-मृत्यु से सदा महान,सुख भी उसका, दु:ख भी उसकासबको देखे एक समानजो पीकर अपमान का बिष, दे सबको जीवन का वरदानखुद रहकर शमशान में जोसोने की लंका दे दे दान जटा में जिसकी गंगा की धाराहै जिससे यह संसार साराहै काल भी

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सारी उम्र कुंवारा रहा

22 अगस्त 2017
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ना मैं उसका रहा और ना मैं तुम्हारा रहा,तेरे इश्क़ में ऐ सखी सारी उम्र कुंवारा रहा कभी मेरे दिन तो कभी मेरी रातें,दे दी सब तुम्हे न कुछ हमारा रहा

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