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तेरी यादो में कई सालो से सोया नहीं हूँ

28 मार्च 2017

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तेरी यादो में कई सालो से सोया नहीं हूँ

कोई ऐसा पल नहीं जब रोया नहीं हूँ


क्यू धधकती हो आग सी इस डूबे सैलाब में

लौ सी जलती रहती हो इस बुझदिल इंसान में

क्यू बिताये थे संग जिंदगी के अनगिनत हिस्से

आज भी भौरे की तरह गूंजते है वो किस्से

कोई ऐसी रात नहीं जब उन किस्सो में खोया नहीं हूँ

तेरी यादो में कई सालो से सोया नहीं हूँ


अब जब साथ नहीं तुम, अकेला जागता हूँ

अकेले चलते जिंदगी के रास्ते हांफता हूँ

न मंज़िल की फ़िक्र है न कुछ पाने का इरादा

न कोई शिकवा, न उम्मीद है अब जिंदगी से ज्यादा

बैठा हूँ बारिश में पर भीगा नहीं हूँ

तेरी यादो में कई सालो से सोया नहीं हूँ

कोई ऐसा पल नहीं जब रोया नहीं हूँ //


-आलोक शुक्ल

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तेरी यादो में कई सालो से सोया नहीं हूँ

28 मार्च 2017
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तेरी यादो में कई सालो से सोया नहीं हूँ कोई ऐसा पल नहीं जब रोया नहीं हूँ क्यू धधकती हो आग सी इस डूबे सैलाब में लौ सी जलती रहती हो इस बुझदिल इंसान में क्यू बिताये थे संग जिंदगी के अनगिनत हिस्से आज भी भौरे की तरह गूंजते है वो किस्से कोई ऐसी रात नहीं जब उन किस्सो में खोया

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