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लोगों को बांटने का साधन - धर्म

2 अप्रैल 2017

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धर्म - आज लोगों को बांटने का का साधन बन गया है ! धर्म क्या है ? इसके बारे में क्या जानते हो ?

आज लोग ये नहीं कहते कि धर्म हमें शांति के पथ पर अग्रसर करता है, धर्म श्रद्धा-आस्था का प्रतीक है ! धर्म हमें ईश्वर से जोड़ने का काम करता है ! आज लोग ये माने या ना माने लेकिन इतना जरुर जानते हैं कि

ये हिंदू धर्म का है, ये मुस्लिम, ये जैन , ये सिख और ये ईसाई... वाहहहह

धर्म के नाम पे बस इतना ही याद रह गया है, लोगों को ! कुछ भी हो जाये लेकिन हिंदू-मुस्लिम एक नहीं होने चाहिये, भले निर्दोष लोगों की जान पे क्युं ना आ जाये !!!

कुछ लोग हैं इस भारत में ऐसे भी, जिनकी ये मानसिकता है और वो कामयाब भी हो रहे हैं ! आखिर क्युं ? आज किसी 2 व्यक्तियों में झगडा हो जाये तो वह झगडा धार्मिक बनने में जरा भी देर नहीं लगती! वेसे भी हिंदू- मुस्लिम का झगडा पूरा विश्व जानता है! परेशानी झगडे से नहीं बल्कि इस बात से है कि वो झगडा दो लोगों, दो परिवारों तक नहीं रहता!

वो पहुच जाता है कि *** तुम हिंदू हो, मैं मुसलमान नहीं तो मैं हिंदू हुं और तुम मुस्लिम *** जब ये बात उठती है, तो फ़िर , आस-पडोस से मुह्ल्ले फ़िर समाज, फ़िर शहर और फ़िर पूरे देश के वो लोग *" जिन्हें हिंदू-मुस्लिम एकता से खासी परेशानी है !"* वो हिंदू - मुसलमान आपस में जानवरों की तरह लड़ने लग जाते हैं !

दिमाग वाले बद-दिमाग, आपसी झगडे आपस में सुलझाने में ऐसे लोगों की नाक नीचे होती होगी शायद, तभी मार-काट पर उतर आते हैं ! ऊपर से कुछ नेता अपनी धाक जमाने के लिये ऐसे ही मोकों का फ़ायदा उठा लेते हैं फ़िर होता है इंसानियत का नंगा नाच...

ऐसे लोग *" जिन्हें एकता से खासी परेशानी है !"* वही मेढक की तरह फुदकते रहेगे, जब तक मन की ना हो जाये उनकी, बस ये देखते हैं की तुम हिंदू यानी हमारे दुश्मन ! तुम मुस्लिम हो, तुमसे तो पुराने हिसाब पूरे करने हैं ! क्या है ये सब... ? ? ? ? ? ?

ये क्युं नहीं कहते " तुम भी भारतीय, हम भी भारतीय... चलो यार आपस में सोच - समझ कर बात को रफा-दफ़ा कर देते हैं !" ऐसा हो ही नहीं सकता, जिसने ऐसी पहल की बाकी समझते हैं कि लो ये झुक गये !

बस..... फ़िर, हम चैन में नहीं तो तुम्हे तो रहने ही नहीं देगे चैन में, साले मा..... ये तो हाल है, क्या होगा जाने ?

लेख िका- जयति जैन रानीपुर, झांसी उ.प्र.

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