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वो अाँखों में तूफ़ान रखते हैं

4 अप्रैल 2017

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वो सीने में आग, दिलों में तूफ़ान रखते हैं,

अपने बुलंद हौसलों से झुकाकर आसमान रखते हैं


नहीं कोई मुश्किल बड़ी उनके आगे

वो संकट से लड़ने का हर सामान रखते हैं


किसी मोड़ पर जो ठिठक जाएं वो तो

गिरे शहसवार को उठाने का अरमान रखते हैं


हैं मंजिल को पाने की यहाँ फिक्र किसको

वो रास्तों पर चलने का दिलों में तूफ़ान रखते हैं


पीकर नफ़रत और अपमान के हलाहल

वो प्रेम और सम्मान का वरदान रखते हैं


वो सीने में आग, दिलों में तूफ़ान रखते हैं,


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जय हिंद

नरेंद्र केशकर - Narendra Keshkar की अन्य किताबें

Suneel Goyal

Suneel Goyal

बहुत ही उत्तम रचना मित्र.

7 मई 2017

रजनीश मार्तण्ड

रजनीश मार्तण्ड

वाह वाह बहुत खूब

4 अप्रैल 2017

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रचनाएँ
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जीवन के सफर में कुछ चंद लम्हें शब्दों में पिरो कर इस पेज में प्रस्तुत कर रहा हूँ . आशा है की आपको पसंद आएगा
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वो अाँखों में तूफ़ान रखते हैं

4 अप्रैल 2017
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वो सीने में आग, दिलों में तूफ़ान रखते हैं, अपने बुलंद हौसलों से झुकाकर आसमान रखते हैं नहीं कोई मुश्किल बड़ी उनके आगे वो संकट से लड़ने का हर सामान रखते हैं किसी मोड़ पर जो ठिठक

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