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कूड़ा तेरे रूप हजार

5 अप्रैल 2017

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कूड़े कचरे की बात तो हम बहुत करते है लेकिन सच तो यह है की अगर हमसे कहा जाये की कूड़े को पैदा ही न होने दिया जाये तो शायद हम एक बार बिना सोचे हां कर दे लेकिन ऐसा करना हमारे लिए संभव नहीं तो कम से कम कठिन जरूर है, क्योंकि जिसे हम कूड़ा कहते है वास्तव में वो हमारी सुखभोग संस्कृति और आरामतलबी का परिणाम है. कूड़ा कहते किसे है? कूड़े की परिभासा क्या है? कभी सोचा है हमने आपने !


सच तो यह है जो भी चीजे हम रोज उपयोग करते है उसका बचा और अप्रयुक्त हिस्सा ही कूड़ा है जिसमे से कुछ तो समय के साथ अपने आप नष्ट हो जाता लेकिन ज्यादातर यु ही पड़ा रहेगा अगर हम उसे निस्तारित न करे , जैसे साबुन, मंजन, क्रीम ,मसाले आदि की पैकिंग वाला हिस्सा हम लोग फेकते है और वही कूड़ा बन जाता है , तो समझिये की इस तरह हर रोज हमारी उपयोग की चीजे कूड़ा बन जा रही है . एक तरह हमारे चारो ओर जो भी चीजे दिख रही जिन्हें हम उपयोग उपभोग करते है एक न एक दिन कूड़ा बन जाएगी , तो क्यों न अच्छा हो की हम अपने उपभग को ही कम कर ले या मितव्ययी, किफायती तरीके से या पुनः उपयोग द्वारा बढ़ावा देकर कूड़े के बनने को कम कर दे . एक कवायत है " न रहेगी बांस और न बजेगी बांसुरी " . तो जब कूड़ा बनेगा ही नहीं या कम बनेगा तो उसे निपटाने की जरुरत भी कम पड़ेगी . और इससे हमारे देश का पैसा बचेगा और काम कूड़ा बनने से उसके दुष्प्रभाव से हम काम प्रभावित होंगे और हमारा स्वस्थ्य अच्छा होगा .

तो उम्मीद करता हु की आज से हम इस बात को समझेगे की हमें क्या करना है कूड़ा पैदा करना है या नहीं

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रेणु

रेणु

बहुत अच्छी जानकारी -----

8 अप्रैल 2017

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