बीजेपी के सहयोगी संगठन कहा जाने वाला बजरंग दल, विहिप ने गोमिया विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस बार बीजेपी सहित अन्य सियासी चुनावी प्रत्यशियों का जोर-शोर से विरोध करने का फैसला किया है। दरअसल प्रत्याशियों के विरोध के बहाने बजरंग दल विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व के मुद्दे को धार देकर किसी एक पार्टी विशेष को मजबूत करना चाहता है। गोमिया में हुए बजरंग दल, विहिप के संयुक्त सम्मेलन में सरेआम इस बात का एलान किया गया कि इस बार के चुनाव में प्रत्याशियों को करारा सबक सिखाया जाएगा.
हिंदुत्व के मुद्दे को धार देने की तैयारी.!
चुनावी सीजन में पड़ रहे खुमारी वाले प्रत्याशी इस बार सभी
राजनीति क दल उक्त दोनों संगठनो के निशाने पर रहेंगे। बजरंग दल यूं तो पिछले कई सालों से बीजेपी को छोड़ अन्य दलों का विरोध करता आया है, लेकिन इस बार खुद बीजेपी का विरोध के स्वरुप को भी व्यापक कर वह गोमिया विधानसभा चुनाव में बीजेपी जो हिंदुत्व के मुद्दे को और धार देकर चुनाव लड़ना चाहता है उसे पूरी तरह तार तार करने की रणनीति तैयार की जा रही है.
उक्त दोनो संगठनो का मानना है कि प्रत्याशियों का विरोध आगामी होने वाले चुनावों में बीजेपी को और कमजोर बना सकता है, लिहाजा संगठन ने इस बार के चुनाव में प्रत्याशियों का ज़बरदस्त विरोध करने का फैसला लिया है। गोमिया में हुए बजरंग दल और विहिप के संयुक्त सम्मेलन में इसकी रणनीति भी तैयार कर ली गई है।
अभिभावकों को बुलाया जाएगा.?
तकरीबन दर्जनों पदाधिकारियों व सैकड़ों सक्रिय कार्यकर्ताओं को अन्दर ही अन्दर इस बारे में गुरुमंत्र भी दे दिया गया है। संगठन के लोग अभी पूरी तरह रणनीति का खुलासा तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनका यह साफ़ तौर पर कहना है कि इस बार प्रत्याशियों (चुनावी मेढकों) को करारा सबक सिखाया जाएगा। लोगों को उनके घरों में जाकर समझाने की कोशिश तक की जाएगी।
होसिर-साडम का मुद्दा भी उठा सकता है संगठन,,?
कहा यह भी जा रहा है की बीजेपी और अन्य दलों के प्रत्याशियों के विरोध का सारा माजरा यहीं से शुरू हुआ है संगठन बीते कुछ दिनों पहले हुए गोमिया से 4 किलोमीटर दूर होसिर-साडम के मुद्दे को भी ज़ोर- शोर से उठाकर बीजेपी के विपक्ष में माहौल बनाने की तैयारी में है। कहा ये भी जाता है कि घटना के बाद बीजेपी का कोई चेहरा खुलकर सामने समर्थन में नही आया न ही किसी ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की.
बजरंगदल के कार्यकर्ता चश्मदीद (नाम छुपाया गया) बताते है कि 11 अप्रैल को जब गोमिया और इसके आस पास के क्षेत्रों में लोग मंदिरों में हनुमान जयंती मना रहे थे. लोगो के बीच प्रसाद का वितरण किया जा रहा था। कुछ धर्मप्रेमियों व नवयुवक सज्जनों द्वारा लोगो के बीच खीर प्रसाद के रूप में वितरण कर रहे थे. उसी समय कुछ हरामियों, सुवर की औलादों के द्वारा साडम के सौदागर मोहल्ला में प्रतिबंधित मांस को पवित्र स्थल पर फेंकने का गंदा
खेल खेला जा रहा था. इसके बाद साडम सहित उसके आसपास के क्षेत्रों में भारी तनाव व्याप्त हो गया और हिन्दू समुदाय के लोगों द्वारा जुलूस की शक्ल में महावीरी झंडा लिए युवकों का झुंड साडम पहुंचा और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करने लगे. प्रतिबंधित मांस फेंके जाने के विरोध में जुलूस निकाला गया और देखते-देखते जुलूस और विशालकाय हो गयी. सूचना मिलते ही बेरमो के अनुमंडल पदाधिकारी कुलदीप चौधरी, डीएसपी राजकुमार मेहता, इंस्पेक्टर अनूप केरकेट्टा, गोमिया थाना प्रभारी अनिल शर्मा, आईईएल थाना प्रभारी अनिल उरांव, पेटरवार थाना प्रभारी आशुतोष कुमार, तेनुघाट ओपी प्रभारी, कथारा ओपी प्रभारी, गांधी नगर थाना प्रभारी सहित बेरमो अनुमंडल के कई थानों की पुलिस पहुंची और जुलूस को लाठी चार्ज कर खदेड़ दिया लाठीचार्ज से जुलूस में शामिल लोग और उग्र होकर पुलिस पर पत्थर चलाने लगे. इसी दौरान काफी भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई जिसमें भगदड़ में बेरमो के डीएसपी राजकुमार मेहता का दाये हाथ में चोट आ गई, वही दो अन्य पुलिसकर्मियों को भी हल्की चोटे आयी है. तथा पूरे क्षेत्र में पुलिस द्वारा फ्लैग मार्च कर गस्ती बढा दिया गया. पुलिस ने आवेषित होकर अपनी साधारण सी चोट को उच्चाधिकारियों के सामने इतना गंभीर बताने में लग गये की उनके मुह से धर्मप्रेमियों के लिए अभद्र व असभ्य भाषा तक निकालना शुरू कर दिया और आधे दर्जन धर्मप्रेमियों को दौड़ा दौड़ा कर बेरहमी से पीट दिया. जिससे वह बुरी तरह घायल हो गये.
धर्म बचाने के इस दंगल में सिर्फ हिन्दू धर्म का ही तिरस्कार क्यों ?
• हुडदंग अभद्रता चंद सूअर की औलादों ने शुरू की- हिन्दू धर्म का अपमान हुआ
• पवित्र धर्म स्थल में प्रतिबंधित मांस फेंकना- हिन्दू धर्म का अपमान हुआ
• धर्मप्रेमियों को पुलिस द्वारा गाली गलौज- हिन्दू धर्म का अपमान हुआ
• धर्मप्रेमियों को पुलिस द्वारा बेरहमी से पिटाई- हिन्दू धर्म का अपमान
सवाल है
• मांस फेंकने वालों के खिलाफ पुलिस ने क्या किया ?
• मांस फेंकने वालों के खिलाफ धर्मप्रेमियों ने क्या किया ?
• मांस फेंकने वालों के खिलाफ भिन्न भिन्न राजनीतिक दल के नेताओं ने क्या किया ?
• मांस फेंकने वालों के खिलाफ स्थानीय जनता ने क्या किया ?
कुछ भी तो नही...
“जो हुआ हमारे धर्म के साथ हुआ, धर्म हमारा मजाक बना, लोग हमारे घायल हुए, लोग हमारे जेल गये, मानसिक और शारीरिक रूप से हम प्रताड़ित हुए”
उन सुवर की औलादों का क्या बिगड़ा...
संगठन के ज़िम्मेदार लोगों का कहना है कि उसके कार्यकर्ता सिर्फ होसिर-साडम के मुद्दे को उठाएगी, किसी पार्टी को वोट न करने को सीधे तौर पर कहेगी, क्योंकि सबको यह खुद ही पता है कि कौन पार्टी प्रत्याशी हिन्दू धर्म के लिए संघर्ष कर सकती है और हिन्दू हितों की रक्षा कर सकती है।
हालांकि राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों का विरोध और हिंदुत्व के मुद्दे को गरमाने की रणनीति हिंदुत्व की बात करने वाली बीजेपी को कितना नुक्सान पहुंचाएगी, इसका फैसला तो वक्त ही करेगा।
लेकिन यह भी तय है कि इन हिन्दुत्ववादी संगठनो के विरोध बावजूद सियासी पार्टियों के प्रत्याशी भी गोमिया के चुनावी संग्राम में मैदान मारने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहेंगे।