ना जाने किस मोड़ पर, ज़िंदगी की शाम हो जाए
इसलिए हमसफ़र बनकर चलो,
जितना चल सकते हो
ना जाने कौन सी घड़ी,
दिल की धड़कन रुक जाए
इसलिए जब तक हमारी धड़कन,
बनकर रह सकते हो रहो
ना जाने कौन से पल,
साँसों की लड़ी बिखर जाए
इसलिए हो सके जब तक,
श्वास हमारी बनकर रह सको, रहो
२९ अप्रेल २०१७
जिनेवा