shabd-logo

एक पुस्तक की प्रूफ रीडिंग

7 मई 2017

4006 बार देखा गया 4006

एक पुस्तक की प्रूफ रीडिंग


सबसे पहली बात -


“प्रूफ रीडर का काम पुस्तक में परिवर्तन करना नहीं है, केवल सुझाव देने हैं कि पुस्तक में क्या कमियां है और उनका निराकरण कैसे किया जाए. अच्छे प्रूफ रीडर पुस्तक उत्कृष्टता बढ़ाने के लिए भी सुझाव दे सकते हैं.” पुस्तक में बदलाव का हक प्रूफरीडर के पास नहीं होता.


प्रूफ रीडर को पुस्तक आवरण के ऊपरी बायें छोर से (left hand top corner of front cover ) से पृष्ठ आवरण के निचले दाएँ छोर तक (Right hand bottom cover of back cover) तक पूरा पढ़ना है. इसे ही पूरी पुस्तक कहते हैं. आभार, समर्पण, भूमिका, मेरी बात, पाठकों से, प्राक्कथन, दो शब्द, संदर्भ टीका टिप्पणी इत्यादि नामों से दिए सभी संदेश भी किताब के ही अंश माने जाते हैं. वैसे ही बैक कवर पर लिखी बातें, प्रकाशक के बारे में, लेख क परिचय, लेखक की अन्य रचनाएं, संदर्भ कुछ भी छोड़ा नहीं जा सकता.


सबसे पहले कवर (Front and back both) देखना है , कैसे लग रहा है. पुस्तक का नाम लेखक का नाम साफ दिख रहा है या नहीं. यदि नहीं तो सुझाना है कि इस कमी का निवारण कैसे हो. कवर पर के चित्र, अंकन और रंगों पर भी सुझाव दिया जा सकता है. कवर पर के अंकन का अंदर के विषय से मेल रखना एक अच्छा चयन माना जाता है. शाँत विषय पर भड़काऊ जिल्द सर्वथा अनुचित है.


फिर देखिए पुस्तक की साइज ठीक है ना. कहीं 5x7 इंच में 700 पेज की तो नहीं हो रही? यह भी प्रूफरीडर का काम है. लंबी चौड़ी पर पतली तो नहीं. यह देखते हुए सुझाव देना है कि सही क्या होगा आपकी राय मे. यदि justify कर पाएँ कारण देकर तो और अच्छा. पुस्तक की समीक्षा या पूर्वमूल्याँकन में पुस्तक दी जाती है. अन्यथा साइज बताया जाना चाहिए. जरूरत पर पूछा जा सकता है.


प्रकाशन पूर्व मूल्यांकन रिव्यू है. यहाँ बेहतरी की उम्मीद रहती है. प्रकाशन के पहले उनमें सुधार संभव है जिससे पुस्तक की गुणवत्ता बढ़ती है. समीक्षा प्रकाशन के बाद होती है, वहाँ बेहतरी अगले संस्करण में ही हो पाता है. यहाँ पुस्तक के गुणों व अवगुणों दोनों की चर्चा होती है, अक्सर पाठकगण समीक्षा के आधार पर पुस्तकों का चयन करते हैं. इसलिए देखा गया है कि समीक्षा का विज्ञापन रूप में भी प्रयोग किया जाता है.


आपको निश्चित करना है कि पुस्तक में किसी भी जगह ऐसे किसी लेख या रचना का संदर्भ न हो जिसके बारे पुस्तक में होने की बात कही गई है, पर वह है नहीं. क्रम सूची का क्रम और पृष्ठ संख्या पर विशेष ध्यान होना चाहिए. पुस्तक की उत्कृष्टता के लिए हर नई रचना नए पृष्ठ पर शुरू होनी चाहिए. कुछ लेखक नई रचना दायीं पृष्ठ से ही शुरू करना पसंद करते हैं. ऐसे में पृष्ठ बढ़ते है और लागत भी, जिससे पुस्तक की कीमत बढ़ जाती है.


खर्च को कंजूसी की हद तक कम करने के लिए रचनाएं आधे पृष्ठ पर भी शुरू की जाती हैं, जो किसी भी तरह से तर्क संगत नहीं लगता. पर जब रचनाकार के पास रुकने का समय नहीं है और न ही पैसों की उम्मीद. तब मजबूरी ऐसा भी करवाती है. जैसे घर के बुजुर्ग मृत्युशय्या पर हैं और उनकी तमन्ना है कि पोते की पुस्तक देखकर जाएँ, जो समय ले रही है. यह मजबूरी ही है.


मुखपृष्ठ पर और भीतर रचनाओं के साथ फोटो हों तो उनका औचित्य भी प्रूफरीडिंग के दायरे में आता है. संभवतः चित्र विषय वस्तु से मेल खाता हो. पाठक वर्ग जिनके लिए पुस्तक लिखी गई है, उनके समझ की हो. सबसे मुख्य कि कोई अश्लीलता या भड़काऊ अंश न हो. जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान न हो. कानून के दायरे में हो. अनैतिक मूल्य न दर्शाता हो, इत्यादि .


इन सबके बाद प्रथम पृष्ठ पर रचना व रचनाकार का नाम साफ सुथरे अक्षरों में हो. प्रकाशक संबंधी जानकारी इसमें बाधक न बने, इसलिए इस पृष्ठ पर उसे जगह न ही दिया जाए तो बेहतर समझें.


फिर आएँ सूची पर. अपनी संतुष्टि करें कि पुस्तक की सारी रचनाएं इसी क्रम में, इन्हीं पृष्ठों पर हैं. मेरी पुस्तक दशा और दिशा में सूची का क्रम भीतरी क्रम से अलग हो गया था. फिर उसे सही कराया गया.


अब आती हैं रचनाएं. एक - एक रचना पढ़ें. विषय की क्रमबद्धता, शब्द चयन, भाषा का औचित्य और प्रवाह, फिर व्याकरण मुख्य मुद्दे होते हैं. विराम चिह्नों का सही प्रयोग, शब्दों के हिज्जे और वर्तनी भी जाँच के दायरे में आते हैं. कभी - कभी सूची में भी विषय की क्रमबद्धता देखनी पड़ती है. जैसे व्याकरण की पुस्तक में सर्वनाम, संज्ञा से पहले नहीं आ सकता.


रचनाओं में फॉर्मेटिंग का बहुत झमेला रहता है. पृष्ठों पर चहुँ ओर का मार्जिन, कविता में दायाँ, बायाँ या मध्य एलाइनमेंट पर ध्यान दिया जाना चाहिए जिसमें पृष्ठ की सुंदरता भी बनी रहे और यदि हों तो चित्र अनुचित जगह न घेरें. गद्य में बायाँ एलाइनमेंट के बदले जस्टिफाई ज्यादा उचित होता है.


पुस्तक की भाषा के बारे भी सुझाव तो दिया जा सकता है. बात की जा सकती है. यदि लेखक की क्षमता वही हो, तो कोई क्या करे. पर मंजूर हो तो रीडर कायापलट भी करवाने की सोच सकता है, सलाह दे सकता है . हो सकता है कि वह कोई भाषा किसी विशेष कारणवश लिखी गई हो, जो रचनाकार से बात करने पर रीडर के समझ आ जाए. भाषा में साहित्यिक महत्ता भी कभी - कभी चिंता का कारण बनता है. आवश्यकता से कम और ज्यादा दोनों ही हानिकारक होते हैं. भाषा अपने हद में होनी चाहिए. . सभ्यता में भी और साहित्यिक महत्ता में भी .


रचनाकार की खासियत होनी चाहिए कि लेख, कविता या कहानी से उसका उस विषय पर पकड़ झलकना चाहिए. इसके लिए उचित भाषा का प्रयोग जरूरी है. शायद, संभवतः जैसे शब्द रचनाकार की पकड़ पर सवाल उठाते हैं.


पुस्तक पठन के साथ उजागर कमियों को तालिका में प्रस्तुत किया जाना चाहिए. जिसमें पृष्ठ संख्या, पेरा, छंद य दोहा पदबंद संख्या, लाइन संख्या, ना-सही या गलत - शब्द, वाक्यांश, वाक्य और सही जो होना चाहिए, वह सब होने चाहिए. पूरी पुस्तक या उसके एक बड़े खंड के लिए सुझाव तालिका के ऊपर, नीचे या अलग पृष्ठ पर टाइप कर दिये जा सकते हैं. यदि सुझाव कागज पर भेजे जा रहे हों, सुघड़ पठनीय हो और हर पृष्ठाँत में प्रूफरीडर के हस्ताक्षर नाम व दिनांक के साथ होने चाहिए.

.....

माड़भूषि रंगराज अयंगर की अन्य किताबें

Manoj patil

Manoj patil

अय्यंगर जी नमस्कार प्रूफ पठन पर आपका लेख बहुत ज्ञानवर्धक है। । आप ऐसे ही लेख लागते रहे दिसते पाठवू के ज्ञान मे वृद्धी होती रहे हुत बहुत धन्यवाद

28 मार्च 2021

Manoj patil

Manoj patil

अय्यंगर जी नमस्कार प्रूफ पठन पर आपका लेख बहुत ज्ञानवर्धक है। । आप ऐसे ही लेख लागते रहे बहुत बहुत धन्यवाद

28 मार्च 2021

Manoj patil

Manoj patil

अय्यंगर जी नमस्कार

28 मार्च 2021

रेणु

रेणु

जी अंयगर जी -- आपकी रचना सचमुच अच्छी बन पड़ी है -- आप विश्वास रखिये -- क्योकि जब कोई आप की बात सुनने के लिए ठहरता है तो निश्चित ही आपकी बात में दम है | प्रूफ रीडिंग आम लोगों के लिए ज्यादा जाना पहचाना विषय नहीं है -- जैसे कि मैं भी सही अर्थों में इसकी परिभाषा नहीं जानती थी -- क्योकि किताब के प्रकाशन का अनुभव नहीं है -- दूसरे आप का लेख टाट नहीं स्वयं मखमल है जिस पर पाठक अपनी भावनाओं के सितारे जड़ रहे है -- मैं समय मिलते ही आपके बलोग का भ्रमण अवश्य करूंगी --- धन्यवाद

9 मई 2017

माड़भूषि रंगराज अयंगर

माड़भूषि रंगराज अयंगर

रेणु जी , आप लेख पर आईं, अच्छा लगा. लेख आपने पढ़ा पसंद किया और अच्छा लगा. फिर आपने सराहा जिन शब्दों में लगता है टाट पर मखमल का पैबंद लग गया. रचना को ज्यादा ही सराहना दी जा रही है ऐसा लग रहा है. या वाकई इतनी अच्छी बन पड़ी है. आपका बहुत बहुत आभार. आते रहे लेखों पर , ब्लॉग पर और हौसला देते रहें. B;log ID : laxmirangam.blogspot. सादर धन्यवाद

9 मई 2017

रेणु

रेणु

आदरणीय अयंगर जी -- सादर प्रणाम ! प्रूफ रीडिंग पर आपका ये सुंदर आलेख बहुत ही सारगर्भित जानकारी से भरा है | ये एक प्रूफरीडर के नैतिक और व्यवहारिक कर्तव्यों की तरफ इंगित करता है | संक्षेप में प्रूफरीडर यदि अपने काम में पारंगत है तो निश्चित रूप से किसी किताब को नया रूप देने में अपना अपना अतुलनीय सहयोग दे सकता है | ये बहुत ही महीन जिम्मेवारी से भरा काम होता है | मैंने इसके बारे में केवल सुना ही था पर आज पहली बार इतने विस्तार से प्रूफरीडिंग के बारे में जाना | नुझे बहुत अच्छा और ज्ञानवर्धक लगा आपका ये लेख | मेरी तरह और भी लोग इस लेख से बहुत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे | आपका बहुत धन्यवाद और आपको बहुत शुभकामना | बहुत दिनों के बाद आपको पढ़कर बड़ी ख़ुशी हुई |

8 मई 2017

माड़भूषि रंगराज अयंगर

माड़भूषि रंगराज अयंगर

मीना जी , रचना आपको पसंद आई. सूचना के लिए धन्यवाद.

8 मई 2017

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

काफी ज़िम्मेदारी भरा कार्य होता है ये

8 मई 2017

1

एकान्तर कथा - राधे का बैंक खाता.

17 मई 2016
0
5
1

कथा-राधे का बैंक खाता<!--[if !supportLineBreakNewLine]--><!--[endif]-->श्रीनिवासन शहर के एकप्रतिष्ठित रईस थे. उनके पास कई बंगले, कारखाने व और व्यापार थे.वे अपने इकलौते बेटे राधे कोसंसार की सारी सुविधाएँ मुहैया कराना चाहते थे. उनका मन था कि चाहे मजबूरी में याफिर शौक से ही सही, उनके बेटे को कभी कोई का

2

कलुषित नव रत्न

27 मई 2016
0
1
0

कलुषितनव रत्न भारतकभी सोने की चिड़िया, रत्नों की खान और ज्ञान का सागर कहा जाता था.लेकिनहमारी जनसंख्या ने खासकर इस पर बड़ा प्रहार किया. विदेशी जो लूट गए सो तो लूट हीगए किंतु जन,संख्या की मार ने हमारे बीच ही होड़ खड़ी कर दी. संसाधनों के आभाव मेंहम स्वार्थी होते गए. दाने - दाने को तरसता गरीब अपना ईमान

3

मेरी प्रथम प्रकाशित पुस्तक - दशा और दिशा - प्रकाशक ऑनलाईन गाथा द एंडल लेस टेल्स पर बेस्ट सेलर ऑफ ईयर चुनी गई है.

27 जुलाई 2016
0
2
2
4

एक कविता रमा चक्रवर्ती भाभी जी की .... माँ.

29 सितम्बर 2016
0
3
2

एक कविता रमा चक्रवर्ती भाभीजी की.... माँ गर्भ मे पल रहे, शिशु के स्पंदन से पुलकित होती मैं माँ हूँ. प्रसव वेदना तड़पती,मृत्यु से जूझती,फिर भी संतान - आगमन का अभिनंदन करती मैं माँ हूँ. शिशु का प्रथम क्रंदन सुनअपनी पूर्णता पर इतराती,मैं माँ हूँ वक्ष के अमृत-धार से अपनी मातृ

5

द्वंद ... जारी है.

22 अक्टूबर 2016
0
3
2

द्वंद ... जारी है. राजस्थान के चाँदा गाँव में स्नेहल एक घरेलू जाना पहचाना नाम था. गाँव के कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाली स्नेहल पढ़ाई में अव्वल थी. मजाल कि उसके रहते कोई कक्षा में प्रथम आने की सोच भी लेता. इसके साथ वह थी भी बला की खूबसूरत. घर- बाहर सब उसे प्यार करते थे,

6

मर्यादा पुरुषोत्तम.

28 अक्टूबर 2016
0
2
0

मर्यादा पुरुषोत्तम. (पाठकों से अनुरोध है कि अपने विचार बेबेक रखें और चर्चाकरें. ताकि कुछ सीखा भी जा सके.) रावण ने सीता को हरकर, जो किया, किया. लेकिन तुम थे - सियाराम, सीता के राम, तुम सीता को प्राणों से प्यारे थे, सीता भी तुमको प्राणों स

7

प्रणय पात्र

8 नवम्बर 2016
0
6
4

रोहित का मोबाईल फिर बजा. अब तक न जाने कितनी बार बज चुका था. इतनी बार बजने पर उसे लगा कि कोई तो किसी गंभीर परेशानी में होगा अन्यथा इतने बार फोन न करता. अनमना सा हारकर रोहित ने इस बार फोन उठा ही लिया. संबोधन किया हलो..उधर से आवाज आई...भाई साहब नमस्कार, गोपाल बोल रहा हूँ. बह

8

Laxmirangam: विधाता

3 दिसम्बर 2016
0
2
2

विधाता क्यों बदनामकरो तुम उसको,उसने पूरीदुनियां रच दी है.हम सबकोजीवनदान दियाहाड़ माँस सेभर - भर कर. हमने तो उनकोमढ़ ही दियाजैसा चाहा गढ़भी दिया,उसने तोशिकायत की ही नहींइस पर तोहिदायत दी ही नहीं। हमने तो उनको पत्थर में भीगढ़ कर रक्खा..उसने तो केवलरक्खा है पत्थरकुछ इंसानोंके सीने मेंदिल की जगह,इंसानों कोन

9

एक रात की व्यथा कथा

7 फरवरी 2017
0
6
7

एक रात की व्यथा - कथा बहुत मुश्किल से स्नेहा ने अपना तबादला हैदराबाद करवाया था चंडीगढ़ से. पति प्रीतम पहले से ही हैदराबाद में नियुक्त थे. प्रीतम खुश था कि अब स्नेहा और बेटी आशिया भी साथ रहने हैदराबाद आ रहे हैं. आशिया उनकी इकलौती व लाड़ली बेटी थी. इसलिए उसकी सुविधा का हर

10

हार का उपहार

12 फरवरी 2017
0
3
6

हार का उपहार बरसों परवानों को, दीपक कीलौ में जलते देखा है,शमा के चारों ओर पड़ेवे ढेर पतंगे देखा है. कालेज में गोरी छोरी कोघेरे छोरों को देखा है,खुद नारी नर की ओर खिंचे,ऐसा कब किसने देखा है. उसने क्या देखा, क्या जाने,किसकी उम्मीद जताती है,कहीं, ढ़ोल के भीतर पोल न हो,यह सोच न क्यों घबराती है. वह करती

11

मन दर्पण

14 फरवरी 2017
0
0
0

मेरी नई पुस्तक मन दर्पण का कवर पेज प्रस्तुत है. पुस्तक अप्रेल 2017 तक प्रकाशित हो जाएगी.

12

सँभलिए

19 फरवरी 2017
0
2
3

सँभलिए --------------- कभी कभी डर लगता है, वो प्यार न मुझसे कर बैठे, साथ मेरा ले भावुक होकर, घरवालों से ना लड़ बैठे। जो थोड़ा परिवार बचा है वह भी टूटा जाएगा, मैं हूँ अकेला, सदा अकेला, कोई मुझसे क्या कुछ पाएगा।। दोष न दे वो भले मुझे पर, खुद को माफ करूँ कैसे?

13

एक पुस्तक की प्रूफ रीडिंग

7 मई 2017
3
4
8

एक पुस्तक की प्रूफ रीडिंग सबसे पहली बात - “प्रूफ रीडर का काम पुस्तक में परिवर्तन करना नहीं है, केवल सुझाव देने हैं कि पुस्तक में क्या कमियां है और उनका निराकरण कैसे किया जाए. अच्छे प्रूफ रीडर पुस्तक उत्कृष्टता बढ़ाने के लिए भी सुझाव दे सकते

14

मेरी दूसरी पुस्तक मन दर्पण का आवरण

9 मई 2017
0
2
1

ISBN 978-81-933482-3-1 गूगल सर्च कर, ऑर्डर कर सकेंगे. अभी प्री-सेल शुरु है. पुस्तक 20 मई से 1 जून के बीच प्रकाशित होने की उम्मीद है.

15

पुस्तक प्रकाशन

22 मई 2017
0
3
3

पुस्तक प्रकाशन पुस्तक प्रकाशन हर रचनाकार, चाहे वह कहानी कार हो, नाटककार हो या समसामयिक विषयों पर लेख लिखने वाला हो, कवि हो या कुछ और, चाहेगा कि मेरी लिखी रचनाएं पुस्तक का रूप धारण करें. हाँ शुरुआती दौर में लगता है कि यह किसी के लिए

16

निर्णय ( भाग - 1)

2 जून 2017
0
0
1

निर्णय ( भाग -1)बी एड में अलग अलग कॉलेजो से आए हुए अलग अलग विधाओंके विद्यार्थी थे । सबकी शैक्षणिक योग्यताएँ भी समान नहीं थीं । रजत इतिहास में एमए था । उसे लेखन का शौक था और वह बहुत अच्छा वक्ता भी था । उसके लेख व कविताएँअक्सर पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे । प्

17

निर्णय ( भाग - 2)

2 जून 2017
0
2
4

निर्णय ( भाग - 2 ) रजत भी समझ नहीं पा रहा था कि कैसे अपनी भावना संजनातक पहुँचाए। डर भी था कि संजना उसकी बात से नाराज हो गई तो वह उसे हमेशा के लिए हीखो देगा। वह अजब पशोपेश में पड़ा हुआ था।कॉलेज के वार्षिकोत्सव में रंजना ने कई कार्यक्रमोंमें भाग लिया था । एक नाटिका में

18

मन दर्पण

2 जून 2017
0
1
0

मेरी दूसरी पुस्तक मन दर्पण 25 मई 2017 को प्रकाशित हो चुकी है. पाठकगण गूगल पर - ISBN 978-81-933482-3-9खोज कर ई बुक या पेपरबैक आर्डर कर सकते हैं.ईबुक की कीमत रु.100 तथा पेपरबैक की कीमत रु.175 रखी गई है.पेपरबैक पर रु 60 प्रति पुस्तक का अतिरिक्त डाक खर्च लगेगा जो

19

एक पौधा

5 जून 2017
0
3
5

पर्यावनण दिवस 5 जून के अवसर पर...एक पौधा.मधुवन मनमोहक है,चितवन रमणीय है,उपवन अति सुंदर हैऔर जीवन से ही प्रदुर्भाव है इन सबका.फिर जब जीवन के उपवन से,मधुवन के चितवन तक,हर जगह‘वन ‘ ही की विशिष्टता है.तो क्यों न हम वन लगाएँ ?आईए शुरुआत करें,और लगाएँ....एक पौधा.......

20

निर्णय

23 जून 2017
0
2
6

बी एड में अलग अलग कॉलेजो से आए हुए अलग अलग विधाओं के विद्यार्थी थे । सबकी शैक्षणिक योग्यताएँ भी समान नहीं थीं । रजत इतिहास में एम ए था । उसे लेखन का शौक था और वह बहुत अच्छा वक्ता भी था । उसके लेख व कविताएँ अक्सर पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे । प्रिया ने बी

21

संप्रेषण और संवाद

26 अगस्त 2017
0
2
3

संप्रेषण और संवाद संप्रेषण और संवाद आपके कानों में किसी की आवाज सुनाई देती है. शायद कोई प्रचार हो रहा है. पर भाषा आपकी जानी पहचानी नहीं है. इससे आप उसे समझ नहीं पाते. संवाद तो प्रसारित हुआ, यानी संप्रेषण हुआ, प्राप्त भी हुआ, पर संपूर्ण नहीं हुआ क्योंक

22

Laxmirangam: ये कैसा दशहरा

3 अक्टूबर 2017
0
2
2

ये कैसा दशहरा ये कैसा दशहराआज मेरे देश में ये क्या हो रहा है.दहशत भरी है हवा में,डर लग रहा है,जगह जगह यहाँ तो रक्तपात हो रहा है. कहीं इस देश मेंइस दशहरा में रावण की जगह,शायद, राम तो नहीं जल रहा है.पता नहीं कब से,हर दशहरे रावण जल रहा है

23

डिजिटल इंडिया – मेरा अनुभव.

2 नवम्बर 2017
0
1
4

डिजिटल इंडिया – मेरा अनुभव. उस दिन मेरे मोबाईल पर फ्लेश आया. यदि आप जिओ का सिम घर बैठे पाना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें. मैंने क्लिक कर दिया. मुझे अपना नाम पता, आधार नंबर देने को कहा गया. मैंने दे दिया. फिर मुझसे पूछा गया कि आप जिओ सिम कब और कहाँ चाहते हैं. पता और समय

24

टूटते बंधन

13 फरवरी 2018
0
1
4

टूटते बंधनपाश्चात्य सभ्यता के अनुसरण की होड़ में जो सबसे महत्वपूर्ण बातेंसीखी गई या सीखी जा रही है उनमें जो सर्वप्रथम स्थान पर आता है वह है बंधन मुक्तहोना. जीवन के हर विधा में बंधनों को तोड़कर बाहर मुक्त गगन में आने की प्रथा चलपड़ी है. यहाँ यह विचार का या विमर्श का विषय नहीं है कि यह उचित है या अनुच

25

शब्द नगरी से अलगाव

7 सितम्बर 2018
0
1
5

व्यवस्थापकगण एवं पाठकगण शब्द नगरी ने अपने डेशबोर्ड पर जाने के लिए बहुत सारी अड़चनें पैदा कर दी हैं. हर बार शब्दनगरी खोलने पर मेल वेरिफाई करने को कहा जा रहा है और तो और यह भी संदेश मिल रहा है कि मेल नहीं मिलने की हालात में अ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए