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पर्चा

14 मई 2017

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घंटी बजते ही जा बैठे सब

अपनी - अपनी जगह पर

कोई पेन्सिल छील रहा है

तो कोई शर्ट की बाँह में

कुछ छुपाने की कोशिश

में लगा हुआ है

ना जाने कब मास्टर जी ले आए पर्चा

और थमा दिया कपकपाते हाथों में

डरते डरते देखा तो पता चला

जो पड़ा था वो तो आया ही नहीं.

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घंटी बजते ही जा बैठे सबअपनी - अपनी जगह परकोई पेन्सिल छील रहा हैतो कोई शर्ट की बाँह मेंकुछ छुपाने की कोशिशमें लगा हुआ हैना जाने कब मास्टर जी ले आए पर्चाऔर थमा दिया कपकपाते हाथों मेंडरते डरते देखा तो पता चलाजो पड़ा था वो तो आया ही नहीं.

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चुन्नू

18 जून 2017
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वो मुस्कुराता चेहरा, कई सारे ख्व़ाब, कई ख़्वाहिशें, कई हसरतें और कई अरमान. कैसा हो अगर उन सभी ख्वाहिशों और अरमानों को कुछ चुनिंदा लम्हे ज़ज्बे और होंसलों के रंगों से उस मुस्कुराते चेहरे पर बसी दो प्यारी आँखों में भर दे. कैसा हो अगर सिर्फ एक पल उसकी सारी दुनिया बदल दे. कैसा

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भर ले तू ऊँची उड़ान

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