दर्द गृहस्थी का ,बह रहा आँखों से छलके ,
ये उसके पल्लू बाँधा है ,उसी के अपनों ने बढ़के . ................................................................
पिता के आदेशों को मान ,चली थी संग जिसके वो.
उसी ने सड़कों पर डाला ,उसे बच्चे पैदा करके. ................................................................
वफ़ादारी निभाई थी ,रात -दिन फाका करती थी ,
बदचलन कहता फिरता है ,बगल में दूसरी धरके . ...........................................................
वो अपने बच्चों की रोटी,कमाकर खुद ही लाती है ,
उसे भी लूट लेता है ,उसी के हाथों से झटके. .........................................................
अगर अंजाम शादी का ,ऐसा ही भयानक है,
कुंवारी ही जिए लड़की ,कुंवारी ही बचे मरके. ...........................................................
दिखी है ''शालिनी''को अब ,दुनिया में बर्बादी है ,
कोई पागल ही होगा अब ,मरे जो शादियां करके . ...............................................................
शालिनी कौशिक
[कौशल]